बलरामपुर जिले के चारपारा में स्थित आदिवासी बालक आश्रम में अध्यनरत बच्चे मधुमक्खियों के डर से कैद में जीवन जीने को मजबूर हैं। यहां आश्रम के ठीक सामने दो पेड़ में 35 से अधिक मधुमक्खियों के छत्ते हैं, जिससे आश्रम में रहने वाले बच्चे और स्टाफ परेशान हैं। मधुमक्खियों ने अब तक आधा दर्जन बच्चों को काट लिया है।
घर से दूर आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहे छोटे छोटे आदिवासी बच्चे मधुमक्खी से परेशान हैं।हर साल यहां स्थित दो पेड़ में मधुमक्खी के 35 से अधिक छत्ते हैं और इन्होंने आश्रम को भी अपना घर बना लिया है। बच्चे बेहद परेशान हैं, आधा दर्जन से अधिक बच्चों को मधुमक्खियों ने काट लिया है और अब डर के कारण बच्चे आश्रम में ही रहते हैं। खाने और खेलने के लिए भी बाहर नही निकलते।
यहां पदस्थ अधीक्षक के निवास को भी मधुमख्खियों ने अपना आशियाना बना लिया है और डर के कारण अधीक्षक ने अपना कमरा ही छोड़ दिया है, क्योंकि कमरे में जिंदा और मृत सौ से अधिक मधुमक्खी मौजूद हैं।आश्रम अधीक्षक ने मधुमक्खी के छत्तों को हटाने के लिए कई विभागों को पत्र भी लिखा है लेकिन अभी तक कोई प्रयास नही हुआ है।
मधुमक्खियों के हमले से आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं और गर्मी के दिनों में ये और आक्रामक हो जाती हैं ऐसे में बच्चों के ऊपर हमेशा खतरा मंडरा रहा है। बरहाल देखने वाली बात होगी कि आखिर प्रशासन की नींद कब खुलती है।