प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता पर व्याख्यान आयोजित

by Kakajee News

नगर के शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. किरण गजपाल के मार्गदर्शन में हिंदी विभाग, Iqac सेल और अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘प्रेमचंद का धूसर संसार’ प्रेमचंद जयंती पखवाड़ा के अंतर्गत 12 अगस्त को प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता पर व्यख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्त के रूप में डॉ. मुरली मनोहर सिंह सहायक प्राध्यापक , गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर ने कहा कि धूसर और चमकीला दो पक्ष होते हैं ।
साहित्य में कबीर ने भी इसका उल्लेख किया है। प्रेमचंद के साहित्य में सम्पूर्ण जनमानस मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रेमचंद हिंदी का स्वाभिमान हैं।मनुष्यता की भावना जगाना ही प्रेमचंद का ध्येय है। कृषक और वणिक संस्कृति में प्रेमचंद सदैव श्रमिक का पक्ष लेते हैं।प्रेमचंद का साहित्य श्रेय और प्रेम का मार्ग है। महाविद्यालय की प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेमचंद हर वर्ग के प्रिय है तत्कालीन समाज की वास्तविक दशा का सुंदर चित्रण उनके साहित्य की धरोहर है। उनके साहित्य में नारी स्वातंत्र्य का सजीव चित्रण मिलता है। कार्यक्रम में वक्त के रुप मे महाविद्यालय की Iqac प्रभारी उषाकिरण अग्रवाल ने कहा कि धूसर जीवन की उदासी, निराशा का सूचक है वही धूसर बौद्धिकता का परिचायक भी है। उन्होंने गबन उपन्यास पर फ़िल्माये गीत का गायन भी किया। हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सविता मिश्रा ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य मानवता के प्रति समर्पण का वास्तविक मर्म है । उन्होंने प्रेमचंद के उपन्यास और कहानी सेवासदन,गोदान,मंत्र, ईदगाह की सार्थकता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सदस्य श्री पुरुषोत्तम जी ने फाउंडेशन के उद्देश्य और क्रियाकलापों की जानकारी दी। कार्यक्रम में छात्राओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। वक्ताओं से सवाल- जवाब किये गए। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मंजू देवी कोचे ने किया।आभार प्रदर्शन डॉ. किरण शर्मा द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राध्यापक श्रीमती चंद्रज्योति श्रीवास्तव, डॉ. शम्पा चौबे,डॉ, सरिता दुबे, विभिन्न विभागों के प्राध्यापक और बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।

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