Damandeep Singh कहते हैं कि आपको बिज़नेस शुरू करने से पहले मौजूदा वक्त में बाजार की मांग का आकलन करना, एक ठोस बिज़नेस प्लान तैयार करना, फंडिंग हासिल करना, एक मजबूत टीम बनाना , कानूनी आवश्यकताओं का पालन करना और एक मजबूत ब्रांडिंग और मार्केटिंग रणनीति बनाना शामिल है। एक बार ये सब करने के बाद आपको इस चीज पर आना है कि इन सब चरणों के लिए योजना बनाने और उन्हें एक-एक करके पूरा करने पर ध्यान देना है।
बिज़नेस शुरू करने से पहले, अपने बिज़नेस के मार्केट की पहचान करना, उनकी ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को समझना महत्वपूर्ण है। Damandeep के अनुसार जब आप अपने बिज़नेस की प्राथमिकताओं को समझ लेते हैं तो आपको एक बेहतर प्रोडक्ट या सर्विस सेवा विकसित करने में मदद मिलेगी। और इसके चलते आपके बिज़नेस के सफल होने की अधिक संभावना है।
Damandeep के अनुसार बिज़नेस आईडिया दिमाग में होना बड़ी बात नहीं है लेकिन उसके लिए मार्केट प्लान सोचकर रखना और उसपर काम करना ही आपको बाकियों से अलग बनाएगा। किसी भी नए उद्यम के लिए एक अच्छी तरह सोच विचार करके बनाया हुआ बिज़नेस प्लान आवश्यक है। इसमें आपके बिज़नेस उसके टारगेट मार्केट, आपकी मार्केटिंग रणनीति, बिज़नेस में लगने वाले वित्तीय अनुमानों और आपके बिज़नेस का ग्रोथ प्लान शामिल है।
बिज़नेस शुरू करने के लिए आपको अक्सर महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है, इसलिए आपके शुरू करने से पहले आप ये सुरक्षित कर लें की आपके पास उतना खर्च हो। इसके लिए आप चाहें अपने मित्रों, परिवार या निवेशकों से ऋण लें या अपनी सेविंग्स का उपयोग करें ये आप पर निर्भर है।
Damandeep का मानना है कि मार्केट में अपना नाम को ब्रांड बनाने के लिए आप ये जरूर सुनिश्चित करें की अपने बिज़नेस को उपयुक्त सरकारी एजेंसियों की मदद से रजिस्टर कर लें और जरूरी लाइसेंस और परमिट प्राप्त कर लें। एक रजिस्टर्ड बिज़नेस के साथ आप मार्केट में दूर कि परियोजनाओं को अंजाम दे सकते हैं और अपने ग्राहकों के बीच भरोसा पैदा कर सकते हैं।
Damandeep का मन्ना है कि बिज़नेस में क़ानूनी दांव -पेंच का सामना कभी भी करना पड़ सकता है। ये अच्छा है कि बिज़नेस के लिए वर्तमान में अलग-अलग कानूनी मदद मौजूद हैं। आप इनकी मदद से अपने बिज़नेस को क़ानूनी झंझटों से बचा सकते हैं। और अपनी व्यक्तिगत संपत्तियों की सुरक्षा और अपने टैक्स इत्यादि को कम करने के लिए जरूरी चरणों का उपयोग कर सकते हैं।
एक बिज़नेस के बेहतरीन ढंग से प्रदर्शन करने के लिए जरूरी है कि आपके पास एक बेहतरीन टीम हो। जो आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी सहायता कर सके। Damandeep Singh कहते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के मिलकर ही Traffic Tail जैसी कामयाब कंपनी तैयार की है। वे जानते हैं कि एक सही टीम का होना आपके बिज़नेस के ग्रोथ के लिए कितना जरूरी है।
आपका बिज़नेस किस स्तर पर कामयाब होगा उसके लिए आपको एक सही मार्केटिंग रणनीति कि जरूरत होगी। जिसमें आपके द्वारा अपने लक्षित बाजार तक पहुंचने, ब्रांडिंग करने और अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं को बढ़ावा देने की योजना शामिल है।
