रायगढ़। रायगढ़ जिले का एकमात्र स्टेडियम में शासकीय आयोजन और मंत्रियों के हेलीकाप्टर उतारने जेसे कई अन्य आयोजन होनें के कारण अपना मूल स्वरूप खोते जा रहा है। जिसके कारण प्रतिदिन यहां मॉरिंग वाॅक पर आने वाले लोगों के अलावा खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रायगढ़ स्टेडियम में हाल ही में 10 से 25 जून तक वन रक्षक बनने पुरुष और महिला अभ्यार्थियों के लिये यहां भर्ती प्रक्रिया का आयोजन का कार्यक्रम रखा गया था। इन 15 दिनों में रायगढ़ स्टेडियम में होनें वाले इस आयोजन की वजह से पूरे पंद्रह दिन स्टेडियम में सभी खेल आयोजनों को बंद कर दिया गया था और मॉर्निग वॉक पर भी रोक लगा दी गई थी। वन विभाग की भर्ती प्रक्रिया खत्म होने के बाद अब इस खेल मैदान की हालत बद से बदतर हो चुकी है। जगह-जगह पसरी गंदगी और टूटे हुए रेलिंग यहां आसानी से देखे जा सकते हैं। स्टेडियम परिसर में फैली गंदगी जहां किसी संक्रमण बीमारी को न्यौता दे रही है वहीं टूटे रेलिंग और चबूतरे किसी अनहोनी घटना की ओर ईशारा कर रही है। इतनी ही नहीं स्टेडियम का पाथ वे पुरा बर्बाद कर दिया गया है, यहां सुबह आने वाले खिलाड़ी और मॉरनिग वॉक करने वाले लोग पैदल भी नही चल पा रहे। पुरा मैदान कीचड़ से और ट्रैक्टर चलने से किसी खेत की तरह नज़र आ रहा है।
रायगढ़ स्टेडियम रोजाना वाक पर पहुंचने वाले लोगों ने बताया कि वन रक्षक बनने महिला , पुरूष अभ्यार्थियों के लिये यहां भर्ती प्रक्रिया का आयोजन कराया गया था जिससे रायगढ़ स्टेडियम की हालत बद से बदतर हो चुकी है, जगह-जगह टेªक्टर से स्टेडियम को खोद डाला गया है। कई जगह गंदगी पसरी हुई है। शासन के द्वारा एक तरफ जहां रायगढ़ स्टेडियम को संवारने की बात कही जाती है वहीं हकीकत में यहां लगातार शासकीय आयोजन के जरिये रायगढ़ स्टेडियम बद से बदतर हालत में पहुंचाने कोई कसर नही छोड़ी जा रही है। हालत ये है कि भर्ती प्रक्रिया खत्म होने के तीन दिन बीत जाने के बाद भी टेंट का सामान तक नहीं उठाया गया है।
कुछ दिनों पहले ही शहर के कुछ खिलाड़ियों ने रायगढ़ स्टेडियम में हेलीपेड नही बनाने की मांग को लेकर जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा था। चूंकि उनके पास रायगढ़ स्टेडियम ही एकमात्र विकल्प बचा है जहां दूर-दूर खिलाड़ी यहां खेलने आते है और स्टेडियम में ही हेलीपेड बना देने की स्थित में उन्हें अपने खेल को निखारने का अवसर भी नही मिल पाएगा।
स्टेडियम प्रभारी विजय चौहान ने भी इस मामले में दूरी बना ली है, वो स्टेडियम आ नही रहे हैं और वन विभाग ने भी भर्ती प्रक्रिया खत्म होने के बाद यहां झांका तक नहीं है। बताया जाता है कि वन विभाग ने अपने कार्यक्रम आयोजित करते समय ये वादा किया था कि भर्ती प्रक्रिया खत्म होने के बाद यहां सफ़ाई करवाने के लिए दो लाख रुपए का अतरिक्त फंड जारी किया जाएगा। बहरहाल जिला मुख्यालय का एक मात्र स्टेडियम का ये हाल देखकर खिलाडियों में नाराजगी देखी जा रही है।






