कोरोन वायरस की दूसरी लहर भले भारत में धीमी हो गई है लेकिन नई मुसीबत बनकर उबरे ब्लैक फंगस (म्यूकोर्माइकोसिस) का खतरा अब भी बना हुआ है। देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले गंभीर हो गए हैं। कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के इलाज का खर्च लोगों पर भारी पड़ रहा है।
ब्लैक फंगस का इलाज जेब पर भारी
ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एंटी फंगल इंजेक्शन का खर्च बहुत महंगा है। इसके इलाज के लिए एक दिन का खर्च कम से कम 35000 रुपये के आसपास बैठता है, ऐसे में ब्लैक फंगस वित्तीय मोर्चे पर भी लोगों के लिए परेशानी है।
100 गुना तक सस्ता हो सकता है इलाज
इस बीच ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए एक राहत की खबर आई है। डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस के इलाज का कुछ ऐसा तरीका निकाला है, जिससे इसका खर्च 100 गुना तक सस्ता हो सकता है, यानी कि एक दिन में लगने वाले 35,000 रुपये का खर्च 350 रुपये तक आ सकता है।
इसके तहत मरीज के ब्लड क्रिएटिनिन लेवल की निगरानी करनी है, जिसके बाद खर्चा काफी कम हो जाएगा। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन का नाम ‘एम्फोटेरेसिन’ है। ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस इंजेक्शन की कमी बाजार में देखने को मिल रही है। ऐसे में डॉक्टर दूसरे तरीके से इलाज करने की तैयारी में हैं। डॉक्टरों ने बताया है कि इलाज के दूसरे तरीके का भी ब्लैक फंगस पर समान प्रभाव पड़ता है। हालांकि, एम्फोटेरिसिन के पारंपरिक रूप का उपयोग कॉमरेडिडिटी वाले रोगियों, विशेष रूप से गुर्दे की स्थिति वाले रोगियों पर नहीं किया जाना चाहिए।