बिज़नेस शुरू करने के लिए आपको बहुत से चरणों से गुजरना होगा। जिसमें अपने प्रोडक्ट में बहुत से बदलाव करते रहने होंगे। आवश्यकतानुसार अपनी रणनीति या प्रोडक्ट में बदलाव करने के लिए तैयार रहना महत्वपूर्ण है।
बिज़नेस शुरू करना भारी भी पड़ सकता है, लेकिन अपने निर्धारित लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना और उनके लिए काम करते रहना महत्वपूर्ण है, भले ही चीजें चुनौतीपूर्ण हों।
Damandeep कहते हैं कि बिज़नेस शुरू करना एक बड़ा निर्णय इसलिए आप उन लोगों से सलाह और समर्थन जरूर लें जो पहले इस प्रक्रिया से गुजर चुके हैं। इस चीज में कोई बुराई नहीं है कि आप दूसरे बिजनेसमैन से सलाह लें और उसका उपयोग अपने बिज़नेस कि ग्रोथ के लिए उपयोग करें।
Damandeep Singh अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि जब उन्होंने Traffic Tail की शुरुआत की थी तो उनके दिमाग में एक प्लान था लेकिन उससे भी जरूरी था उनके बिज़नेस का ज्ञान जिसके आधार पर वे जानते थे कि वो कुछ बड़ा कर ही लेंगे। उनकी कंपनी best digital Marketing Company In Delhi है।
उन्होंने बताया कि कुछ ही लोगों के साथ मिलकर उन्होंने काम शुरू किया था। और देखते ही देखते कंपनी ने मार्केट में अपना नाम बना लिया। ये सब उनके और उनकी टीम की दिन-रात मेहनत के कारण ही हो पाया है। उन्हकै मानना है कि बिज़नेस में आपको ये जरूर समझना है कि किस चीज पर ध्यान देना है और किसे छोड़ देना है। क्योंकि बहुत बार आप छोटी छोटी चीजों के चलते बड़ा दावं नहीं लगा पाते जो बिज़नेस को आगे ले जाने कि बजाय पीछे ले जाता है।
एक कामयाब बिज़नेस खड़ा करने के लिए आपको इस बात पे जरूर ध्यान देना होगा कि किस चीज को छोड़ना है और किस चीज पर ध्यान देना है। क्योंकि बहुत बार आप छोटी छोटी चीजों के चलते बड़ा दावं नहीं लगा पाते जो बिज़नेस को आगे ले जाने कि बजाय पीछे ले जाता है।
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देश की राजधानी में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 1103 रुपये है. आइए आपको बताते हैं कि आप कैसे सस्ते में गैस सिलेंडर बुक करा सकते हैं-
कहां से करें सिलेंडर की बुकिंग
अगर आप ऐप के जरिए गैस सिलेंडर की बुकिंग करते हैं तो आपको उसमें कैशबैक का ऑप्शन मिल जाता है. पेटीएम समेत कई ऐप के जरिए गैस सिलेंडर बुकिंग करने पर आपको कैशबैक की सुविधा मिलती रही है, लेकिन अब आपको बजाज फाइनेंस ऐप के जरिए भी गैस बुकिंग पर छूट का फायदा मिल रहा है.
किस तरह मिलेगी छूट
डिजिटल पेमेंट की सुविधा प्रदान करने वाले बजाज फिनसर्व ऐप (Bajaj Finserv App) के जरिए ग्राहक गैस बुकिंग पर 50 रुपये तक कैशबैक पा सकते हैं. बता दें इस ऑफर के लिए आपको कोई भी प्रोमोकोड का इस्तेमाल नहीं करना है बल्कि आप Bajaj Pay UPI से पेमेंट करके छूट पा सकते हैं.
क्या है गैस सिलेंडर की कीमत?
दिल्ली में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 1103 रुपये है जबकि मुंबई में गैस सिलेंडर 1102.50 रुपये में मिल रहा है. कोलकाता में सिलेंडर की कीमत मार्च से पहले 1079 रुपये थी जोकि बढ़कर 1129 रुपये हो गई है. चेन्नई में भी घरेलू गैस सिलेंडर 1 मार्च को महंगा हुआ था. इस शहर में पहले सिलेंडर की कीमत 1068.50 रुपये थी, लेकिन अब इसकी कीमत 1118.50 रुपये हो गई है.
