कुरमापाली का सच भाजपा कार्यकर्ताओं ने छुपाया, कांगे्रस को बदनाम करने के लिये लिया झूठ का सहारा

by Kakajee News

रायगढ़। खरसिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम कुरमापाली में मतदान के दिन घटी मारपीट घटना का सच अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है। इस मतदान केन्द्र में हार से बौखलाये भाजपा के कथित समर्थकों द्वारा पहले तो वहां चुनाव लड रहे उमेश पटेल को बदनाम करने की नियत से यह आरोप लगाये कि वे हार के डर से शराब व पैसा बांट रहे हैं। साथ ही साथ उनके समर्थक जो कि चुनाव में बतौर एजेंट काम कर रहे थे उन्हें भी जबरन रोककर पीटा गया और जब पुलिस ने कार्रवाई की तो उल्टा मंत्री के दबाव में भाजपा कार्यकर्ताओं को फंसाने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा कर दिया। सच्चाई से परे इस घटना का कडवा सच यह है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पिटाई से घायल पारस साव के आग्रह पर भी दोनों भाजपा कार्यकर्ता देर रात कोतरा रोड थाने से छोडे गए।
इतिहास साक्षी है कि खरसिया विधानसभा में स्व. अर्जुन सिंह ने जब चुनाव लडा था तब एक्का-दुक्का घटना के बाद इस विधानसभा क्षेत्र में मतदान संपन्न हुआ था उसके बाद से आज तक इस विधानसभा क्षेत्र में कभी भी मतदान के दौरान शांति भंग नही हुई जबकि कुरमापाली की घटना एक ऐसी घटना है जिसने खरसिया विधानसभा क्षेत्र के शांतिपूर्ण मतदान में एक बदनुमा दाग लगा दिया है और उसका ठिकरा भाजपा कद्दावर मंत्री उमेश पटेल पर फोडने में लगी है। हकीकत यह है कि उमेश पटेल के कहने से ही दोनों भाजपा कार्यकर्ताओं को न केवल माफ किया गया बल्कि थाने से भी रिहाई कराने में उनका अहम रोल था। सूत्र बताते हैं कि कुरमापाली में कांगे्रस का एजेंट बनकर शांतिपूर्ण ढंग से काम करने वाले पारस साव को शराब बांटने के आरोप में घेर कर पीटा गया और इसकी सच्चाई को दबाने के लिये कांगे्रस को बदनाम कर दिया गया। स्थानीय कांगे्रस कार्यकर्ता बताते हैं कि खरसिया विधानसभा क्षेत्र में कांगे्रस के प्रति माहौल से घबराये भाजपाईयों का यह हथकंडा था कि झूठे आरोप लगाकर राजनीति माहौल बनाते हुए उमेश पटेल को बदनाम कर देना।
सूत्र यह भी बताते हैं कि मतदान के दिन कुरमापाली में घटी मारपीट की घटना की जानकारी मिलते ही खुद मंत्री उमेश पटेल भी मौके पर पहुंचे थे और उन्होंने पूरी सच्चाई जानने के बाद पुलिस को आवश्यक दिशा निर्देश देकर किसी को भी झूठे आरोप में नही फंसाने का भी आदेश दिया था। इतना ही नही उन्होंने अपने कार्यकर्ता पारस साव की पिटाई होनें के बाद भी इस मामले को रफा-दफा करने के निर्देश भी दिये थे, अगर वहां उमेश पटेल समय पर नही पहुंचते तो स्थिति गंभीर हो जाती है। चूंकि क्षेत्र के कांगे्रसी हमेशा स्व. नंदकुमार पटेल के समय से चुनाव से लेकर हर समय शांतिपूर्ण तरीके से काम करते हैं और मतदान के समय तो कोई ऐसा कदम नही उठाते जिसके चलते कांगे्रस को बदनाम होना पड़े लेकिन भाजपा ने यहां अपना दाव खेलते हुए कांगे्रस को ही हारा हुआ बताकर शराब व पैसा बांटने का आरोप लगाते हुए निर्दोश कार्यकर्ता पारस साव को घेरकर पीट दिया और जब पुलिस ने पिटाई करने वाले भाजपाईयों को पकड़कर कोतरा रोड थाने लगाया तो दोनों को निर्दोश बताते हुए भाजपाईयों ने उमेश पटेल सहित खरसिया विधानसभा में भय व आतंक का झूठा आरोप लगाते हुए अपनी राजनीति रोटियां सेकने का प्रयास किया। अगर समय पर उमेश पटेल को हस्तक्षेप नही होता तो यह स्थित उलट होती। जिसका अंदाजा खुद भाजपाई जानते हैं।

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