धमतरी। छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिले में जंगली हाथी का आतंक निरंतर जारी है। इनमें से कुछ ऐसे जिले भी हैं जहां भालुओं ने भी आतंक मचाने में कोई कसर नही छोड़ी है। वहींे अब धमतरी जिले के डमकीडीही के रहवासी तेदूंए के आतंक से भयभीत हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां रात होते ही जंगलों से निकलकर तेंदुआ रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर दीवाल फांदकर लोगों के घर में घुसकर पालतू जानवरों को आसानी से अपना शिकार बना रहा है। तेंदुए के हमले से यहां पहले जनहानि की घटना भी घटित हो चुकी है।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार धमतरी जिले के अंतर्गत आने वाले डमकाडीही गांव के ग्रामीण इन दिनों जंगली जानवरों के आतंक से इस कदर परेशान है कि शाम ढलने से पहले ही गांव के सभी ग्रामीण अपने-अपने घरों पर दुबकने पर मजबूर हो जाते हैं। चूंकि पिछले कुछ दिनों से यहां एक तेदुंए ने जबर्दस्त आतंक मचा रखा है। मिली जानकारी के मुताबिक गांव के निवासी नरेश देवांगन के घर तेंदुआ बीते तीन दिनों से दीवार फांदकर प्रवेश कर घर के मुर्गी और 2 पालतू कुत्ता का शिकार कर अपना निवाला बना चुका है।
हालांकि घरवालों को शुरुआत में इस बात की जानकारी नहीं लग पा रही थी, लेकिन जब घर से पालतू कुत्ते और मुर्गी गायब हुए तब उन्हें आशंका हुई कि तेंदुए ने ही इसका शिकार किया होगा। घर वालों ने घर में सीसीटीवी कैमरा लगाया तो देर रात तेंदुआ सीसीटीवी में कैद हो गया।
इधर तेंदुआ के लगातार मौजूदगी से देवांगन के परिवार में और डमकाडीही गांव में डर का माहौल निर्मित हो गया है। हालांकि घर वालों ने इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दे दी है। बताया जा रहा है कि बीते दिनों इसी क्षेत्र में स्थित शराब दुकान में पास स्थित एक दुकान में तेंदुआ प्रवेश कर वहां रखे मुर्गे को अपना शिकार बना लिया था।
यह पूरा घटनाक्रम भी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया उनके क्षेत्र में तेदुंए का आतंक इस कदर है कि तेंदुंए के हमले से यहां जनहानि की घटना भी घटित हो चुकी है। आलम यह है कि शाम ढलते ही गांव के ग्रामीण अपना-अपना जरूरी काम निपटाकर घरों में दुबकने पर मजबूर हो जाते है।
चूंकि शाम ढलते से जंगलों से निकलकर तेुदंआ गांव में प्रवेश करता है और इस दरम्यान जो भी उसके सामने आ जाये उसकी मौत निश्चित हो जाती है। गांव वालों ने इस बात की शिकायत वन विभाग के अधिकारियों को भी दे दी है इसके बावजूद विभाग के द्वारा इस ग्रामीणांे को होनें वाली परेशानियों से उन्हें निजात दिलाने में कोई पहल तक नही की जा रही है। देखना यह है कि पहले हाथी उसके बाद भालू और अब तेंदुए के बढ़ते आतंक से ग्रामीणों को कब तक निजात मिलती है।
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