रायगढ़। दूसरे चरण का मतदान कुछ ही दिन बाद है और इसमें मात्र सप्ताह भर बचा है और जैसे-जैसे मतदान तिथि नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे भाजपा और कांगे्रस के प्रत्याशी तो अपना चुनाव प्रचार अभियान और तेज कर चुके हैं और वहीं इन दोनों पार्टियों को चुनौती देने वाले बागी उम्मीदवार भी अब अपने पीछे फायनेंस करने वाले लोगों के भरोसे अपनी चालें तेज करते हुए वोट बैंक बढ़ाने में लग गए हैं। मजे की बात यह है कि भाजपा में जहां बागी प्रत्याशी गोपिका गुप्ता सिलाई मशीन छाप लेकर जनता के बीच जाकर समर्थन मांग रही हैं वहीं उनका चुनाव प्रचार भी भाजपा और कांगे्रस के पीछे-पीछे चल रहा है और हाईटेक चुनाव प्रचार कराने के लिये भी कुछ भाजपाई ओपी चैधरी को हराने के लिये गोपिका को पूरी मदद कर रहे हैं।
रायगढ़ विधानसभा चुनाव पूरी तरह वीआईपी हो गया है चूंकि जब से अमित शाह ने अपने भाषण में ओपी चैधरी को जीतने के बाद बड़ा आदमी बनाने की घोषणा की है तब से भाजपाईयों में भी खलबली है ही वहीं राजनीतिक गलियारे में भी ओपी चैधरी की तूती बोलने लगी है। लेकिन इससे ठीक उलट अब कथित भाजपाई जिन्होंने अपने धन बल के जरिये टिकट का जुगाड नही होनें के बाद मैदान से ओपी चैधरी को चुनौती देने के लिये गोपिका को सपोर्ट किया है वह धीरे-धीरे सामने आने लगा है। जानकार सूत्र बताते हैं कि गोपिका गुप्ता को चुनाव प्रचार से लेकर उनके लिये शहर से लेकर गांव तक व्यवस्था का जुगाड़ करने वाले कथित धन्नासेठ पूरी तरह लग गए हैं चूंकि मतदान की तिथि काफी नजदीक आ गई है और शायद इसीलिये रायगढ़ शहर में जहां-जहां कांगे्रस प्रत्याशी प्रकाश नायक व भाजपा प्रत्याशी ओपी चैधरी के बैनर पोस्टर व होडिंग लगे हैं वहीं गोपिका गुप्ता के भी बड़े बड़े होडिंग व बैनर लगवाये गए हैं। इस प्रचार के पीछे जो चेहरा है वह सामने तो ओपी चैधरी के लिये प्रचार करने का दावा करता है, लेकिन गोपिका गुप्ता के पीछे रहकर वह नये तरीके की राजनीति करते हुए अपनी राजनीति को चमकाने में लगे है। सूत्रों की मानें तो इसीलिये गोपिका गुप्ता के चुनाव प्रचार में बढ़ते खर्चे तथा अन्य व्यवस्था बताती है कि उनके मैदान में रहने से जीतना नुकसान ओपी चैधरी को करवाया जा सके वह उसके लिये कोई कसर नही छोडेगा।
ऐसा ही कुछ मामला आटो छाप में खड़े शंकरलाल अग्रवाल के साथ है जिन्होंने रायगढ़ जिले की भजन मंडली को अपने साथ लेकर भाजपा को भाजपा को बड़ा झटका दिया है वहीं कांगे्रस के भी वोट बैंक में सेंध लगाई है। अपने ही तरीके से शहर से लेकर गांव तक आटो लेकर पहुंचने वाले शंकरलाल अग्रवाल ने टिकट नही मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव मैदान मंे उतरकर यह बता दिया कि उनको कांगे्रस ने कम आका था और अब अपनी सुलझी हुई राजनीति से कांगे्रस को निपटाने के लिये अपनी पूरी तैयारी कर चुके हैं। ऐसा नही है कि शंकरलाल अग्रवाल के खड़े होनें से केवल कांगे्रस को नुकसान हो रहा है। बल्कि उनके चुनाव प्रचार के तरीके से भाजपा को भी अच्छा खासा वोट बैंक गंवाना पड़ रहा है।
बहरहाल देखना यह है कि बागियों के खेल में भाजपा और कांगे्रस प्रत्याशियों को कितना जन समर्थन मिलता है। साथ ही साथ बागियों के पीछे फायनेंस के जरिये मैदान को रोचक बनाने वाले चेहरे क्या चुनाव से पहले बेनकाब होंगे या फिर परिणाम आने के बाद।