महंगा पड़ रहा ट्रेन का सफर: सुविधा का बहाना… यात्रियों की कट रही जेब, रेलवे का भर रहा खजाना

by Kakajee News

रेलवे ने ट्रेनों में जनरल कोच की संख्या चार से घटाकर दो कर दी है। अब स्लीपर श्रेणी के कोच हटाकर उनकी जगह वातानुकूलित (एसी) कोच लगाए जा रहे हैं। इससे रेल यात्रा लगातार महंगी हो रही है। इसकी वजह से 90 यात्रियों की क्षमता वाले जनरल कोच में 250-300 यात्री सफर कर रहे हैं।
यात्री सुविधाओं के नाम पर रेलवे का यह कदम यात्रियों की जेब पर भारी पड़ रहा है। एसी कोच अधिक होने से अमीर तबके को राहत मिल रही है, वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की परेशानी बढ़ गई है। 22 कोच की रेक में अब सात की जगह सिर्फ दो-दो जनरल व स्लीपर कोच लगाए जा रहे हैं।

24 कोच की रेक में दो जनरल, पांच स्लीपर व 15 एसी कोच लगाए जा रहे हैं। रेलवे का तर्क है कि सभी ट्रेनों में रेक की संरचना समान करने से संचालन में आसानी होगी।

स्लीपर में 190, एसी-वन में 1175 रुपये देकर पहुंच रहे दिल्ली
बरेली से दिल्ली का सामान्य श्रेणी का किराया 110 रुपये है। स्लीपर श्रेणी में यह किराया 190 से 210 रुपये तक है। एसी-थ्री में 560, एसी-टू में 750 और एसी-वन श्रेणी में 1175 रुपये का है। तत्काल टिकट लेने पर यात्रियों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और स्पेशल ट्रेनों के किराये में भी भिन्नता है।
इन चार ट्रेनों में घटाए स्लीपर कोच
रेलवे ने बरेली से होकर गुजरने वाली 15005/15006 गोरखपुर-देहरादून और 15001/15002 मुजफ्फरपुर-देहरादून एक्सप्रेस में एक-एक स्लीपर कोच हटाकर उसके स्थान पर एसी-वन श्रेणी का कोच लगाया है। इन दोनों ट्रेनों की रेक 17-17 कोच की है। आला हजरत और महाकाल एक्सप्रेस में भी स्लीपर श्रेणी के दो-दो कोच घटाए गए हैं।
22 कोच की रेक संरचना
श्रेणी पहले अब
जनरल 04 02
स्लीपर 07 02
एसी थ्री 06 10
एसी टू 02 04
एसी वन 01 01
पेंट्री कार 01 01
पावर कार 01 01
एसएलआर 00 01

यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित और आरामदायक सेवाएं उपलब्ध कराना रेलवे की प्राथमिकता है। इस क्रम में कई सुधार किए गए हैं। वातानुकूलित टिकटों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए कुछ ट्रेनों में इस श्रेणी के कोच बढ़ाए जा रहे हैं। – पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे

स्लीपर कोच घटाना ठीक नहीं
यात्री सुनील कुमार सिंह ने कहा कि सामान्य दिनों में ही ट्रेनों में यात्रा के लिए कंफर्म टिकट मिलना मुश्किल होता है। स्लीपर कोच की संख्या घटाना ठीक नहीं है। ट्रेन को सुविधाजनक और आम आदमी की सवारी माना जाता है। एसी कोचों के कारण यात्रा महंगी हुई है।

एडवोकेट रंजीत सिंह ने कहा कि एसी कोच में यात्रा करने वालों की सुविधा के साथ रेलवे को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का भी ध्यान रखना चाहिए। ट्रेनों में सीट मिलना मुश्किल होता है। स्लीपर कोच के अलावा एसी श्रेणी के कोचों में भी कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता।

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