अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नही ले रहा है। लगातार बढ़ती हाथियों की संख्या से आधा छत्तीसगढ़ प्रभावित है और लोग इनके आतंक से इस कदर थर्राये हुए हैं कि शाम ढलते ही हाथी प्रभावित क्षेत्रों में सन्नाटा पसर जाता है। पहले रायगढ़ साथ ही साथ धरमजयगढ़ वन मंडल और उसके बाद जशपुर के अलावा सरगुजा, कोरबा और अब कभी महासमुंद तो कभी जांजगीर चांपा तो कभी सराईपाली में भी हाथियों की धमक देखने को मिलती है अब स्थिति यह है कि हर दूसरे दिन जंगली हाथी खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाते ही है साथ ही साथ फसल की रखवाली करने वाले गरीब आदिवासियों को कुचलकर मौत के घाट उतार रहे हैं। बीते एक सप्ताह के भीतर सरगुजा संभाग में तीन लोगों की जानें जंगली हाथ ले चुकी हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के सामने जब हाथी प्रभावित इलाके के लोग इनके आतंक से छुटकारा दिलाने के लिये गुहार लगाते हैं तो प्रदेश के मुखिया बड़े आराम से यह कहते हैं कि यहां जंगली हाथी आतंक 2000 के बाद से आतंक शुरू हुआ है और उन्होंने कहा कि पहले इनकी संख्या कम थी अब धीरे-धीरे ओडिसा, झारखण्ड से आमद होनें के चलते इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। हमने इस दिशा में काम भी किया है। अब बिलासपुर व सरगुजा संभाग में इनकी आमद कम हो गई है। लेकिन दुर्ग व रायपुर संभाग में हाथियों का उत्पात दिखाई दे रहा है।
हाथियों के लिये मानव व हाथी के बीच द्वंद्व रोकने के लिये विभाग के द्वारा बहुत से जन जागरण अभियान चलाये गए हैं और उन्हांेने यह भी कहा कि इसके अलावा सरकार द्वारा नरवा घुरवा योजना के तहत किये गए कामों से हाथियों को पीने का पानी की समस्या से छुटकारा मिला है और वहां उनका उत्पात कम हो रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री महोदय को नही मालूम कि इनकी बढ़ती संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों व किसानों के लिये मौत का फरमान लेकर आती है।
अंबिकापुर के ग्राम बतौली क्षेत्र में एक आदिवासी महिला अपने पति के साथ मक्के की फसल की रखवाली कर रही थी और तड़के करीब चार बजे एक साथ तीन से चार हाथियों ने खेत में घुसकर पहले मक्के की फसल को रौंद दिया और जैसे ही आदिवासी महिला की आंख खुली उसको भी अपने सूंढ से पटककर अपने पैरों से कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। जैसे तैसे उसका पति किशनु जान बचाकर भागा।
अपनी आंखों से जंगली हाथियों के द्वारा उत्पात के साथ-साथ पत्नी की मौत देखने वाला पति किशनु बताता है कि सुबह 4 बजे अचानक उनकी नींद खुलती है और उन्हें लगा कि खेत के पास झाड़ हिलने से लगा कि कोई जंगली जानवर घुसा है और जब तक उन्हें समझ आता तब तक जंगली हाथी ने उसकी पत्नी को पैरा तले रौंद दिया। इस दृश्य को देखकर वह भागकर अपनी जान बचाया।
सरगुजा के वन मंडलाधिकारी पंकज कमल भी बताते हैं कि इलाके में दो जगह जंगली हाथियों का विचरण है। जिसमें दस हाथियों का दल उदयपुर वन मंडल मंे सक्रिय हैं और तीन हाथियों का दल सीतापुर के आसपास विचरण कर रहा है, जो अंबिकापुर के पास ही है। देर रात जंगली हाथियों ने बतौली वन परिक्षेत्र के एक खेत में घुसकर एक महिला को मौत के घाट उतार दिया। इससे पहले इनको बताया गया था कि क्षेत्र में जंगली हाथियों का दल विचरण कर रहा है। उन्होंने बताया कि महिला की मौत हो गई है और पति ने भाग कर अपनी जान बचाई। संभाग ने जंगली हाथियों को लगातार टेªस किया जा रहा है और सूचना मिलते ही आसपास में अलर्ट कर दिया जाता है।
बहरहाल अकेले सरगुजा संभाग में एक सप्ताह के भीतर तीन ग्रामीणों को जंगली हाथियों ने कुचलकर मार डाला है साथ ही साथ आधा दर्जन से भी अधिक घरों को भी नुकसान पहुंचाया है। इतना ही नही किसानों की पकी पकाई धान व मक्के के साथ-साथ अन्य फसलांे को भी बुरी तरह रौंद कर अपने आतंक को इस कदर बढ़ा चुके हैं कि क्षेत्र के लोग अब शाम ढलते ही खेत की बजाए घरों में ही दुबक जाते हैं।