आखिर क्यों आ रहा बिपरजॉय तूफान? जानिए दुनिया के पांच सबसे खतरनाक तूफानों के बारे में, चली गई थी लाखों की जान

by Kakajee News

दुनिया में हर साल कई तूफान आते हैं। इनमें कई कमजोर होते हैं, जबकि कुछ बेहद खतरनाक होते हैं। अब इस बीच भारत के कई इलाकों पर च्रकवाती तूफान बिपरजॉय (Biporjoy Cyclone) का खतरा मंडरा रहा है। इस तूफान ने खतरनाक रूप धारण कर लिया है और इसका असर भी नजर आने लगा है। गुजरात, मुंबई और केरल के समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरे उठ रही हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने च्रकवाती तूफान को लेकर अलर्ट जारी किया है।

 

आज हम आपको बताएंगे कि च्रकवाती तूफान क्यों आते हैं? इसके साथ ही दुनिया के पांच सबसे खतरनाक तूफान के बारे में भी, जिनमें लाखों लोगों की मौत हो गई थी। आमतौर पर बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर शांत है। यही वजह है कि बंगाल की खाड़ी में ज्यादातर चक्रवाती तूफान बनते हैं। लेकिन कुछ सालों में देखा गया है कि अरब सागर में चक्रवाती तूफान के आने के दर में वृद्धि हुई है और उनकी भयावहता भी बढ़ रही है।

 

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी के पर्यावरण वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल का कहना है कि अरब सागर गर्म नहीं है, जबकि बंगाल की खाड़ी गर्म है। उन्होंने बताया कि बंगाल की खाड़ी में जब प्रतिवर्ष दो से तीन चक्रवाती तूफान आते थे, तब अरब सागर में एक भी चक्रवाती तूफान नहीं आता था। लेकिन अब अरब सागर भी गरम हो रहा है। इसकी वजह से यहां पर चक्रवात आ रहे हैं और इनकी तीव्रता भी ज्यादा है।

 

हमेशा सागरों के गर्म इलाकों के ऊपर बिपरजॉय जैसे तूफान बनते हैं, जहां का औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है। समुद्र के पानी का तापमान बढ़ने की वजह से इसके ऊपर की मौजूद हवा गर्म हो जाती है। जब यह हवा ऊपर की तरफ उठने लगती है, तो उस जगह पर कम दबाव का क्षेत्र बनने लगता है। इसे भरने के लिए पास मौजूद ठंडी हवा कम दवाब वाली जगह की तरफ जाने लगती है। गर्म और ठंडी हवाओं के मिलने से तूफान बनता है। इस चक्रवात की वजह से तेज हवाओं के साथ बारिश होती है। तूफान के हवा की रफ्तार 35 किमी प्रतिघंटे से लेकर 200 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से भी अधिक हो सकती है।

 

भोला चक्रवाती तूफान
यह तूफान पूर्वी पाकिस्तान यानी अब के बांग्लादेश में साल 1970 में आया था। यह तूफान बेहद भयावह था। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस तूफान में करीब पांच लाख लोगों की जान चली गई थी। बंगाल की खाड़ी में इस तूफान की शुरुआत 8 नवंबर 1970 को हुई थी और 12 नवंबर को पूर्वी पाकिस्तान में पहुंच गया। इसके बाद तूफान ने भयानक कहर बरपाया।

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