कांकेर में एक धर्मांतरित व्यक्ति का शव दफनाने को लेकर विवाद हो गया। ग्रामीण और वार्डवासियों ने शव दफनाने का विरोध किया है। वहीं, प्रशासन ने जोर-जबरदस्ती करके शव को दफना दिया है।
पखांजुर थाना क्षेत्र में ईसाई धर्म को मानने वाले व्यक्ति के शव को दफनाने को लेकर बवाल मचा हुआ है। शव दफनाने का विवाद शनिवार को शुरू हुआ था। ग्रामीणों ने शव दफनाने का विरोध किया और पखांजुर थाने के सामने धरने पर बैठ गए थे। धरने पर बैठे ग्रामीणों ने मांग की थी, जिस जिस जगह शव दफनाया गया है। विवाद बढ़ता ही गया और रविवार को व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दीं। मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। पूर्व विधायक भोजराज नाग सहित युवा मोर्चा और बजंरग दल के कार्यकर्ता विरोध में उतर आए हैं। वहीं, पुलिस ने विवाद की स्थिति को देखते हुए पखांजुर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिए गए है.
पखांजूर थाना क्षेत्र के माझपल्ली गांव निवासी दिलीप पद्दा कि तीन अगस्त को मौत हो गई थी। वह एक वर्ष से बीमार था। इसी दौरान वह मसीही समाज के किसी प्रचारक के संपर्क में आया। प्रचारक ने उसकी बीमारी ठीक होने की बात कहकर उसका और उसके परिवार का धर्म परिवर्तन करा दिया। धर्म परिवर्तन करने के चलते शव को आदिवासी समाज ने गांव में दफनाने नहीं दिया। इस दौरान परिजनों ने खुद की जमीन में शव दफनाने का प्रयास किया, लेकिन गांव-परिवार वाले सहमत नहीं हुए। चार अगस्त को मृतक के बेटे ने ऐसेबेड़ा गांव की जन चौपाल में कलेक्टर से शिकायत की। इसके बाद प्रशासन ने माझपल्ली से शव पखांजूर मंगवाया और वार्ड-1 में पुलिस की सुरक्षा में दफनाया गया।
वार्ड-1 में शव दफनाने के बाद ग्रामीणों और बीजेपी नेताओं में आक्रोश है। शासन ने भविष्य में उस स्थान में शव नहीं दफनाने और भूमि का आवंटन निरस्त करने का आश्वासन दिया, लेकिन वार्ड वासी नहीं माने और वहां से शव हटाने की मांग पर अड़े रहे। इसके बाद वार्ड वासियों ने पखांजूर थाने के सामने धरना शुरू कर दिया। धरने दे रहे लोगों का कहना है कि अगर शव नहीं हटाया जाता तो वह खुद ही शव हटा देंगे। धरना में पूर्व सांसद विक्रम उसेंडी भी पहुंचे थे.
पूर्व बीजेपी सांसद विक्रम उसेंडी ने बताया कि धर्मांतरित ईसाई समाज के व्यक्ति के शव को यहां लाकर दफनाया गया है। जबकि उसके या ईसाई समाज के लिए यहां किसी तरीके की भूमि आरक्षित नहीं है। यह प्रशासन की लापरवाही है, यहां पर अगर पहले से आवंटित जमीन होती तो दफनाया जाना चाहिए था। इस बात का आक्रोश है कि नगर पंचायत के द्वारा किसी प्रकार का एनओसी ईसाई समाज के कब्रिस्तान के लिए जारी नहीं हुआ है। इसके बाद भी यहां लाकर दफनाया गया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद धर्मांतरण की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसको सरकार को ध्यान देना चाहिए और कुल मिलाकर जहां शव दफनाया गया है, कब्रिस्तान उनके लिए आवंटित नहीं है। शासन-प्रशासन को तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए।
नगर पंचायत अध्यक्ष बप्पा गांगुली ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि किसी अज्ञात व्यक्ति को वार्ड में दफनाया गया है। पूर्व में वह जेल के लिए आरक्षित था और नगर पंचायत में किसी प्रकार का एनओसी नहीं दिया है। पखांजूर एसडीएम कह रहे हैं कि ढाई एकड़ जमीन को क्रिश्चियन समुदाय के कब्रिस्तान के लिए आरक्षित किया गया है। प्रशासन अपनी मनमानी से यह काम कर रहा है। क्रिश्चियन समुदाय के कब्रिस्तान के लिए किसी प्रकार की जमीन आरक्षित नहीं की गई है।
पखांजूर एसडीएम अंजोर सिंह पैकरा ने बताया कि शिकायत आई थी कि गांव में धर्मांतरित व्यक्ति का शव दफनाने नहीं दिया जा रहा है। सूचना पर पुलिस के सहयोग से उन्हें मनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद नगर पंचायत के वार्ड में शव दफनाया गया। उनके पूर्व पदस्थ अधिकारी ने इस भूमि का आवंटन किया है। वर्तमान में विरोध कर रहे वार्डवासियों से बातचीत कर समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है।