शेखर त्रिपाठी ने एक और उपलब्धि की अपने नाम, मैजिक एंड आर्ट यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से किया सम्मानित, मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ नाम ,,

by Kakajee News
पत्थलगांव ।  शहर के प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञ शेखर त्रिपाठी ने एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। विविध क्षेत्रों में उनकी योग्यता को देखते हुए देश की ख्यातिलब्ध संस्था मैजिक एंड आर्ट यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। इसके साथ ही उनका नाम मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी शामिल हो गया है।
डॉ शेखर त्रिपाठी शहर का एक जाना माना नाम है। हाल के समय में उनकी गिनती शहर और प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक लोगों में होती रही है परंतु इससे इतर उन्होंने समाज और कला के क्षेत्र में भी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया है। स्व धर्मदेव शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र शेखर त्रिपाठी बाल्यकाल से ही मेधावी प्रवृत्ति के रहे हैं। किशोरावस्था में प्रमुख रूप से चित्रकला और शेर ओ शायरी में उनकी रुचि रही। शेर ओ शायरी में उन्होंने अनूठे आयामों को छुआ वही चित्रकला के माध्यम से जीवन के अलग-अलग  रंगों को चित्रित किया। संगीत का क्षेत्र भी उनसे अछूता नहीं रहा। गीत संगीत की कला में माहिर शेखर त्रिपाठी ने एक अर्से तक अलग अलग मंचों पर अपनी कला की प्रस्तुति से लोगों के मन को स्पर्श करने में कामयाबी हासिल की। मंच संचालन में माहिर शेखर त्रिपाठी राजनीति के क्षेत्र का भी माना हुआ नाम हैं। प्रखर वक्ता श्री त्रिपाठी ने राजनीतिक मंचों से राज्य गौ सेवा आयोग के सदस्य जैसे संवैधानिक पद तक का सफर तय किया है। इस दौरान वे पार्षद भी रहे। वहीं इन सबसे अलग शेखर त्रिपाठी के नाम 400 से भी अधिक विवाह संपन्न कराने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। गौरतलब है कि उनके पिता स्व धर्मदेव शास्त्री कई धर्मशास्त्रों के ज्ञाता थे। उनकी गिनती प्रकांड विद्वानों में होती थी। पारिवारिक संस्कारों का प्रभाव बालक शेखर के मन पर भी पड़ा और बचपन से ही उनकी रुचि कर्मकाण्ड के प्रति जागृत हुई। होलिका दहन जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में वे निरंतर 25 वर्षों से बतौर पुरोहित शामिल होते रहे हैं। साथ ही उन्होंने 12 वर्ष की आयु से ही अपने पिता स्व धर्मदेव के साथ विवाह संस्कार कराना प्रारंभ कर दिया था। कालांतर में भी उनकी रुचि इस विधा के प्रति बनी रही और 55 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते उन्होंने 400 से भी अधिक लोगों के विवाह संस्कार पूरे कराए। इसमें और भी हैरान करने वाली बात यह रही कि श्री त्रिपाठी के द्वारा संपादित कराए गए विवाह संस्कारों में कई पिता और पुत्र के नाम भी शामिल हैं। शेखर त्रिपाठी की बहुआयामी प्रतिभा को देखते हुए मैजिक एंड आर्ट यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। इसके साथ ही उनका नाम मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो गया है। उल्लेखनीय है कि यह संस्था देश के सभी राज्यों में असाधारण प्रतिभाओं की खोज और कार्यों का संग्रहण कर उन्हें रेखांकित करने का एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का मंच है। क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाली डॉ शेखर त्रिपाठी इकलौती शख्सियत हैं। मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल होने के बाद उन्होंने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और फिर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल होने की इच्छा जताई है। डॉ त्रिपाठी ने बताया कि पिता और पुत्र के बाद अब वे जल्द ही तीसरी पीढ़ी में पोते का भी विवाह संपन्न कराकर रिकॉर्ड बुक में एक बार फिर अपना नाम दर्ज कराएंगे।

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