रायपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में गुरुचरण सिंह होरा, उनके पुत्र तरनजीत सिंह होरा और गुरमीत सिंह भाटिया को अग्रिम जमानत प्रदान की है। ये तीनों देवेंद्र नगर थाने में दर्ज एक धोखाधड़ी के मामले में आरोपी हैं, जो हैथवे सीसीएन मल्टिनेट प्राइवेट लिमिटेड के जबरन अधिग्रहण और कंपनी के नाम बदलने से संबंधित है।
आवेदकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे, प्रियंक अग्रवाल और अभिषेक गुप्ता ने अदालत के समक्ष दलीलें पेश कीं। उन्होंने यह तर्क दिया कि इस मामले में उनके मुवक्किलों को झूठा फंसाया गया है और विवाद की प्रकृति पूरी तरह से नागरिक है, न कि आपराधिक। शिकायतकर्ता अभिषेक अग्रवाल द्वारा किए गए समझौते का भी उल्लेख किया गया, जिसमें यह बताया गया कि समझौता एक स्वतंत्र मध्यस्थ गजराज पगारिया की उपस्थिति में हुआ था, जो शिकायतकर्ता के दावों को कमजोर करता है।
यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और 34 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें आपराधिक विश्वासघात का आरोप है। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आवेदकों ने हैथवे सीसीएन मल्टिनेट का जबरन अधिग्रहण कर उसे नकली दस्तावेजों के आधार पर ग्रैंड अर्श के नाम से पंजीकृत किया। अभियोजन की ओर से उप महाधिवक्ता यू.के.एस. चंदेल ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया, जबकि आपत्ति पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव और ऋतिका दुबे ने भी अपने तर्क प्रस्तुत किए।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पाया कि मामला मुख्यतः नागरिक प्रकृति का है और इसलिए तीनों आवेदकों को अग्रिम जमानत दी जा सकती है। अदालत ने आवेदकों को एक निजी मुचलका और स्थानीय जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया, साथ ही यह सख्त शर्तें लगाईं कि आवेदक गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे, अदालत की हर सुनवाई में उपस्थित रहेंगे और भविष्य में किसी अन्य कानूनी उल्लंघन में संलिप्त नहीं होंगे। इसके अलावा, आवेदकों को अपने आधार कार्ड और फोटोग्राफ अदालत में जमा करने का निर्देश दिया गया।
यह निर्णय होरा परिवार और उनके सहयोगी गुरमीत सिंह भाटिया के लिए राहत भरा है, जो इस विवाद में कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे थे।