मुंबई में बुधवार 1 मार्च, 2023 से दूध के दाम 5 रुपये लीटर बढ़ गए हैं. मुंबई दुग्ध उत्पादक संघ (MMPA) ने भैंस के दूध की कीमतों में एकमुश्त 5 रुपये का इजाफा किया है. इससे पहले सरकारी तेल कंपनियों ने घरेलू रसोई गैस के दाम 50 रुपये बढ़ा दिए थे.
MMPA की ओर से आज सुबह जारी रेट के अनुसार, मुंबई में अब 1 लीटर भैंस का दूध खरीदने के लिए 85 रुपये खर्च करने पड़ेंगे, जो अभी तक 80 रुपये में मिलता था. नई दरें 31 अगस्त, 2023 तक जारी रहेंगी और इसके बाद एसोसिएशन एक बार फिर कीमतों की समीक्षा करेगा. मुंबई में दूध की कीमतों में सितंबर, 2022 के बाद यह दूसरी बड़ी बढ़ोतरी है.
6 महीने में 10 रुपये महंगा हो गया दूध
मुंबई में दूध की कीमत जिस तेजी से बढ़ रही है, यह आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा. आलम ये है कि बीते 6 महीने में ही यहां दूध की कीमत करीब 10 रुपये लीटर बढ़ चुकी है. पहले सितंबर में ही 5 रुपये दाम बढ़ाए गए थे. तब भैंस का दूध 75 रुपये से बढ़कर 80 रुपये लीटर हो गया था. आज हुई ताजा बढ़ोतरी के बाद दूध की कीमत 85 रुपये हो गई है. दूध के दाम में अचानक आई इस बढ़ोतरी से गरीब और मध्य वर्ग परिवारों का बजट बिगड़ गया है.
गाय का दूध भी महंगा
मुंबई में भैंस ही नहीं गाय का दूध भी महंगा हुआ है. फरवरी में महाराष्ट्र के सभी प्रमुख गाय दूध उत्पादक संघों के साथ ब्रांडेड उत्पादकों ने भी प्रति लीटर 2 रुपये दाम बढ़ा दिए थे. दूध उत्पादकों का कहना है कि दुधारू पशुओं की कीमत तो बढ़ ही रही, उनके चारे और दाना, तुवर, चूनी, चना आदि की कीमतों में भी 25 फीसदी तक उछाल आ चुका है. यही कारण है कि हमें दूध की कीमतों को भी बढ़ाना पड़ रहा. मुंबई में रोजाना 50 लाख लीटर से ज्यादा भैंस के दूध की खपत हो रही.
ये प्रोडक्ट भी होंगे महंगे
दूध के दाम बढ़ने का असर सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इससे बनने वाले उत्पादों पर भी पड़ता है. अनुमान है कि आने वाले समय में दूध के प्रोडक्ट जैसे दही, घी और पनीर की कीमतों में भी बड़ा इजाफा हो सकता है. इससे पहले अमूल और मदर डेयरी ने भी अपने दूध की कीमतों में 2 रुपये लीटर तक की बढ़ोतरी की थी.
फिलहाल मुंबई में भैंस का दूध रिटेलर्स को 80 रुपए प्रति लीटर के बजाए 85 रुपए प्रति लीटर खरीदना पड़ेगा. ग्राहकों को इसके लिए 90 से 95 रुपए देने पडेंगे. भैंस के दूध के लिए यह नई कीमत 1 मार्च से लागू हो जाएगी.
यह मूल्य वृद्धि 31 अगस्त तक लागू रहेगी. शहर में 3 हजार से ज्यादा दूध विक्रेता हैं. ये रिटेलर्स भैंस का दूध फिलहाल प्रति लीटर 80 रुपए के भाव में खरीदते हैं. उन्हें अब यह खरीदने के लिए 5 रुपए ज्यादा कीमत देनी होगी. इस तरह सामान्य ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते इसकी कीमत 90 या 95 रुपए प्रति लीटर होगी.
