जिले में 150 से अधिक जंगली हाथियों का दल कर रहा विचरण, हाथी प्रभावित गांव के ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग गांव-गांव में करा रहा मुनादी

by Kakajee News

रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक लंबे अर्से से जंगली हाथियों का आतंक व्याप्त है। यहां के धरमजयगढ़ व रायगढ़ वन मंडल में बीते कई सालों से हाथी और मानव के बीच द्वंद में कभी हाथी तो कभी इंसानों की मौत की घटनाएं लगातार सामने आते रही है। राज्य शासन हाथी और मानव के बीच हो रहे इस द्वंद को रोकने कई योजनाएं चलाने के बावजूद आज तलक इसमें सफलता नही मिल सकी है।

रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल में 150 से ज्यादा जंगली हाथियों ने डेरा डाल रखा है। केवल धरमजयगढ़ वन मंडल में ही 150 जंगली हाथियों का दल विचरण कर रहा है, जिसमें 37 नर, 75 मादा और 38 शावक शामिल हैं। वन विभाग ने ग्रामीणों को हाथियों को लेकर अलर्ट जारी किया है और जंगल की ओर जाने की मनाही की है। जंगली हाथी छाल के बेहरामार, कुडेकेला, गलीमार, हाटी, लोटान, बनहर, औरानारा, पुरूंगा, खड़गांव, गिधकालो में विचरण कर रहे हैं वहीं धरमजयगढ़ क्षेत्र के आंेगना, बायसी, रूपुंगा, पोटिया, कोयलार में जंगली हाथियों का अलग-अलग दल विचरण कर रहा है।
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक छाल खड़गांव में 22, हाटी में 25, बेहरामार में 16 वहीं धरमजयगढ़ के कोयलार में 38, पोटिया में 18, कापू में 14 जंगली हाथी के अलावा धरमजयगढ़ और छाल के अलग-अलग गांवा में जंगली हाथियों का दल विचरण कर रहा है। वन विभाग के अनुसार कोरबा वनमंडल से 22 जंगली हाथियों का दल छाल परिक्षेत्र के खडगांव परिसर में एवं 40 से अधिक जंगली हाथियों का दल धरमजयगढ़ के बायसी और कोयलार में विचरण कर रहा है।

रायगढ़ वन परिक्षेत्र में 04 हाथी
रायगढ़ वन मंडल में इन दिनों 04 जंगली हाथी विचरण कर रहे हैं। जिसमें रायगढ़ रेंज के पड़िगांव में 2 , कांटाझरिया में 1 चारमार में 1 जंगली हाथी विचरण कर रहे हैं। जिले के इन दोनों मंडलों में जंगली हाथियों की संख्या धरमजयगढ़ वन मंडल में अधिक है। रायगढ़ में भी बीच-बीच में इनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है।

जंगली हाथियों के अनुकूल है यहां के जंगल
छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है, यहां की नदियों में बहता पानी और घने जंगल हाथियों के साथ-साथ अन्य वन्य प्राणियों के लिए भी अनुकूल है। खासतौर पर हाथियों का दल हमेशा यहां के गावों में उत्पात मचाते रहता है, जिसकी वजह से दो दर्जन से भी अधिक गांव के ग्रामीण दहशत के साये में जीने पर विवश हो चुके हैं। हाथी प्रभावित क्षेत्रों में हाथी टैªकिंग दल एवं हाथी मित्र दल के द्वारा गांव-गांव में मुनादी कराकर गांव के ग्रामीणों को जंगल की ओर नही जाने समझाईश दी जा रही है। साथ ही साथ हाथियों के मूवमेंट पर लगातार ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है।

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