मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ट्रेन में लूट का हैरान करने वाला एक मामला सामने आया है। इस लूट को व्यापमं केस में आरोपी एक कांस्टेबल ने एमपी पुलिस के दो अन्य कांस्टेबलों और एक आरपीएफ जवान के साथ मिलकर अंजाम दिया था। इन सबने मिलकर ट्रेन में यात्रा कर रहे तीन स्वर्ण व्यापारियों से 60 लाख रुपए लूट लिए। वहीं घटना के मास्टरमाइंड कांस्टेबल का कहना है कि व्यापमं केस में उसके सारे पैसे खर्च हो गए थे। इसलिए वो यह गुनाह करने पर मजबूर हो गया था। मामला सामने आने के बाद व्यापमं में आरोपी सत्येंद्र गुर्जर और ग्वालियर साइबर सेल में पोस्टेड अभिषेक तिवारी और विवेक पाठक को टर्मिनेट कर दिया गया है। चौथे आरोपी के खिलाफ कार्यवाही के लिए आरपीएफ को लिख दिया है।
एसपी ग्वालियर अमित सांघी के मुताबिक संजय अग्रवाल, संजय गुप्ता और इनके एक अन्य साथी झांसी में सोने की ईंटों के थोक व्यापारी हैं। यह दिल्ली से सोने की ईंट खरीदते हैं और झांसी में लाकर ज्वैलर्स को सप्लाई करते हैं। 17 जून को यह तीनों व्यापारी जबलपुर-निजामुद्दीन एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे। इसी दौरान तीन पुलिस और एक आरपीएफ जवान ने ग्वालियर के नजदीक डाबरा स्टेशन पर इनसे बैग दिखाने को कहा। इन सभी ने खुद को राजस्थान पुलिस का क्राइम ब्रांच अफसर बनाया और व्यापारियों को हवाला रैकेट में शामिल बताकर धमकाया। इस बीच पुलिसवालों ने उनका 60 लाख रुपयों से भरा बैग सीज कर दिया और उसे लेकर ट्रेन से उतर गए।
इसके बाद व्यापारियों ने जीआरपी ग्वालियर में शिकायत दर्ज कराई। एसपी के मुताबिक सीसीटीवी फुटेज की मदद से तीन दिन पहले पुलिस ने इन्हें पहचाना और गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान इन्होंने सतेंद्र गुर्जर को घटना का मास्टरमाइंड बताया। इसके बाद पुलिस ने सतेंद्र गुर्जर को गिरफ्तार किया। सतेंद्र ने पूछताछ के दौरान अपना जुर्म कुबूल कर लिया। एक जांच अधिकारी के मुताबिक उसने बताया कि साल 2015 में सीबीआई ने उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। उसके खिलाफ व्यापमं भर्ती में गलत ढंग से कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पास करने का आरोप लगा। व्यापमं कोर्ट केस में उसका काफी पैसा खर्च हो गया और उसे कई लोगों से उधार भी लेना पड़ा। उसने सोचा था कि जब बहाली हो जाएगी तो सभी के पैसे वापस कर देगा। लेकिन जांच में देरी होती गई और कर्ज बढ़ता चला गया। आखिर उकता कर उसने इस लूट की योजना बना डाली। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि यह किसी अन्य घटना में तो शामिल नहीं हैं? साथ ही इस बात की भी तफ्तीश की जा रही है कि उन्हें व्यापारियों के बारे में सूचना और अन्य जानकारियां किसने दीं।