रायगढ़ । अक्षय तृतीया यानी भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पर भगवान परशुराम की भव्य शोभा यात्रा शहर के परशुराम मंदिर से होते हुए नगर भ्रमण करेगी। यात्रा को यादगार बनाने के लिए महिला करमा दल और भगवान परशुराम के लिए विशेष बग्गी मंगाया गया है। ब्राम्हण सेवा समिति की पहल पर 10 मई को सर्व ब्राह्मण समाज और आमजन इस शोभा यात्रा में शामिल होंगे इसके साथ ही भव्य भंडारे का भी आयोजन भी किया जाएगा। परशुराम जन्मोत्सव ब्राह्मण समाज बीते 10 दिनों से मना रहा है। आदर्श आचार संहिता लागू होने से सीमित दायरे में समाज की महिलाएं विविध आयोजन कर रही हैं। 10 मई को शोभायात्रा भी आचार संहिता और नियमों के तहत निकली जायेगी। समिति के लोगों ने बताया कि शोभायात्रा के अस्त्र-शत्र का प्रदर्शन नहीं होगा। सिर्फ सांकेतिक रूप से इनकी पूजा होगी।
शोभायात्रा के एक दिन पहले शहर के होटल साकेत में आयोजित पत्रकारवार्ता में ब्राम्हण सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष विजय शर्मा, वर्तमान अध्यक्ष विजय वीरभान शर्मा, अमित शर्मा, अरविंद शर्मा, कमल किशोर शर्मा, पवन शर्मा, आशीष शर्मा और विक्रांत शर्मा ने संयुक्त रूप से बताया कि 2011 में ब्राम्हण सेवा समिति का पंजीयन हुआ। अक्षय तृतीया 10 मई को परशुराम जन्मोत्सव पर स्थानीय हंडी चौक स्थित परशुराम मन्दिर से शाम 4 बजे धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाएगी। साथ ही भव्य भण्डारा भी होगा। विगत 1 मई से 4 दिवसीय महिला मंडल ने भी विविध कार्यक्रम हुआ। अब 10 मई को परम्परा के अनुसार पहली मर्तबे परशुराम की शोभायात्रा बग्घी में सवार होकर निकलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि परशुराम मन्दिर में विशेष पूजा और महाआरती होगी। इसमें जिलेभर से सर्व ब्राम्हण समाज के लोग सपरिवार शामिल होकर एकता का परिचय देंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई बार बैठकें भी हो चुकी है। जिला और पुलिस प्रशासन का भी विशेष सहयोग मिलता है। परशुराम भवन हेतु जमीन की मांग की गई थी। कांग्रेस शासन में भूमि मिली भी उर्दना के पास। इसके बावजूद परशुराम चौक की मांग आज भी पूरी नहीं हुई है।
बाद में होगा सामूहिक उपनयन कार्यक्रम
ब्राह्मण सेवा समिति के अमित शर्मा ने बताया कि रायगढ़ शहर में करीब 20,000 ब्राह्मण परिवार रहते हैं। भले की वह अलग भाषा या बोली बोलें पर एक मंच पर हम सब साथ हैं। भगवान परशुराम जन्मोत्सव के अलावे पूरे कैलेंडर वर्ष में समाज विभिन्न गतिविधियों को आयोजित करता है। इस बार से हम सामुहिक उपनयन (जनेऊ) संस्कार आयोजित कराने का विचार कर रहे हैं। जिस पर मंथन जारी है और संभवतः इस साल से यह परंपरा भी शुरू हो जाए।