5 महीने में 5 रुपए बढ़ा दी गई भैंस के दूध की कीमत
मुंबई में भैंस के दूध की कीमत इससे पहले सितंबर 2022 में बढ़ाई गई थी. उस वक्त रिटेलर्स के लिए भैंस के दूध की कीमत 75 रुपए से बढ़ाकर 80 रुपए किया गया था. तब भी आम लोगों के घर का बजट बिगड़ने की वजह से इस पर काफी नाराजगी जताई गई थी. छह महीने भी पूरे नहीं हुए हैं कि एक बार फिर से कीमत बढ़ा दी गई है.
महंगा हो गया भूसा-चारा, इसलिए कीमत बढ़ाने के सिवा बचा नहीं कोई चारा
मुंबई मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन की एक अहम मीटिंग में कीमत बढ़ाने का यह फैसला किया गया. चारा, भूसा महंगा होने की वजह से कीमतों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है. मुंबई में हर रोज भैंस का 50 लाख लीटर दूध बिकता है.
अमूल ने 2 फरवरी से ही बढ़ा दी थी कीमतें
देश के सबसे बड़े दूध ब्रांड के तौर पर जाना जाने वाला गुजरात डेयरी को ऑपरेटिव यानी अमूल ने भी इसी महीने दूध की दरों में 3 रुपए की बढ़ोत्तरी की है. अमूल ने 2 फरवरी से ही कीमतें बढ़ा दी थीं. इस तरह अमूल गोल्ड दूध फिलहाल 66 रुपए, अमूल ताजा 54 रुपए, अमूल A-2 भैंस के दूध की कीमत 70 रुपए प्रति लीटर हो गई. इसके बाद करीब सभी दूध उत्पादकों ने दूध की दर 2 रुपए बढ़ा दी.
सालाना घर बैठे करोड़ों रुपये कमा सकते हैं। फ्लाई एश ब्रिक को आम तौर पर सीमेंट की ईंट भी कहा जाता है। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए सरकार भी मुद्रा योजना (Mudra Scheme) के तहत आपकी मदद भी हो जाएगी। आजकल घर और बिल्डिंग बनाने के लिए लाल ईंट की जगह थर्मल पावर प्लांट की कोयले की राख (Fly Ash) से बनी ईंटें इस्तेमाल की जाने लगी हैं।
इन ईंटों का चलन छोटे कस्बों और गांव में भी शुरू हो गया है। इसके लिए 100 गज जमीन और कम से कम 2 लाख रुपये का निवेश करना होगा। इस पर आप हर महीने एक लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। लगाना होगा मशीन इस बिजनेस के लिए निवेश का ज्यादातर हिस्सा मशीनरी में लगेगा।
इस मशीन के जरिए ईंट बनाने के लिए कम से कम 5-6 लोगों की जरूरत पड़ती है। इससे हर दिन करीब 3,000 ईंट बनाए जा सकते हैं। इस निवेश में कच्चे माल की लागत शामिल नहीं की गई है। अगर आप ऑटोमेटिक मशीनों का इस्तेमाल करते हैं तो लागत थोड़ा बढ़ जाएगी।
लेकिन इससे कमाई के मौके भी बढेंगे। मशीन की कीमत 10 से 12 लाख रुपये होती है। इसमें कच्चे माल के मिलावट से लेकर ईंट बनाने तक लेकर सभी कुछ इसमें शामिल है। इन मशीने के जरिए 1 घंटे में 1 हजार ईंटें बनाई जा सकती हैं।
यानी इस मशीन से आप महीने में 3 से 4 लाख ईंटें बना सकते हैं। क्यों हो रहा है ज्यादा इस्तेमाल? राख से बनने वाली ईंटों में 55 फीसदी फ्लाई एश, 35 फीसदी रेत और 10 फीसदी सीमेंट की जरूरत होती है। इसके अलावा आप चाहें तो इसे बनाने के लिए 65% फ्लाई एश, 20% रेत, 10% चूना और 5% जिप्सम के मिक्चर से भी ईंट बना सकते हैं। दरअसल, मिट्टी से बनने वाली ईंटों के मुकाबले Fly ash से बनी ईंटें काफी किफायती होती हैं।
