स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका सामान्य महिलाओं के मुकाबले करीब 24 फीसदी कम रहती है। साथ ही प्रसव के दौरान बढ़ा वजन व अन्य विकार भी तेजी से दूर होते हैं।
एम्स, सफदरजंग सहित देशभर के अन्य अस्पतालों में स्त्री रोग विज्ञान विभाग की डॉक्टरों ने स्तनपान करवाने वाली और न करवाने वाली महिलाओं का आंकड़ा जुटाया। इसमें पाया गया कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं में से केवल तीन फीसदी महिलाओं में ही स्तन कैंसर होने के मामले पाए। जबकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने दिल्ली के सात बड़े अस्पतालों में कैंसर की जांच के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 27.8 फीसदी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी से जूझ रही हैं। विशेषज्ञों की माने तो स्तनपान न केवल बच्चे के लिए, बल्कि महिला के लिए भी सुरक्षा कवच है। यह दोनों को कई बीमारियों से बचाता है।
सफदरजंग अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. बिंदु बजाज ने कहा कि रिसर्च बताते हैं कि स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर होने का खतरा न के बराबर रह जाता है। इसके अलावा स्तन का दूध मां से उसके बच्चे के साथ एंटीबॉडी साझा करता है।
उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होती है कि नवजात के जन्म के तुरंत बाद ही मां से बच्चे को स्तनपान करवाया जाए। शुरुआती मां के दूध में कोलेस्ट्राम होता है। जो बहुत जरूरी है। यह भी देखा गया है कि पहले दो दिन मां का दूध बूंद-बूंद आता है और महिला स्तनपान से बचने का प्रयास करती है। जबकि स्तनपान करने से ही दूध की गति बढ़ती है। अन्य डॉक्टर ने बताया कि महिलाएं अपने मासिक धर्म चक्र के कारण अपने जीवन में कुछ हार्मोन के संपर्क में आती हैं। ये हार्मोन कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। गर्भावस्था और स्तनपान के महीनों में उनके मासिक धर्म चक्र कम हो जाते हैं, जिससे इन हार्मोनों के संपर्क में आने का खतरा कम हो जाता है।
चलाया गया जागरुकता अभियान
सफदरजंग अस्पताल में स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान डिलीवरी के लिए आई महिलाएं व प्रसव के बाद मां को स्तनपान के तरीके व फायदे बताए गए। इस मौके पर अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने कहा कि स्तनपान हर नवजात का पहला अधिकार है। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान करवाना चाहिए। अगले छह माह तक बच्चे को स्तनपान के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिए।
पीलिया रोगी शिशु को ज्यादा जरूरत
जन्म के दौरान पीलिया पीड़ित शिशु को स्तनपान की ज्यादा जरूरत होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे नवजात बच्चों को मशीन में रखना पड़ता है, जिसमें रोशनी की मदद से उपचार किया जाता है। इस रोशनी के कारण नवजात में निर्जलीकरण की परेशानी बढ़ सकती है। इसकी रोकथाम के लिए शिशु को ज्यादा या जब भी जरूरत हो स्तनपान करवाना चाहिए। इससे बच्चों में निर्जलीकरण की समस्या दूर हो जाती है।
होती है स्तन की जांच
सफदरजंग अस्पताल में डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं का प्रसवपूर्व देखभाल वार्ड में स्त्री रोग विज्ञान विभाग की डॉक्टर स्तन की जांच करती है। यदि कोई दिक्कत दिखाई देती है तो पहले ही उपचार शुरू कर दिया जाता है। साथ ही महिलाओं को बताया जाता है कि प्रसव के बाद शिशु को कैसे स्तनपान करवाना चाहिए। स्तनपान करने का क्या तरीके हैं। इसे लेकर क्या भ्रम है और इन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।
स्तनपान से शिशु को मिलती है इनसे सुरक्षा
अस्थमा
मोटापा
टाइप 1 मधुमेह
अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस)
कान में संक्रमण
पेट में कीड़े होने की संभावना
