सूरजपुर वन विभाग ने घुई वन परिक्षेत्र में पैंगोलिन की तस्करी करने की फिराक में घूम रहे 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से लगभग 10 किलो पैंगोलिन का सिल्क जब्त किया गया है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में पैंगोलिन की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है।
वन विभाग को सूचना मिली थी कि घुई रेंज के रामकोला इलाके में कुछ लोग पैंगोलिन के सिल्क को बेचने की फिराक में हैं। जानकारी मिलने के बाद DFO सूरजपुर ने टीम गठित कर एक सदस्य को ग्राहक बनाकर तस्करों के पास भेजा और उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपियों के नाम चरकू, ततगु और विजय बताए जा रहे हैं। सभी रामकोला इलाके के ही निवासी हैं। फिलहाल वन विभाग ने सभी आरोपियों पर वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
कांकेर जिले में भी 3 महीने पहले वन विभाग ने पैंगोलिन की तस्करी करते हुए पति, पत्नी और दामाद समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। पैंगोलिन कोयलीबेड़ा के एक किसान के खेत में पहुंच गया था। जिसके बाद किसान ने वन विभाग को सूचना देने के बजाय उसे अपने घर में छिपाकर रख लिया था और उसे बेचने की फिराक में था। भानुप्रतापपुर में आरोपियों ने पैंगोलिन का 12 लाख रुपए में सौदा किया था।
पैंगोलिन नेपाल, श्रीलंका, भूटान और भारत के पहाड़ी और हल्के मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में इसे सल्लू सांप भी कहा जाता है। यह एक विलुप्त दुर्लभ प्रजाति का जीव है, जो ज्यादातर एशिया और अफ्रीका में पाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों रुपए में होने के कारण भी पेंगोलिन की तस्करी जमकर की जाती है।
खासतौर पर इसकी डिमांड चीन में सबसे ज्यादा है, जो दवाई बनाने में पैंगोलिन के खाल और मांस का इस्तेमाल करते हैं। पैंगोलिन धरती पर लगभग 60 मिलियन सालों से महज चीटियां खाकर अपना जीवनयापन करता आ रहा है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के मुताबिक, दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले ही 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है। यह एक ऐसा जीव है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक होती है।
शरीर पर कड़ी और सुनहरी-भूरी स्केल्स वाले इन जीवों का मांस भी खूब शौक से खाया जाता है। एक किलो पैंगोलिन के मांस की कीमत करीब 27,000 रुपये तक होती है। वेट मार्केट में दूसरे कम कीमत के सस्ते जीवों के साथ पैंगोलिन नहीं बिकता, बल्कि महंगे रेस्त्रां ही इसे बेचते या पकाते हैं।