दिन शनिवार, ..लॉकडाउन का पहला दिन, ..सड़कों पर अंतिम यात्राओं की कतारें..मोहल्लों में चीखपुकार…। श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं। जमीन पर सजीं चिताएं..यह भयावह मंजर रौंगटे खड़ा कर रहा था। शहर के नंदनपुरा मुक्तिधाम पर भोर से ही चिताएं दहकती रहीं। जगह कम होने पर दो शव परिजन लेकर कहीं और चले गए तो आधा दर्जन शवों का जमीन पर ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। लकड़ियों की शॉर्टेज हो गई तो पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश संपर्क साधकर मंगाई गईं। कोरोना काल में झांसी शहर के सभी श्मशान घाटों पर कमोवेश यही हाल है।
नंदनपुरा शमशान घाट कोरोना से मौतों से दहक रहा है। एक साथ 16 चिताएं सजाने की क्षमता वाले इस घाट पर शनिवार को एक पहर तक 11 चिताएं जल चुकी थीं। शव लगातार आ रहे थे। हालत यह थी कि लोग ठंडी पड़ी राख खुद साफकर अपनों के अंतिम संस्कार का इंतजाम कर रहे थे। इस घाट पर शुक्रवार को भी 27 अंतिम संस्कार हुए थे। यही हाल नगर के बड़ागांव गेट बाहर, नगरा महावीरनपुरा, गड़िया गांव, उन्नावगेट बाहर, श्याम चौपड़ा स्थित मुक्तिधाम, राजगढ़ शमशान, बिजौली शमशान घाट का भी रहा।
मप्र से मंगाई जा लकड़ियां
नंदनपुरा घाट के लकड़ी सप्लायर विशाल शर्मा ने बताया कि एक हफ्ते से इतने शव आ रहे हैं कि जगह की कमी तो पड़ी ही है, लकड़ी भी नहीं मिल पा रही है। मध्य प्रदेश के करैरा आदि से मंगवाई जा रही हैं। सुबह से लगातार शव आ रहे हैं, शाम तक क्या होगा कुछ पता नहीं।
बोले, पदाधिकारी
नंदनपुरा श्मशान घाट समिति के उपाध्यक्ष धनीराम गुप्ता के बेटे शिवम गुप्ता ने बताया कि जहां जगह मिल रही है, लोग वहां अंतिम संस्कार कर रहे हैं। शनिवार को जगह न मिलने की वजह से दो शव लेकर परिजन कहीं और चले गए। उन्होंने बताया कि 23 अप्रैल को 27, 22 को 21 शवों का संस्कार किया गया। घाट पर जगह नहीं है।
यहां भी हालात थे बेकाबू
कोरोना काल में मौतों के सिलसिले ने झांसी वालों को झकझोर कर रख दिया है। अस्पताला में मरीजों को बेड नहीं तो मौत होने पर मुक्तिधामों में जगह नहीं बची है। उन्नाव गेट बाहर मुक्तिधाम पर शनिवार को सुबह 11 बजे तक पांच शव पहुंचे। शुक्रवार को करीब डेढ़ दर्जन शवों का बाहर संस्कार किया गया। इससे पहले बुधवार को 26, मंगलवार को 22, सोमवार को 23 चिताएं जलीं।
रो पड़े लोग
आवास विकास निवासी प्रदीप की मां का शनिवार भोर निधन हो गया। श्मशान घाट पहुंचे तो जगह नहीं थी। दाह संस्कार में शामिल राधेश्याम मंजर देखकर रो पड़े। बोले, क्या हो रहा है। एक अन्य शव यात्रा में आए सीपरी बाजार निवासी प्रेम कुमार बोले-हे राम बचा ले। बुजुर्गवार राजकुमार बोले, अब तो आंखें बंद हो जाएं। नौजवानों के शव देखे नहीं जाते।