पानी के तेज बहाव में परिवार से बिछड़ा हाथी शावक, ग्रामीणों ने बचाई जान, वन विभाग ने वापस जंगल में छोड़ा, लेकिन…..देखें वीडियों

by Kakajee News

जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के अंतर्गत आने वाले तपकरा वन परिक्षेत्र में लगातार भय और आतंक का पर्याय बने जंगली हाथियों के आतंक से जहां ग्रामीण थर्राये हुए हैं। 6 महीनों से जंगली हाथियों के आतंक से जूझने वाले ग्रामीणों ने नदी में बहकर गांव तक पहुंचने वाले हाथी के शावक को पूरी संवेदना के साथ न केवल बचाया बल्कि उसे वन विभाग तक पहुंचाकर उसकी जान बचाई। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने न केवल बचाया बल्कि उसे इलाज के बाद जंगल में छोड़ दिया। जंगल में छोड़ने के बाद भी आज फिर से वह गांव में वापस पहुंच गया, तब वन विभाग ने इसे अपने पास रख लिया है। दल से भटके हुए बच्चे को लेकर अभी भी जंगल में जंगली हाथियों का चिंघाड़ती आवाज को लेकर तपकरा के समडगा गांव के लोग थर्रा रहे हैं।

जंगल में एक नही दो नही बल्कि पूरे दो दर्जन से भी अधिक जंगली हाथियों का दल जशपुर जिले के तपकरा व पास के गांव समडगा के जंगलों में विचरण कर रहा है और यहां सुबह से शाम तक एक हथिनी की चिंघाड से क्षेत्र के लोग इस कदर दहशत में हैं कि वे जंगल के आसपास भी नही जा रहे हैं। हथिनी की चिंघाड का कारण यह है कि उसका नन्हा शावक भटक गया है जिसको लेकर वह परेशान व विचरित होकर भटक रही है। लेकिन उसका बच्चा वन विभाग को तपकरा गांव के पास भटकते हुए घायल अवस्था में मिल जाता है।

हथिनी के शावक के गांव के पास भटकने की जानकारी देने वाले ग्रामीण महेश कुमार ने बताया कि नन्हा हाथी शावक अपने दल के साथ पास की ईब नदी को पार कर रहे थे और यह नन्हा शावक तेज बहाव में बह गया था और इस बहते बच्चे को नदी से निकालकर गांव के स्कूल में रखे और इसकी सूचना फारेस्ट वालों को दी और उनकी सूचना पर फारेस्ट विभाग के लोग भी पहुंचे साथ ही साथ डीएफओ भी पहुंचे। इसके बाद अब फारेस्ट विभाग के लोग बच्चे को दूसरी जगह ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।

ऐसी ही जानकारी हाथी मित्र दल के सदस्य राजकुमार ने दी। उन्होंने बताया कि नदी पार करते समय यह बच्चा बह कर भटक गया है और इसके सभी साथी जंगल में इसका इंतजार कर रहे हैं और इसको अब वापस छोड़ने की कोशिश कर रहे है। मौके पर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौजूद है। कोशिश यह की जा रही है कि बच्चे को जल्द से जल्द उसकी मां से मिलाया जा सके।

जंगल में चिंघाड़ते हाथियों के दल से यह बात साफ हो जाती है कि नन्हा शाव उनके दल से भटकने के बाद हथिनी के साथ दल के अन्य हाथी भी काफी आक्रोशित व विचलित हैं और इसीलिये वन विभाग नन्हें शावक को उनके पास पहुंचाने के लिये हर स्तर पर तैयारी कर रहा है। जशपुर जिले के वन मंडलाधिकारी बताते हैं कि तपकरा वन परिक्षेत्र में सक्रिय जंगली हाथियों के दल 14-15 दिनों से सक्रिय है और इनमें से एक छोटा बच्चा जो लगभग एक महीनें का है। वह नदी के बहाव के बाद गांव मंे आ गया था और गांव वालों ने इस शावक को सुरक्षित जगह में पहुंचाया और जानकारी मिलने के बाद वह भी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे हैं उनका पहला प्रयास यह है कि बिना किसी देरी के हाथी के बच्चे को प्रोटोकाल के तहत झुंड से मिलवायें।

मंडलाधिकारी जितेन्द्र उपाध्याय का यह भी कहना था कि वेटनरी डाक्टर की मदद से इसका स्वास्थ्य प्रशिक्षण भी करवाया जा रहा है। उनका यह मानना है कि वन विभाग के प्रयास से हाथी मित्र दल तथा स्थानीय ग्रामीणों के बीच जो समन्वय बना है उसी का परिणाम है कि सभी ने मिलकर अपनी संवेदना दिखाई और हाथी के बच्चे के प्रति आक्रोशित होनें के बजाए पूरी संवेदना के साथ उसे बचा कर वन विभाग को सूचना दिया। जबकि यह इलाका पिछले 6 महीने से हाथियों के आतंक से जूझ रहा है।

लगातार 10 घंटे के प्रयास के बाद वन विभाग की टीम ने हाथी के बच्चे का खाने पीने का खयाल रखते हुए हाथी मित्रदल,वनरक्षक ,ट्रैकर व ग्रामीणों की मदद से हाथी झुण्ड का लोकेशन जंगल में लिया गया। जंगली हाथियों के दल का लोकेशन मिलने के बाद हाथी शावक को जंगल में छोड़ा गया। लेकिन इस प्रथम प्रयास को उस वक्त झटका लगा जब उस इलाके से हाथियों का दल काफी दूर जा चुका था और वह भटका हुआ बच्चा फिर से गांव वापस पहुंच गया है। बहरहाल अब देखना यह है कि एक तरफ अपने दल से भटके हुए बच्चे को खोजते हुए चिंघाड़िते हुए हाथियों को रोकने के लिये वन विभाग अब कौन सा नया प्रयास करता है जिससे उसके बच्चे को दल तक पहुंचाया जा सके।

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