रायगढ़. कांग्रेस की सरकार हो और कांग्रेस के चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर जब अधिकारी हावी हो जाएं और अपने समर्थन के लिए खेमे बाजी करते हुए महापौर से विधायक सहित सभापति के खिलाफ लेटर लिखवाकर चुनौती दें तो ऐसे में यह बात साफ हो जाती है कि अब कांग्रेस के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का लिहाज अधिकारी कितना कर रहे हैं। यह स्थिति रायगढ़ नगर निगम में देखने को मिल रही है जब महापौर का एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वायरल होते महापौर के लेटर बम से निगम के भीतर कांग्रेस के सभापति से लेकर उनके समर्थक अंचभित हैं। चूंकि इस लेटर मंे रायगढ़ विधायक को भी कटघरे में खड़ा किया गया है।
नगर निगम के चंेबर में लगभग दो माह पहले आयुक्त आशुतोष पाण्डेय और निगम के सभापति जयंत ठेठवार के अलावा मेयर इन कौंसिल के कुछ सदस्यों तथा कुछ पार्षदों के साथ पहले बहस उसके बाद सभापति को सरेआम चेंबर से गेटआउट कहने की बात पार्टी हाईकमान तक पहुंची जरूरी लेकिन इसे दबाने के लिए आयुक्त ने अपनी ही राजनीति शुरू कर दी। पहले आयुक्त ने एक आदेश के जरिए चुने हुए जनप्रतिनिधियों तक फाईल नही दिखाने के आदेश जारी किए, उसके बाद चुपके-चुपके अपनी रणनीति के तहत सभापति जयंत ठेठवार के खिलाफ माहौल बनाते हुए शहर के विधायक प्रकाश नायक को भी घेरने की योजना बना ली और उसके लिए उन्होंने महापौर जानकी काटजू को अपने विश्वास में लिया।
जानकार सूत्र बताते हैं कि निगम आयुक्त आशुतोष पाण्डेय इस घटना के बाद लगातार निगम महापौर जानकी काटजू के वार्ड नं. 4 स्थित निजी निवास पर डेरा जमाते हैं और घंटों इन दोनों के बीच बंद कमरे में चर्चाओं का दौर चलते रहता है। चूंकि निगम आयुक्त की गाड़ी महापौर के घर के बाहर दिखने के बाद मोहल्ले में भी इस बात को लेकर चर्चा रहती है कि आखिरकार आयुक्त बार-बार महापौर के पास किसी भी समय क्यों पहंुच जाते हैं इस बात की जानकारी शहर के विधायक प्रकाश नायक सहित निगम के सभापति जयंत ठेठवार को भी है। अब जब इस मुलाकात के दौरान महापौर का लेटर सोशल मीडिया में वायरल होता है जिसमें आयुक्त की तारीफ तथा शहर विधायक व निगम सभापति जयंत ठेठवार को ठेकेदार व कमीशनखोरी में घेरने के आरोप पर बवाल मच गया है। इस कथित पत्र में महापौर जानकी काटजू ने अपने कार्यकाल और कलेक्टर की देखरेख और आयुक्त आशुतोष पांडेय की अगुवाई में हुए कामों की बात लिखी है। कथित पत्र में लिखा है कि आयुक्त के आने के बाद लगभग आठ महीने में पांच करोड़ के निर्माण कार्य पूरे हुए।
1.15 करोड़ के काम चल रहे हैं। महापौर निधि से पसरा निर्माण, पौनी पसरा बने, सालों से लंबित एसएलआरएम सेंटर का निर्माण हुआ है। महासफाई अभियान के तहत कलेक्टर के साथ टीम सड़क पर उतरी स्वच्छता दीदी व रिक्शा की संख्या दोगुनी हुई। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 60 प्रतिशत और अमृत मिशन 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। शहरी गौठान और सुघ्घर रइगढ़ थीम पर शहर का सौंदर्यीकरण किया गया है। आयुक्त सभी को साथ लेकर चलते हैं। अवैध कार्य करने वाले ठेकेदारों को उन्होंने ब्लैकलिस्ट किया है। इसका सीधा ईशारा सभापति व उनके मेयर इंन कौंसिल के कुछ पार्षदों के अलावा साथ जुड़े ठेकेदारों पर है। जिनके नाम आयुक्त ने अलग से गुपचुप तरीके से नगरीय निकाय मंत्री के पास भिजवाया है।