फ्लाई एश की ईंट से मकान बनाने में सीमेंट का खर्च 20 से 30 फीसदी तक कम हो जाता है। इसके अलावा फिनिशिंग दीवार के दोनों तरफ आती है और इससे प्लास्टर में भी सीमेंट की बचत होती है। वहीं, इस ईंट में सूखी राख होने के कारण मकान में नमी भी नहीं आती है, जिससे इसकी उम्र और मजबूती बढ़ जाती है।
पहाड़ी इलाकों में बेहतर मौके उत्तराखंड और हिमांचल प्रदेश जैसे राज्यों में मिट्टी की कमी के कारण ईंटो का उत्पादन नहीं होता है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों से ईंटें मंगवाई जाती हैं, जिस पर ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ जाता है। ऐसे में इन जगहों पर सीमेंट और स्टोनडस्ट से बनने वाले यह ईंटों का कारोबार फायदेमंद हो सकता है। पहाड़ी इलाकों में स्टोनडस्ट आसानी से मिलने की वजह से कच्चे माल की लागत भी कम होगी।
आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि सिक्का निकालने वाली मशीन में नकली नोट डाले जाने के मामलों को देखते हुए यूपीआई (UPI) बेस्ड ऑप्शन को अपनाने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि समस्या यह थी कि इन मशीनों में जो रुपये डाले जा रहे थे, कई मामलों में नकली पाये गये. इसीलिए यह मुद्दा बन गया था.’
नई व्यवस्था में सिक्कों के वितरण में सुधार होगा
शंकर ने कहा इसी को देखते हुए आरबीआई (RBI) ने दूसरे विकल्प पर विचार शुरू किया. काफी लोग मोबाइल यूज करते हैं, उसके जरिये क्यूआर कोड ‘स्कैन’ किया जा सकता है, जो यूपीआई से जुड़ा हो सकता है. इसके माध्यम से भौतिक रूप से रुपये का उपयोग किये बिना वेंडिंग मशीन से सिक्के निकाले जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि मशीन देश में विकसित की गई हैं. इस नई व्यवस्था में सिक्कों के वितरण में सुधार होगा.
खाते से पैसे काटकर सिक्के मुहैया कराएगा RBI
इससे पहले, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ‘क्यूआर’ कोड बेस्ड ‘कॉइन वेंडिंग मशीन’ (QCVM) को लेकर पायलट परियोजना शुरू की. आरबीआई 12 शहरों में क्यूआर कोड आधारित सिक्का निकालने की मशीन को लेकर पायलट परियोजना शुरू करेगा. ये वेंडिंग मशीनें यूपीआई का उपयोग करके बैंक ग्राहकों के खाते से पैसे काटकर सिक्के उपलब्ध कराएंगी. फिलहाल उपलब्ध मशीनों में बैंक नोट डालकर सिक्के निकाले जाते हैं.
सत्यापन की जरूरत नहीं होगी
दास ने कहा, ‘नकद कॉइन वेंडिंग मशीन में भौतिक रूप से रुपये डालने और उसके सत्यापन की जरूरत नहीं होगी.’ शुरू में पायलट परियोजना 12 शहरों के 19 स्थानों पर शुरू करने की योजना है. इन मशीनों को रेलवे स्टेशन, शॉपिंग मॉल, बाजारों में लगाया जाएगा. शंकर ने कहा कि आरबीआई एक अजीब समस्या से जूझ रहा है. एक तरफ सिक्कों की आपूर्ति बहुत अधिक है और इसको रखने में अधिक जगह की जरूरत होती है. साथ ही यह ठीक से वितरित नहीं हो पाता है.
