रायगढ़। दीपावली के दिन सड़क हादसे में बेटे की मौत के बाद जहां घर मातम में डूबा था, वहीं अब अस्थि कलश को लेकर परिवार में विवाद खड़ा हो गया। यह मामला रायगढ़ जिले का है, जहां मृतक युवक अरुण अगरिया की अस्थियों के विसर्जन को लेकर मां और बड़े पिता आमने-सामने आ गए।
जानकारी के मुताबिक, 20 अक्टूबर दीपावली के दिन अरुण अपने दोस्त के साथ कपड़ा लेने रायगढ़ जा रहा था। भगवानपुर के पास हुए हादसे में उसकी मौके पर ही मौत हो गई। अंतिम संस्कार के बाद जब तीसरे दिन तीजनहान के अवसर पर अस्थि कलश प्रयागराज ले जाने की तैयारी हुई, तो विवाद शुरू हो गया।
मृतक की मां विमल अगरिया, जो चिराईपानी में मितानिन के रूप में काम करती हैं, अस्थि कलश लेकर लौटी थीं। तभी उनके जेठ मदन सुंदर अगरिया अपने परिजनों के साथ पहुंचे और कलश अपने घर ले गए। इस बात पर दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक और धक्का-मुक्की तक की स्थिति बन गई।
क्या कहते हैं रिश्तेदार व पूर्व सरपंच
मृतक युवक के चाचा का भतीजा गाट राम अगरिया ने बताया कि सडक हादसे में युवक की मौत हो जाने के बाद शव का दाह संस्कार किया गया था, इसके बाद बिना उनकी जानकारी के अस्थी लेकर आ गए, जबकि रात को बैठक के दौरान उन्होंने कहा था कि हम अस्थी लेंगे। ये लोग चाहते रहे हैं अस्थी उन्हें दे दिया जाये ताकि वे आगे के कार्यक्रम कर सकें। विवाद की जानकारी मिलने के बाद डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची थी लेकिन वो यह कहकर चली गई कि आपके परिवार का मामला है आप लोग खुद निपटो। पूर्व सरपंच बुधवार सिंह अगरिया ने बताया कि दोनों पक्षों का बुलाकर समझाने की कोशिश की गई। लेकिन दोनों पक्ष नही माने, दोनों अपने-अपने जिद में अडे रहे। मृतक युवक की मां और उनके जेठ के बीच तालमेल नही है, इसलिये दोनों परिवार अलग-अलग दशकर्म करना चाहते हैं। लेकिन मृतक युवक की मां विमला दाह संस्कार स्थल की मिट्टी तक उन्हें देना नही चाहती।
मामले की सूचना पर कोतरा रोड पुलिस 112 टीम मौके पर पहुंची। काफी देर तक माहौल तनावपूर्ण रहा, लेकिन मीडिया कर्मियों और स्थानीय लोगों की समझाइश के बाद अंततः दोनों पक्षों में सुलह हो गई। समझौते के तहत मदन सुंदर अगरिया ने अस्थि कलश वापस विमल अगरिया को सौंप दिया।
घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि जहां एक मां बेटे की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की चाह रखती है, वहीं परंपरा और पारिवारिक अधिकार के बीच संवेदनाएं कहीं खो सी जाती हैं।
