दानापुर रेल मंडल समेत पूर्व मध्य रेल में हाई स्पीड ट्रेनों की रफ्तार के दावों के बीच यात्रियों के सफर को सुविधाजनक और आसान बनाने के रेलवे के दावे अभी तक हकीकत में उतरना बाकी है। दानापुर मंडल समेत जोन के सभी पांच रेलमंडल में वर्षों पुरानी समय सारिणी के नहीं बदले जाने से रोजाना छह लाख से अधिक लोग परेशान हो रहे हैं।
रेलवे का तर्क है कि अभी कोरोना के बाद से सभी स्पेशल ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। इस लिहाज से अभी समय सारिणी नहीं बदली जा सकती। पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ राजेश कुमार का कहना है कि रेगुलर ट्रेनों के चलाए जाने के बाद ट्रेनों की समय सारिणी में बदलाव होगा। उनका कहना है कि ट्रेनों की स्पीड बढ़ने के कारण समय से पूर्व ही ट्रेन स्टेशन व आसपास में पहुंच रही है। साथ ही अब ट्रेनों को खुलने व पहुंचने वाले स्टेशन के बीच ही कंट्रोल किए जाने का प्रावधान है। इसलिए कुछ स्टेशनों के बीच कम दूरी होने पर भी उनके सफर का समय अधिक लगता है। उन्होंने बताया कि रेगुलर ट्रेनों के चलाए जाने के बाद समय सारिणी बदलेगी। उधर, दानापुर रेल मंडल के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों की समय सारिणी अमूमन नवंबर में बदले जाने का प्रावधान है। ऐसे में सवाल यह है कि रेलवे की सुस्ती के चलते यात्रियों की परेशानी को कब तक अनदेखा किया जाएगा।
चार लाख टिकटों की होती है बिक्री
पूर्व मध्य रेल में रोजाना करीब चार लाख टिकटों की बिक्री होती है। वहीं, करीब दो लाख यात्री जोन के स्टेशनों पर बाहर से आते हैं। इन यात्रियों को अब भी पुराने समय के हिसाब से सफर करने की मजबूरी है। अलग-अलग रेलखंड पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के बाद भी वे समय से पहले नहीं पहुंच पा रहे हैं। ट्रेनें स्टेशनों पर या आउटर पर खड़ी करके समय को मेंटेन किया जा रहा है।
समय सारिणी बदलने से कारोबार में होगी प्रगति
रेल यात्रियों व रेलवे से जुड़े कारोबारियों की समस्या पर चर्चा के लिए बनी समिति के सदस्य व बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल बताते हैं कि ट्रेनों की स्पीड बढ़ने, यार्ड के री मॉडलिंग होने, रेल लाइन के विद्युतीकृत होने का फायदा कारोबारियों को अब तक नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि अगर ट्रेनें पहले की तुलना में कम समय में गंतव्य तक पहुंचेगी तो माल की गुणवत्ता बेहतर होगी। कारोबारियों का रेलवे पर भरोसा और बढ़ेगा। चैंबर अध्यक्ष का कहना है कि मंडल रेल उपभोक्ता परामर्शदात्री समिति की बैठक होने से सबके मुद्दे सामने आएंगे। इसी समिति के सदस्य व भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनीष कुमार ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्ष से एक भी बैठक नहीं हो सकी है। बैठक होने से यात्रियों व रेलवे से जुड़े लोगों के मुद्दों पर चर्चा होती।
यात्री समिति की बैठक क्यों नहीं
बिहार दैनिक यात्री संघ के महासचिव शोएब कुरैशी ने बताया कि रेलवे को चाहिए कि समय सारिणी में जल्द से जल्द सुधार करे। कहा कि सभी बैठक वर्चुअल हो रही है तो यात्रियों के लिए बनी समिति की बैठक क्यों नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि रेलवे जल्द से जल्द समय में सुधार करे व यात्रियों को सफर में लगने वाले समय की बचत कराए। बता दें कि सभी रेल मंडल में बनाई गई मंडल रेल उपभोक्ता परामर्शदात्री समिति की हर वर्ष दो बैठक होती है। लेकिन डेढ़ वर्ष से बैठक ही नहीं हुई है।