यह सब केवल पैसा के बल पर ही खरीदा जाता है। इसी आस में इंसान दिन-रात को एक करते हुये मेहनत कर रहा है।
अब घर बनाना नहीं रहेगा सपना,
आज हम आपको घर, मकान बनाने के लिये उपयोग में आने वाले चीज सरिया और सीमेंट के भाव के बारे में बता रहे हैं। ताजा खबर के मुताबिक बता दें कि अभी सरिया और सीमेंट का रेट बहुत ही सामान्य स्थिति पर चल रहा है। ऐसे में यह मौका बहुत ही अच्छा और बेहतरीन है।
जानकारी के मुताबिक बता दें कि घर, मकान में उपयोग में आने वाली सामग्री सरिया और सीमेंट के दामों में उतार और चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है, लेकिन कुछ समय से सरिया और सीमेंट के दामों में काफी सामान्य स्थिति देखने को मिली है। ऐसे में जो व्यक्ति इस समय घर मकान बनाने की सोच रहे हैं उनके लिए यह बेहतर और सुंदर मौका है।
सरिया सीमेंट की कीमतों में में आयी बड़ी गिरावट
अहम जानकारी के अनुसार बता दें कि अभी सरिया और सीमेंट के दाम काफी निचले स्तर पर चल रहे हैं। ऐसे में यह बहुत ही अच्छी खबर है उन लोगों के लिए जो अभी घर, मकान बनाने की सोच रहे हैं। सरिया के दामों की बात करें तो सरिया का रेट करीब 75000 प्रति टन के हिसाब से चल रहा है, जबकि सीमेंट के दामों की बात करें तो सीमेंट अभी 400 रुपये प्रति बोरी के नीचे आ गया है।
इनमें बैंक लॉकर (Bank Locker), इंश्योरेंस पॉलिसी, क्रेडिट कार्ड (Credit Card) और एनपीएस (NPS) आदि से जुड़े नियम शामिल हैं.
इन योजनाओं और सुविधाओं से जुड़े नए नियम 1 जनवरी 2023 से प्रभावी हो गए हैं. आइए जानते हैं उन अहम बदलावों के बारे में जो आपके व्यक्तिगत निवेश से संबंधित हैं और आपको निश्चित रूप से प्रभावित करेंगे.
बदल गया NPS आंशिक निकासी का नियम
नेशनल पेंशन स्कीम में योगदान करने वाले खाताधारकों के लिए पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने एनपीएस निकासी को लेकर एक नया आदेश जारी किया है. इसके तहत सरकारी क्षेत्र यानी केंद्र, राज्य और केंद्रीय स्वायत्त निकाय के ग्राहक अब आंशिक निकासी (NPS Partial Withdrawal New Rules) के लिए अपना आवेदन जमा कर सकते हैं. इसे केवल नोडल अधिकारी को जमा करना होगा.
इंश्योरेंस खरीदने के लिए KYC प्रोसेस अनिवार्य
1 जनवरी से बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए ग्राहकों को KYC दस्तावेज अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने होंगे. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने सभी तरह के लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस के लिए की खरीद के लिए केवाईसी मानदंड अनिवार्य कर दिए हैं.
जान लें बैंक लॉकर से जुड़ा ये नियम
1 जनवरी से आरबीआई ने बैंक लॉकर नियमों में बदलाव किया है, अब ग्राहकों को नुकसान होने की स्थिति में ज्यादा फायदे मिलेंगे. इसके लिए अपडेटेड लॉकर एग्रीमेंट बनवाना होगा. RBI के इस नये नियम के तहत, यदि लॉकर में रखे सामान को कई नुकसान पहुंचता है तो अब इसके लिए बैंक की जिम्मेदारी तय की जाएगी. अगर ग्राहकों को नुकसान बैंक के कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के कारण होता है, तो बैंक की लायबिलिटी लॉकर के वार्षिक किराये के 100 गुना तक होगी.
क्रेडिट कार्ड नियमों भी बदलाव
जनवरी 2023 से कई बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड भुगतान के लिए अपनी रिवॉर्ड पॉइंट योजना में बदलाव किए जाने की संभावना है. इसलिए आपको 31 दिसंबर तक क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड पॉइंट्स को रिडीम करना होगा.
