शुतुरमुर्ग एक ऐसा लंबा चौड़ा पक्षी है जो उड़ नहीं सकता. हालांकि, यह इतनी तेज रफ्तार से दौड़ता है कि बड़ी-बड़ी रेसर गाड़ियों को भी पीछे छोड़ दे. इस पक्षी को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं.
लेकिन इसके बारे में जो सबसे दिलचस्प बात निकल कर सामने आई है, वह यह है कि यह पक्षी कीट पतंगों घास फूस के अलावा पत्थर और कंकड़ भी खाता है. अब सवाल उठता है कि आखिर शुतुरमुर्ग ऐसा क्यों करता है. आज हम इसके पीछे की ही वजह जानेंगे.
क्यों खाता है कंकड़ पत्थर
शुतुरमुर्ग आमतौर पर छोटे पौधे, पेड़ों की जड़, पत्ती, बीज, छोटे कीड़े और छोटे-मोटे जानवरों का मांस खाते हैं. यह पक्षी सर्वाहारी होता है, इसलिए यह दोनों चीजें खा सकता है. हालांकि, इसके बावजूद इस पक्षी के बारे में कहा जाता है कि वह कंकड़ पत्थर भी खाता है. दरअसल, शुतुरमुर्ग ऐसा इसलिए करता है ताकि वह अपने पेट के अंदर मौजूद खाने को पचा सके. शुतुरमुर्ग के मुंह में दांत नहीं होते, यानी वह अपना पूरा खाना सीधा निगल जाता है. इसलिए वह खाने को चबा नहीं पाता, अब ऐसे में खाने को छोटे-छोटे टुकड़ों में पीसने के लिए वह कुछ छोटे-छोटे कंकर पत्थर भी निगल जाता है और फिर उन्हीं की मदद से पेट के अंदर ही वह निगले हुए खाने को पचाने की कोशिश करता है.
कुछ दिनों तक बिना खाए पिए भी रह सकते हैं शुतुरमुर्ग
शुतुरमुर्ग के बारे में कहा जाता है कि वह कई दिनों तक बिना पानी पिए और बिना कुछ खाए रह सकता है. इसके साथ ही यह पक्षी लंबे समय तक जीवित रहते हैं. एक शुतुरमुर्ग लगभग 40 से 45 वर्ष तक जिंदा रहता है. हालांकि अगर इसे किसी चिड़ियाघर में पाला गया हो और रोजाना अच्छी खुराक मिल रही हो तो यह शुतुरमुर्ग 70 से 75 साल तक भी जी सकता है.
आज इस पक्षी को दुनिया बचा रही है
एक वक्त था जब पूरी दुनिया में इस पक्षी का खूब शिकार हुआ. यह पक्षी उड़ नहीं सकते थे और इनके शरीर में ढेर सारा मांस मौजूद होता था. इसलिए शिकारी इन्हें आसान शिकार समझकर इनका बहुतायत में शिकार करते थे. हालांकि, इसके बावजूद भी यह पक्षी आज भी बचे हुए हैं और अब पूरी दुनिया में इन्हें बचाने पर जोर दिया जा रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि शुतुरमुर्ग अपने जन्म के सिर्फ 6 महीने के अंदर ही अपनी पूरी लंबाई पा लेते हैं और 3 से 4 साल तक की उम्र में इनके शरीर का पूरा विकास हो जाता है.