रायगढ़। फरवरी-मार्च माह में लगभग सभी स्कूलों के अतंर्गत वार्षिक परीक्षाएं संपन्न होती हैं। इन्हीं परीक्षाओं के साथ-साथ बोर्ड परीक्षाओं का दौर भी आरंभ होता है। अकसर, माता-पिता एवं शिक्षक, रिश्तेदार आदि परीक्षाओं का हौव्वा खड़े कर बच्चों की मानसिकता को नकारात्मक दिशा में ले जाते हैं। इसके चलते परिणाम यह होता है कि बच्चा रिजल्ट की चिंता करते हुए परीक्षा देने के दौरान ही घबरा जाता है।
बोर्ड परीक्षाओं में यह बात विशेष रूप से देखने आती है कि यदि बच्चे का एक पेपर भी बिगड़ जाता है, तो माता-पिता और शिक्षक का दबाव इतना हावी रहता है कि बच्चा या तो सभी पेपर बिगाड़ देता है या परीक्षा को उत्साह से देने की बजाय गलत कदम उठाकर जीवन को समाप्त करना आसान समझता है। ऐसी दशा में माता-पिता का परिवार तो खत्म होता ही है, साथ ही वह पौधा जो आगे चलकर किसी भी विधा में बरगद का वृक्ष बन सकता है, वह पौधा भी नष्ट हो जाता है। ऐसे समय में माता-पिता, शिक्षक व दोस्त आदि का फर्ज बनता है कि वह बच्चे को परीक्षा सामान्य रूप से लेने दें, उसकी तैयारी में उसकी मदद करें। बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए लगातार उससे बात करें। उसे बताएं कि परीक्षा वास्तव में जीवन का अंतिम भाग नहीं है, वरन् यह तो जीवन का आरंभ है। उसे यह भी समझाएं कि प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक विषय में महारत हासिल नहीं कर सकता। इसलिए जिस क्षेत्र में रुचि है, उस क्षेत्र के लिए विशेष तैयारी करें।
यदि गौतम अडाणी परीक्षा परिणाम को ही सर्वोपरि मानते, तो स्कूली शिक्षा प्राप्त गौतम अडाणी किसी संस्थान में आज मजदूर होते। लेकिन उन्होंने अपने महारत वाले क्षेत्र में संपूर्ण प्रयास किया और आज सफलतम उद्योगपति हैं। इसलिए मेरा यह मानना है कि परीक्षा जीवन का केवल एक कदम है, जो आपको बढ़ती उम्र के अनुसार शिक्षा ग्रहण करना और एक प्रमाण पत्र पाना सिखाता है। यहां यह बात सबसे ज्यादा जरूरी है कि परीक्षा को हौव्वा न बनाकर जीवन का ही एक हिस्सा मानकर चलें, बिलकुल भी तनाव न लें, अपनी तरफ से सौ प्रतिशत प्रयास करें।
अपनी क्षमता का आंकलन कर भविष्य का क्षेत्र चुनें, आप मानकर चलें कि आप योग्य हैं और जीवन के संघर्ष में अपनी मेहनत के बल पर अवश्य सफल होंगे। फिलहाल, यही सुझाव है, सभी माता-पिता एवं शिक्षकों के साथ-साथ प्यारे विद्यार्थियों को, कि परीक्षा देने के पूर्व एवं पश्चात् आपस में बात करते रहें, यदि किसी विषय का प्रश्नपत्र उम्मीद के मुताबिक न भी जाए, तो घबराए नहीं। बल्कि आने वाले विषय पर फोकस करें और याद रखें, जीवन के हर मोड़ पर परीक्षा का सामना करना है। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसने हर परीक्षा जीती हो, इसलिए यदि आज हारे हैं, तो कल जीतेंगे। यही सोचकर सकारात्मक रहें। आपकी उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ..।