Raigarh News:-रायगढ़। यूं तो पत्रकार जगत देश का चैथा स्तंभ कहलाता है। लेकिन बीते कुछ सालों से अगर अकेले रायगढ़ की बात करें तो यहां हर बार पत्रकारों को अपमानित करने के लिये पुलिस व जिला प्रशासन मौका नही चूकता और जब अपने कव्हरेज की बारी आती है तो पत्रकारों को आगे लाकर अपनी बात आसानी से प्रसारित करवा लेते हैं बावजूद इसके जब पत्रकारों का मौका आता है तो उन्हें अछूत सा व्यवहार झेलना पड़ता है। ऐसा ही नजारा एक बार फिर से जिला निर्वाचन कार्यालय में देखने को मिल रहा हैं जहां अघोषित पत्रकारों के प्रतिबंध के चलते चुनाव जैसी बडी कव्हरेज के लिये उन्हें रोजा जा रहा है।
बीते चार दिनों से रायगढ़ जिला कलेक्टर कार्यालय जो विधानसभा चुनाव के चलते निर्वाचन अधिकारी का मुख्यालय भी है। उसके चारो ओर पुलिस का ऐसा पहरा लगा दिया गया है। जहां लगता है कि कोई आतंकवादी या नक्सली हमला यहां होनें वाला हो, लेकिन जब जानकारी मिलती है तब यह पता चलता है कि यह सब रोजाना कव्हरेज करने वाले पत्रकारों के लिये है। जिन्हें रोकने के लिये कलेक्टर कार्यालय के मुख्य मार्ग से लेकर बाकी सभी दरवाजों में ताला लगा दिया है। दरवाजा बंद करने का कारण जिले के नामचीन पत्रकारों को यह भी पता नही चल रहा है कि कौन प्रत्याशी नामांकन लेने आ रहा है और कौन सी पार्टी के नेता नामांकन भरके जाने वाले हैं। ऐसा क्यों हो रहा है यह तो कोई बताने को तैयार नही है लेकिन इतना तय है कि कव्हरेज करने वाले पत्रकारों को जान बुझकर चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कव्हरेज से सुरक्षा व्यवस्था या अन्य कारणों का हवाला देकर उन्हें अपमानित किया जा रहा है।
हर बार पत्रकारों को किया जाता है अपमानित
विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को जागरूक करने के अलावा उसके नियमों का सर्वाधिक प्रसारण करना हो तब जिला निर्वाचन अधिकारी बकायदा पत्रकारों को बुलाकर सम्मानित तरीके से बातचीत करते हुए बेहतरीन कव्हरेज की गुहार लगाते हैं और यह भी बताते हैं कि चुनावी कव्हरेज में उनको पूरे सम्मान के साथ मौका दिया जाएगा। लेकिन इसके ठीक उलट रायगढ़ जिला निर्वाचन कार्यालय में पत्रकारों को कव्हरेज करने के लिये पहली बार पूरा इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया है। स्थिति यह है कि कलेक्टर कार्यालय के मुख्य मार्ग से लेकर सभी विभागों से लगे अन्य रास्तों को भी बंद कर दिया गया है। इतना ही नही अगर कोई पत्रकार आसपास दिखता है तो उन्हें फटकार लगाकर वहां से दूर रहने को कहा जाता है। ऐसे में अगर कोई पत्रकार कव्हरेज की दुहाई देता है तो छोसे छोटा खाकी वर्दी वाला उन्हें चमकाते हुए बड़े अधिकारियों के आदेश का हवाला देते हुए दुत्कार देता है। इतना ही नही रोजाना एक दर्जन से भी अधिक पत्रकार कलेक्टर कार्यालय पहुंचते हैं जिनकी नौकरी चुनाव के समय और महत्वपूर्ण हो जाती है। लेकिन इस दौरान उन्हें महत्वपूर्ण कव्हरेज से दूर रखकर अपमानित किया जाना कहां तक उचित है।
क्या कहते हैं जिला कलेक्टर
इस पूरे मामले में पत्रकारों ने जिला कलेक्टर कर्तिकेया गोयल को भी अवगत कराते हुए यह बताया कि अगर सभी गेटों पर ताले लगाकर पत्रकारों को प्रवेश से वंचित किया जाएगा तो कैसे वे अपनी कव्हरेज करेंगे। इस पर कलेक्टर कार्तिकेया गोयल का कहना है कि वे इस मामले में जल्द ही उनकी परेशानी को दूर करने के लिये पहल करेंगे और ऐसा बोलकर वे अपनी मिटिंग की ओर निकल गए।
बहरहाल देखना यह है कि अकेले रायगढ़ जिले में पहली बार ऐसी व्यवस्था जिसमें देश के चैथे स्तंभ को ही अपमानित करते हुए कव्हरेज से रोका जा रहा है तो वरिष्ठ अधिकारी इस गंभीर मामले में कोई ठोस कदम उठाकर पत्रकारों के लिये कोई रास्ता निकालते हैं या नही।