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट से जुड़े नियम
मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों के अनुसार, HSRP और रंग-कोडेड स्टिकर सभी वाहनों के लिए अनिवार्य हैं. इस नियम का पालन नहीं करने पर किसी भी वाहन पर 5,000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक का भारी जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं, टू व्हीलर वाहनों के लिए हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट की कीमत 365 रुपये और फोर व्हीलर वाहनों के लिए 600 रुपये से लेकर 1,100 रुपये तक तय की गई है.
किस सेक्टर में जाएं? कहां जाना फायदेमंद होगा? नौकरी कर रहे कई लोग भी ये सोचते हैं कि कैसे अपना Career और बेहतर बना सकते हैं. इस उलझन से निकलने में ये आर्टिकल आपकी मदद कर सकता है. इसमें हम आपको उन टॉप कोर्सेस (Top Courses in 2023) के बारे में बता रहे हैं जिनमें इस साल सबसे ज्यादा नौकरियां आने वाली हैं.
ये आर्टिकल कुछ राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स और सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है. ये रिपोर्ट्स मार्केट एनालिसिस और टॉप कंपनियों की डिमांड और स्ट्रैटजी के आधार पर बनाकर जारी की गईं.
Year 2023 के टॉप कोर्सेस
कोविड को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर में बड़ी संख्या में भर्तियां की जाएंगी. जाहिर है कि हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ेगी. कई Pharmacy कंपनियों ने नई हायरिंग शुरू भी कर दी है. ईटी की एक खबर के अनुसार फार्मा कंपनियां घरेलू फॉर्मूलेशन बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिशों में लगी हुई हैं और इसके लिए वो बड़ी संख्या में या तो मेडिकल रिप्रजेंटेटिव और फील्ड मैनेजर्स की भर्ती कर रही हैं.
ऐसे में ऑल टाइम फेवरेट एमबीबीएस के अलावा नर्सिंग कोर्सेस, फार्मा कोर्सेस, रेडियोलॉजी, फीजियोलॉजी समेत अन्य मेडिकल टेक्नीशियल कोर्सेस करना फायदेमंद होगा. इसके अलावा मेडिकल रिसर्च सेक्टर में जाने की दृष्टि से बीएससी केमिस्ट्री जैसे कोर्सेस भी अच्छे रहेंगे.
KPMG की रिपोर्ट के अनुसार इस साल कई कंपनियां बड़ी संख्या में छंटनी कर सकती हैं या Hiring रोक सकती हैं. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘कुछ सेक्टर इस दौर में भी नई उम्मीद और ढेरों मौके लेकर आएंगे. इनमें आईटी, बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस यानी BFSI सेक्टर्स शामिल हैं.
इसके अलावा ई-कॉमर्स, टेलीकॉम, फार्मा, इंटरनेट बिजनेस में भी 2022 की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा Jobs आएंगी. जाहिर है कि बीकॉम, एमबीए से लेकर इंजीनियरिंग तक… और इसके अलावा इन सेक्टर्स से जुड़े स्पेशलाइज्ड कोर्स आपको खूब फायदा दिला सकते हैं.
टेक्निकल सेक्टर की बात करें तो आने वाले समय में दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलिजें, डाटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और क्लाउड टेक्नोलॉजी का बोलबाला रहने वाला है. अभी से ही इन सेक्टर्स में स्किल्ड प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ गई है. अगर आप साइंस में अच्छे हैं, तो ये कोर्सेस आपके लिए किसी खजाने तक पहुंचने के रास्ते से कम नहीं हैं.
इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक ऐसा सेक्टर है जिसमें दुनिया में सबसे पहले मंदी आती है. लेकिन वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा अवसर भी इस फील्ड में हैं. हालांकि अगर आप खुद को ऑटोमेशन का एक्सपर्ट बना लेते हैं, तो आपकी नौकरी सुरक्षित रहने और करियर ग्रोथ की संभावनाएं ज्यादा रहेंगी. रोबोटिक्स भी बेहतरीन मौके दिलाएगा.
