कोरोना महामारी की वजह से कैसी-कैसी विपत्ति लोगों को झेलनी पड़ रही हैं, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। ऐसे ही मामले में एक घर से पिछले महीने बेटी की मौत हो गई। इस महीने की शुरुआत में पति साथ छोड़ गए और अब पत्नी ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। घर में कोई सदस्य नहीं होने के कारण महिला को अपनों का कंधा भी नहीं मिल सका। श्मशान घाट में मौजूद शहर के लोगों ने ही उसका अंतिम संस्कार किया।
मूलरूप से चेन्नई के रहने वाले रामलिंगम अपने परिवार के साथ नोएडा सेक्टर-49 में रहते थे। पिछले महीने इनकी बेटी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गई थी। उसे एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां 20 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। इसके बाद रामलिंगम को भी कोरोना हो गया। उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां मई की शुरुआत में उनकी भी मौत हो गई। करीब 15 दिन के अंतराल पर घर में दो मौत हो गईं। रामलिंगम की पत्नी वनिथा उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में हिस्सा लेने सेक्टर-94 स्थित श्मशान घाट आई थीं। वहां मौजूद लोगों की मदद से उन्होंने अपने पति का अंतिम संस्कार किया था। बुधवार को वह भी दुनिया छोड़कर चली गईं, मगर दुनिया से विदा लेते समय उन्हें अपनों का कंधा तक नहीं नसीब हुआ।
आरडब्ल्यूए अध्यक्ष ने कराया अंतिम संस्कार
एंबुलेंस में वनिथा का शव सेक्टर-94 स्थित श्मशान घाट आया। यहां मौजूद सेक्टर-33 आरडब्ल्यूए अध्यक्ष प्रदीप वोहरा ने अपने साथी वीरेंद्र की मदद से सीएनजी मशीन के जरिए वनिथा का अंतिम संस्कार कराया। वीरेंद्र ने बताया कि सीएमओ ऑफिस से एक डॉक्टर का फोन आया था कि वनिथा नामक महिला का अंतिम संस्कार कराना है। यहां शव के आने पर पता चला कि उसकी बेटी और पति की भी कुछ दिन पहले कोरोना से ही मौत हुई थी।
खुद न आकर पैसे देने का दिया प्रलोभन
प्रदीप वोहरा ने बताया कि एक दो बार ऐसा भी हुआ कि अस्पताल से परिजनों का फोन आया कि वो एक शव भेज रहे हैं। उनका अंतिम संस्कार करा दीजिएगा, इसके बदले वो पैसे दे देंगे। प्रदीप ने ऐसा सुनकर उनको धमकाया और कहा कि भले ही आपने अपनों से संबंध तोड़ दिया हो, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे। आप सिर्फ शव भेज दीजिए, अंतिम संस्कार हम खुद अपने पैसों से करा देंगे।