छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी के खिलाफ गलत जाति प्रमाण पत्र पेश करने के मामले में FIR दर्ज की गई है। खुद को अनुसूचित जनजाति की बताते हुए ऋचा ने यह जाति प्रमाण पत्र 2020 में मरवाही उपचुनाव के समय शासन के पास जमा कराया था। राज्य स्तरीय जाति छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के खिलाफ मुंगेली के सिटी कोतवाली थाने में केस दर्ज कराया है।
साल 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी ने भी नामांकन दाखिल करते हुए चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी पेश की थी, जिसमें उन्होंने ऋचा रूपाली साधु के नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी होना बताया था। लेकिन जून 2021 को उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के गोंड अनुसूचित जनजाति के स्थायी प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया था। उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के अध्यक्ष डीडी सिंह थे। उन्होंने कहा था कि जांच में पाया गया कि ऋचा जोगी के पिता क्रिश्चियन थे और समिति ने सभी पक्षों की सुनवाई करने के बाद यह फैसला लिया है।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी (JCCJ) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी के खिलाफ सहायक आयुक्त एल आर कुर्रे ने जांच रिपोर्ट के आधार पर केस दर्ज कराया है। शिकायत में कहा गया है कि ऋचा रुपाली साधु (शादी से पहले का नाम) ने अवैध रूप से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र तैयार कर इसे उपयोग किया। ऋचा के खिलाफ सामाजिक प्रस्थिति प्रमाणीकरण अधिनियम 2013 की धारा 10 के तहत अपराध क्रमांक 651 दर्ज किया गया है।
दरअसल ऋचा जोगी को मुंगेली जिले के जरहागांव तहसील के पेंड्रीडीह गांव से अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया था। इस बारे में शिकायत मिलने पर राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने विस्तार से जांच की और 23 जून 2021 को रिपोर्ट दाखिल की। इसमें ऋचा के प्रमाणपत्र को अवैध ठहराते हुए इसे निरस्त करने के लिए आदेशित किया गया था। वहीं मुंगेली के जिला प्रशासन को कार्रवाई के लिए भी निर्देशित किया गया था।
समिति ने 16 पृष्ठ के फैसले में छानबीन समिति ने ऋचा जोगी का दावा खारिज करने के लिए विजिलेंस सेल की रिपोर्ट, ऋचा जोगी की ओर से दिए गए भूमि और शैक्षणिक दस्तावेज और उनके पुरखों के गांव के लोगों के बयानों को आधार बनाया था। छानबीन समिति का निष्कर्ष था कि ऋचा जोगी अपने पुरखों के गोंड जनजाति का होने का दावा प्रमाणित नहीं कर पाईं। ऐसे में 27 जुलाई 2020 को मुंगेली से जारी उनका जाति प्रमाणपत्र निरस्त किया जाता है। छानबीन समिति के उप पुलिस अधीक्षक को उनका जाति प्रमाणपत्र जब्त करने को भी अधिकृत किया गया था।
उच्च स्तरीय जाति प्रमाणपत्र छानबीन समिति इससे पहले ऋचा जोगी के ससुर और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का भी प्रमाणपत्र खारिज कर चुकी थी। छानबीन समिति ने अपने फैसले में जिन तथ्यों का उल्लेख किया था, उसमें ऋचा जोगी के पुरखों की जाति की पूरी कहानी धर्मांतरण की परतों में उलझकर रह गई थी। जाति प्रमाणपत्र के समर्थन में ऋचा जोगी ने अपने पुरखों को मुंगेली जिले के पेण्ड्रीडीह गांव का निवासी बताया था। जांच में सामने आया कि उनके पूर्वज वर्णवासी साधू, निवासी विश्रामपुर जिला बलौदा बाजार ने यहां 1940 में जमीन खरीदी थी।
बलौदा बाजार के इंग्लिश मिडिल स्कूल में उनके पूर्वज का नाम दर्ज है, लेकिन जाति में क्रिश्चियन लिखा हुआ है। खुद ऋचा जोगी के स्कूली दस्तावेजों में जाति कॉलम में क्रिश्चियन दर्ज है। भूमि क्रय-विक्रय के 12 दस्तावेजों में खुद ऋचा जोगी और उनके पूर्वज खुद को ईसाई (जन्म से गैर आदिवासी) बता चुके हैं।