वेंटिलेटर बेड और ऑक्सीजन के अभाव में शुक्रवार को गोरखपुर के दक्षिणांचल बड़हलगंज के 33 वर्षीय सुनीत शाही ने अपने पिता और भाई के सामने तड़प कर दम तोड़ दिया। बड़हलगंज सीएचसी पहुंचे सुमित के पिता हरेंद्र शाही अपने बेटे को बचा लेने की गुहार लगा रहे थे। वह गिड़गिड़ा रहे थे कि सुनीत को गोरखपुर के किसी अस्पताल में बेड दिला दें। डॉक्टर भी अपनी बेबसी बयां कर रहे थे कि सुनीत ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया।
दक्षिणांचल के इकलौते कोविड हॉस्पिटल दुर्गावती हॉस्पिटल में हरेंद्र शाही अपने बेटे सुनीत को लेकर पहुंचे थे। लेकिन डॉ. मनोज यादव ने देखने बाद बताया कि ऑक्सीजन का स्तर 55 पहुंच गया है। ऐसी हालत में तत्काल वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ेगा। उनके यहां वेंटिलेटर वाला एक भी बेड खाली नहीं है। उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज या किसी अन्य अस्पताल में जाने की सलाह दी। सुनीत का भाई, पिता और अन्य रिश्तेदार काफी देर तक फोन पर लोगों से वेंटिलेटर वाले बेड की तलाश में अस्पतालों में कॉल लगाते रहे, उधर सुनीत की तबीयत पल-पल बिगड़ती जा रही थी। हार कर वे उसे लेकर सामुदायिक केंद्र बड़हलगंज पहुंचे। डॉक्टर से गिड़गिड़ाए कि बेटे को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड दिला दिजिए। डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिए।
मौत के बाद भाग खड़े हुए स्वास्थ्य कर्मी
परिजन ऑक्सीजन सपोर्ट वाली एम्बुलेंस की तलाश में थे कि सुनीत को गोरखपुर ले कर जाएं। इस बीच उसकी सांसें थम गईं। पिता और भाई की चीत्कार से परिसर रो पड़ा। इसके बाद अस्पताल परिसर को सैनेटाइज कराया गया।
बच्चों को कैसे बताऊंगा उनके बाप को बचा नहीं पाया
बिलखते हुए पिता ने बताया कि सुनीत तीन-चार दिन से बुखार था। घर पर ही दवाएं ले रहा था। शुक्रवार सुबह तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो डॉक्टर की तलाश में निकले। पिता ने बताया कि घर में बहू और उसका चार साल का बेटा और दो साल की बिटिया है, कैसे उन्हें बताऊंगा कि उनके बाप को बचा नहीं पाया।