एंबुलेंस गांव तक पहुंची नही…खाट से महिला को ले जा रहे थे अस्पताल तभी घने जंगल में………….पढ़िये पूरी खबर

by Kakajee News

सूरजपुर डेस्क न्यूज। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के अंतर्गत आने वाला चांदनी बिहारपुर गांव मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसा एक छोटा सा गांव है। आजादी के बाद से आज तलक यहां के पक्की सड़क का निर्माण नही हो सका है। ऐसी स्थिति में यहां के ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा। जब इस गांव में कोई बीमार होता है तो जड़ी बूटी या फिर खाट के माध्यम से उसे अस्पताल ले जाया जाता है। इसी के तहत इस गांव के एक महिला को प्रसव पीडा शुरू हुई तो परिजन उसे खाट से अस्पताल ले जाने के लिए खाट को कंधे में ढो कर पथरीले पहाड़ो रास्तों का सफर तय कर ही रहे थे कि घने जंगल में महिला की डिलीवरी हो गई।

सूरजपुर जिले में एक गर्भवती महिला ने घने जंगल में ही खाट पर अपने बच्चे को जन्म दिया है। मामला जिले के ओड़गी ब्लॉक के चांदनी बिहारपुर इलाके का है। गुरुवार की सुबह महिला को प्रसव पीड़ा होनी शुरू हुई तो महिला के पति व परिवार के एक अन्य सदस्य खाट से अस्पताल ले जाने के लिए निकल गए थे। खाट को कंधे में ढो कर पथरीले पहाड़ी रास्तों को पार कर ही रहे थे कि, बीच जंगल में अचानक खाट में ही किलकारी गूंजने लगी। बताया जा रहा है कि, मां और बेटा दोनों सुरक्षित हैं। बीच रास्ते में ही डिलीवरी होने से परिजन महिला को अस्पताल ले जाने की बजाए वापस घर ले आए।

जानकारी के मुताबिक, चांदनी बिहारपुर इलाके की गर्भवती सविता पंडो, की बुधवार की रात से प्रसव पीड़ा हो रही थी। गुरुवार की सुबह पति पतराज पंडो ने एम्बुलेंस कर्मचारियों से संपर्क किया। लेकिन सुगम रास्ता नहीं होने के चलते एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। ऐसे में खाट के माध्यम से लगभग 60 से 70 किमी का पैदल सफर तय कर गर्भवती को ओगड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाने परिजन निकल गए थे। बीच जंगल में बच्चे के जन्म का यह पहला मामला है। वहीं इस इलाके के ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित हैं। हालांकि यहां सड़क बनाने के लिए प्रशासन ने पहल जरूर की है।

चांदनी बिहारपुर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित घने जंगल और पहाड़ों के बीच बसा हुआ एक छोटा सा गांव है। यहां पहुंचने पक्की सड़क भी नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मोहताज होना पड़ता है। जब भी कोई ग्रामीण बीमार होता है या तो उसका जड़ी बूटियों से इलाज करवाया जाता है या फिर खाट के माध्यम से ओगड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जाता है। गर्भवती महिलाओं को खाट से अस्पताल पहुंचाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।

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