शिक्षा का क्षेत्र एक ऐसी दुनिया है जहां पहले भी ढेरों मौके हुआ करते थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे. सामान्य ग्रेजुएशन के बाद आप बीएड/ एमएड कर सकते हैं. या फिर एजुकेशन से जुड़े अन्य स्पेशलाइज्ड कोर्सेस कर सकते हैं. सरकारी भर्तियों से लेकर प्राइवेट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक में आपके लिए नौकरियों की भरमार होगी. इसके अलावा आप खुद अपने स्तर पर भी कोचिंग या ट्यूशन क्लास से अच्छे पैसे कमा सकते हैं.
दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन का मुद्दा बड़ा है. ये अलग-अलग तरीकों से व्यापार से लेकर आम जनजीवन तक पर असर डाल रहा है. ऐसे में पर्यावरण के क्षेत्र में रिसर्चर, एनालिस्ट, एनवायर्नमेंटलिस्ट की मांग तो है ही. इससे भी ज्यादा ग्रीन जॉब्स के लिए प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ रही है. जैसे- एग्रीकल्चर टेक्नीशियन, ऑर्गेनिक फार्मिंग मैनेजर, रिन्युएबल एनर्जी टेक्नीशियन, आदि. इसलिए एग्रीकल्चर के एडवांस्ड कोर्सेस, Renewable Energy से जुड़े कोर्सेस आपके लिए सोना साबित होंगे.
]]>फाइनेंशियल एक्सप्रेस की ताजा रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादन होने के बावजूद चीन ही भारत के ब्रोकन राइस का सबसे बड़ा ग्राहक है. इसके बाद अफ्रीकी देशों में भी टूटे चावल का निर्यात हो रहा था, लेकिन कोरोना महामारी और अफ्रीकी देशों की घरेलू नीतियों की वजब से साल 2019-20 से निर्यात में थोड़ी सुस्ती भी देखने को मिली.
बढ़ते निर्यात को लेकर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि दूसरे देशों की तुलना में भारत का ब्रोकन राइस करीब 25 से 30 फीसदी सस्ता है. वहीं वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भू-राजनीतिक कारणों से चलते भी टूटे चावल की मांग ज्यादा है.
साबुत चावल को लेकर भी कुछ मिले -जुले रुझान हैं. भारत का बासमती चावल दूसरे देशों से सस्ता है, इसलिए यूरोपीय और अरब देशों में डिमांड काफी है. आंकड़ों की मानें तो साल 2021-22 (अप्रैल-सितंबर) तक चावल का निर्यात 17.86 लाख मीट्रिक टन था. ये साल 2022-23 (अप्रैल-सितंबर) तक बढ़कर 23.82 लाख मीट्रिक टन हो गया है यानी एक साल में ही चावल का निर्यात 33 प्रतिशत बढ़ गया है.
किस काम आता है टूटा चावल
वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, टूटे चावल का इस्तेमाल शराब, इथेनॉल, पशु आहार और नूडल्स बनाने में किया जाता है, हालांकि इसके अलावा भी कई चीजों में टूटे चावल का इस्तेमाल होता है. जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में खुद चावल का उत्पादन गिरता जा रहा है, जिसकी वजह से अब सरकार को भी टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर मजबूर होना पड़ा. ये घरेलू खाद्य आपूर्ति के लिए भी आवश्यक है. इससे पहले कृषि मंत्रालय के आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय द्वारा जारी 2022-23 के प्रथम अग्रिम अनुमान में बताया था कि चालू फसल वर्ष में चावल का उत्पादन निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले कम हो सकता है.
एक्सपर्ट्स ने बताया घातक
चावल के वैश्विक एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 45 फीसदी है, जिसे सरकार तो अपनी सफलता मानती है, लेकिन एक्सपर्ट्स इस बात ये इत्तेफाक रखते हैं. कई कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि चावल के उत्पादन में बाकी फसलों से ज्यादा संसाधन खर्च होते हैं. उदाहरण के लिए एक किलो चावल उगाने के लिए 3,000 लीटर पानी की खपत होती है, जिससे जल संकट भी बढ़ता जा रहा है. यही वजब है कि अब कृषि वैज्ञानिक और कई राज्य सरकारें चावल की खेती की बजाए बागवानी फसलों के उत्पादन पर जोर दे रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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