रायगढ़ः- शासकीय पालूराम घनानिया वाणिज्य एवं कला स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायगढ़ के समाजशास्त्र संकाय में स्वागोत्सव एवं स्नातकोत्तर परिषद का गठन एक ऐतिहासिक एवं दूरदर्शी पहल के रूप में सामने आया। प्राचार्य एवं समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार एक्का की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम ने विद्यार्थियों को न केवल स्वागोत्सव, अपितु सामाजिक संरचना के मूल तत्वों से परिचित कराया गया, साथ ही उन्हें परिषद की कार्यशैली, नियमावली एवं उद्देश्य के प्रति भी जागरूक किया। अपने वक्तव्य में डॉ. एक्का ने एक संक्षिप्त पाठशाला में भारतीय समाजषास्त्री डॉ. भीम राव अंबेडकर, जिन्होंने भारत का संविधान बनाने सहित सामाजिक न्याय की अद्वितीय अवधारणा की नींव हम तक पहुंचाई। दूसरे क्रम में, उन्होंने भारतीय संस्कृति, जातियों, जनजातियों और शहरीकरण पर महत्पूर्ण शोध करने वाले श्री जी.एस. धुर्वे सहित अपने-अपने युग और समाज में गहन प्रभाव छोड़ने वाले विदेशी समाजशास्त्रियों एवं विचारकों में दुर्खीम एवं मैक्सवेबर जैसों के मत सामने रखे और अच्छे सिद्धांतों से सीख लेने के साथ-साथ अध्ययन को सार्थक आयामों तक ले जाने के लिए छात्र-छात्राओं को नेट व स्लेट सहित तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कब की जाती है, कैसे की जाती है और सफलता किस तरह पायी जाती है, इस बारे में सरलतम शब्दां में बतलाया और समझाया, ताकि विद्यार्थीगण उनके इस महत्वपूर्ण मार्गदर्षन को आसानी से आत्मसात कर सकें।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महेंद्र सप्रे एवं श्रीमती पिंकी सारथी ने परिषद की संरचना, कार्यप्रणाली एवं शैक्षणिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता, अनुसंधान प्रवृत्ति एवं सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को विकसित करना है। परिषद के नियमों में अनुशासन, सहभागिता, विचार-विनिमय एवं नवाचार को विशेष महत्व दिया गया। इस अवसर पर क्रमशः वरिष्ठ प्राध्यापकगण विद्याथियों की जिज्ञासा शांत करते नजर आए।
इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापकों में क्रमषः डॉ. ज्योति सोनी ने कहा, “विद्यार्थियों को स्वागतोत्सव जैसे विषयों से जोड़ना उनके नैतिक दृष्टिकोण को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” डॉ. हेम कुमारी पटेल ने इस परिषद को “शैक्षणिक समृद्धि का माध्यम” बताया, वहीं डॉ. डी.सी. पटेल ने इसे “सामाजिक चेतना के विस्तार का मंच” कहा। डॉ. ऊषा नायक ने परिषद की कार्यशैली को “संगठित एवं उद्देश्यपूर्ण” बताया और डॉ. आर.के. लहरे ने इसे “विद्यार्थियों के समग्र विकास का आधार” माना। अतिथि व्याख्याता श्री किशोर कुमार माली ने परिषद को “ज्ञान और अनुशासन का संगम” कहा। इस दौरान, सवाल-जवाब का दौर चला, विद्यार्थियों को संतोषप्रद उत्तर भी मिले। इधर, शिक्षक भी विद्यार्थियों का आंकलन कर संतुष्ट नजर आए।
उल्लेखनीय है कि आयोजन कक्ष और महाविद्यालय परिसर को रंगोलियों, लाइटिंग और स्लोगन, बैनर्स व गुब्बारों से सजाया गया था। जिसकी आकर्षक सुन्दरता देखते ही बन रही थी। सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों ने पूरे मनोयोग से व्याख्यानों का अनुसरण किया और उन्होंने परिषद के पदाधिकारियों, शिक्षकगणों व उपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों की श्रद्धा के साथ कार्यभार के पूर्ण पालन की शपथ ली। आयोजन समाजशास्त्र विभाग के इतिहास में एक अनुकरणीय अध्याय के रूप में दर्ज हुआ, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और सहभागिता की नई मिसाल कायम की। संपूर्ण आयोजन में संलग्न सहयोगी कर्मचारियों का योगदान भी सराहनीय रहा।
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