शराब तस्कर राजेंद्र सिंह बेहद शातिर दिमाग था। उसने पुलिस की निगाहों से बचने के लिए सारे इंतजाम कर रखे थे। लोगों को धोखा देने के लिए उसने टॉयलेट का इस्तेमाल किया। वहां बाहर तो टायलेट लिखा हुआ था लेकिन अंदर सीट की जगह तहखाने में घुसने का गुप्त दरवाजा बना रखा था। बाहर हमेशा ताला लगा रहता था। यही कारण है पुलिस तो क्या गांव के लोगों को भी कभी भनक नहीं लगी कि उसने अपने निर्माणाधीन घर के नीचे अवैध शराब का जखीरा जमा कर रखा है।
राजपुर केसरिया गांव निवासी राजेंद्र सिंह लंबे समय से अवैध शराब के धंधे में लिप्त था। वह ढाई साल में पांच बार जेल भी गया, मगर लचर पुलिसिंह के कारण कुछ दिनों बाद ही जमानत पर छूटकर बाहर आ गया। इसके बाद फिर से उसने अवैध धंधे को बेखौफ अंदाज में शुरू कर दिया। बीट के पुलिस वालों से भी उसकी यारी जग जाहिर थी। पुलिस वालों की हर फरमाइश को भी वह पूरा कर देता था। सीधे पुलिस की नजरों में आने से बचने के लिए वह घर से मात्र दो सौ मीटर दूर एक और मकान बनवा रहा था। इसे जानबूझ कर पूरा नहीं कराया गया था ताकि किसी का ध्यान इसकी ओर न जाए। इसी निर्माणाधीन मकान में उसने अपने अवैध धंधे के लिए तहखाना बनवाया था।
निर्माणाधीन मकान में ही टॉयलेट बने थे। यह उसकी शातिराना सोच का नमूना ही है कि उसने तहखाने का गुप्त दरवाजा टॉयलेट से बनवाया था। यही कारण है कि अलीगढ़ कांड के बाद स्थानीय पुलिस ने उसके घर छापेमारी भी की थी लेकिन घर के बाहर के टॉयलेट की ओर किसी का ध्यान भी नहीं गया और राजेंद्र सिंह को क्लीन चिट मिल गई। तहखाने में भी तीन चैंबर बने थे। इन्हीं में वह अवैध शराब स्टॉक करता था। शराब को भी बेहद करीने से घासफूस और उपले से ढका गया था।
सूत्रों की मानें तो परिवार वालों के अलावा किसी को भी इस तहखाने की जानकारी नहीं थी। इसी तहखाने से वह शराब शादी-विवाह और पार्टियों में बाजार से काफी कीमत पर सप्लाई करता था। यह सप्लाई उत्तराखंड तक होती थी। मंगलवार को डीआईजी शलभ माथुर, डीएम शैलेंद्र सिंह और एसएसपी पवन कुमार ने जब मौका मुआयना किया तो वे भी तहखाना और खासतौर पर उसमें घुसने का रास्ता देखकर दंग रह गए। पूरे मामले की बारीकी से जांच की जा रही है।