कोरोनावायरस का नया वैरिएंट JN.1 पिछले दो महीनों से दुनियाभर में तेजी से फैलता देखा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कम समय में ही इसका प्रसार 40 से अधिक देशों में हो गया है। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वैज्ञानिकों ने लोगों को सावधान करते हुए कहा है कि ये वैरिएंट भविष्य के लिए खतरा बनकर उभर सकता है, सभी लोगों को इससे बचाव को लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कई देशों में इस नए वैरिएंट के कारण संक्रमण की एक और लहर की आशंका भी जताई जा रही है।
भारत में भी ओमिक्रॉन का JN.1 सब-वैरिएंट तेजी से संक्रमण बढ़ाता हुआ देखा जा रहा है। इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के डेटा में सभी को अलर्ट करते हुए कहा गया है कि ये नया वैरिएंट भारत के भी अधिकांश हिस्सों में फैल चुका है, जो खतरनाक संकेत हो सकता है। कोरोना के इस वैरिएंट के कारण किस प्रकार के जोखिम हो सकते हैं, क्या इससे बचाव के लिए नए सिरे से बूस्टर वैक्सीनेशन की आवश्यकता होगी? आइए इस बारे में जानते हैं।
पहले देश में पिछले 24 घंटे के कोविड-19 डेटा पर नजर डाल लेते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना के 756 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं, इसके साथ अब कुल एक्टिव संक्रमितों की संख्या बढ़कर 4049 पहुंच गई है।
INSACOG के डेटा से पता चलता है कि भारत में JN.1 प्रमुख स्ट्रेन बन गया है। पूर्वी क्षेत्र को छोड़कर- जहां ओडिशा और पश्चिम बंगाल ने वैरिएंट की सूचना दी है ये वैरिएंट भारत के लगभग सभी हिस्सों में फैल गया है।
डेटा के मुताबिक JN.1 वैरिएंट का सबसे ज्यादा असर दक्षिण के राज्यों में देखा जा रहा है। उसके बाद उत्तर और पश्चिम के राज्यों से संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में इंसाकॉग प्रयोगशालाओं में पूर्व के राज्यों से परीक्षण किए गए सभी कोविड पॉजिटिव सैंपल में से केवल 28.6 प्रतिशत JN.1 के थे। इसकी तुलना में दक्षिण के राज्यों से आने वाले सैंपल की टेस्टिंग में 95-100 फीसदी सैंपल के परिणाम नए वैरिएंट से संक्रमण वाले देखे जा रहे हैं।
मासिक रिपोर्ट से पता चलता है कि दिसंबर में JN.1 मामलों की में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। रविवार तक के इंसाकॉग डेटा के अनुसार 536 JN.1 मामलों में से 503 का पता दिसंबर की ही सैंपल टेस्टिंग में लगाया गया है।
रविवार को INSACOG वेबसाइट पर अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 682 सैंपल में JN.1 वैरिएंट का पता लगाया है। केरल में नए वैरिएंट के सबसे अधिक 154 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 111, गुजरात में 76, गोवा में 51, राजस्थान और तेलंगाना में 32-32, आंध्र प्रदेश में 29, तमिलनाडु में 22, दिल्ली में 16, कर्नाटक में आठ, ओडिशा में तीन और पश्चिम बंगाल में दो मामले हैं।
JN.1 की संक्रामक प्रकृति के बारे में इंटेंसिव केयर यूनिट के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ विक्रमजीत सिंह बताते हैं, ये वैरिएंट आसानी से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बच जाता है जिससे सभी लोगों में इसके कारण संक्रमण का खतरा हो सकता है। ये संक्रामक जरूर है पर गंभीर रोगों का कारक बनता नहीं दिख रहा है, ज्यादातर मामलों में संक्रमितों को बुखार, खांसी, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार और कुछ लोगों में सांस लेने की समस्याएं देखी जाती रही हैं। हालांकि इसका सबसे बड़ा खतरा ये है कि किसी आबादी में ये काफी तेजी से फैलने वाला वैरिएंट पाया गया है।