लेटर में कांग्रेसी पार्षदों पर भी लगे हैं आरोप
अगर महापौर ने सचमुच में यह पत्र मंत्री को लिखा है तो इसमें लगे आरोप गंभीर हैं। पत्र में नाम का जिक्र किए बिना लिखा गया है कि कुछ पार्षद ठेकेदारी करते हैं। आयुक्त बड़े पदों पर रह चुके हैं। प्रशासनिक अधिकारी के आगे ठेकेदार पार्षदों की दाल नहीं गल रही है इसलिए उनके विरुद्ध मोर्चा खोला हुआ है।
महापौर जानकी काटजू ने पत्र में यह भी लिखा कि मेरी शक्तियां सीमित करने की कोशिश हो रही है।
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे महापौर जानकी काटजू के पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि एमआईसी की बैठक में विधायक को बैठाने का दबाव बनाकर उनकी (महापौर का) शक्तियां सीमित करने की कोशिश की जा रही है। निगम में ठेका लेकर पार्षद समय पर काम नहीं करते हैं। निगम के कर्मचारियों से व्यक्तिगत काम कराए जाते हैं। गौठान का ठेका वरिष्ठ पार्षद अपने नजदीकियों को दिलाना चाहते हैं। महापौर की लिखी इस तहरीर से यह बात साफ हो रही है कि उन्होंने नगर निगम प्रकाश नायक के उपर निगम के कई मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है।
कांग्रेसियों का गुट अब घेर रहा है महापौर को
सभापति गुट के पार्षदों ने इस कथित पत्र के बाद महापौर पर भी हमले शुरू कर दिए हैं। जयंत ठेठवार गुट के पार्षदों ने कहा, जब कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में आयुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया तो महापौर ने भी हस्ताक्षर किए थे और सार्वजनिक रूप से इसे मीडिया में भी लाया गया था। चूंकि मामला गंभीर था आयुक्त द्वारा चेंबर में चुने हुए जनप्रतिनिधि के साथ जो किया वह निंदनीय है और इसलिए ऐसे अधिकारियों के रहते निगम में विकास के कार्य तो दूर जनप्रतिनिधियों का सम्मान खतरे में है। इस घटना के बाद कुछ दिन पूर्व सभापति जयंत ठेठवार के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने रायपुर भी गए थे लेकिन उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से नही हो पाई थी। निगम में आयुक्त की कार्रवाई को लेकर सभापति तथा मेयर इन कौंसिल के सदस्यों के बीच खींचतान की चर्चा रायपुर तक है और अब लेटर बम के फटने से भाजपा इस पर तंज कसते हुए मजे ले रही है। देखना यह है कि अब इस लेटर बम के सार्वजनिक होनें से पार्टी हाईकमान कौन से कदम उठाती हैं जिससे यह उठापटक का दौर आगे न बढ़ सके।
महापौर के लेटर को विधायक बता रहे फर्जी
इस पूरे मामले में जब रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक से कुछ पत्रकारों ने बात की तो उन्होंने कहा कि यह पत्र पूरी तरह फर्जी है और इस पर कुछ भी नही कहा जा सकता। मजे की बात यह है कि जब महापौर का पत्र फर्जी है और इस पर हंगामा खड़ा हुआ है तो कैसे उनके हस्ताक्षर किया हुआ यह पत्र नगरीय निकाय मंत्री को संबोधित कर रायपुर भेजा गया और अगर महापौर ने इसे लिखा ही नही तो पुलिस में शिकायत क्यों नही की जा रही है कि लेटर फर्जी है और इसे जारी करने वालों पर कार्रवाई की जाए!