बिलासपुर । रेलवे की विरासत एवं स्वर्णिम इतिहास से लोगों को परिचय कराने तथा कार्यालयों के सौंदर्यीकरण हेतु रेलवे प्रशासन द्वारा अनूठा प्रयास किया जा रहा है । इसी कडी में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय, बिलासपुर परिसर में छोटी लाइन में चलने वाली भाप इंजन को आर्कषक ढंग से सजाकर प्रतिस्थापित किया गया है ।
इस सुसज्जित एवं आकर्षक स्टीम लोकोमोटिव का अनावरण आज दिनांक 29 जून, 2021 को महाप्रबंधक श्री गौतम बनर्जी के करकमलों से किया गया । इस अवसर पर अपर महाप्रबंधक श्री प्रमोद कुमार, समस्त विभागाध्यक्ष, मण्डल रेल प्रबंधक, बिलासपुर एवं अधिकारीगण तथा कर्मचारीगण उपस्थित थे ।
उल्लेखनीय है कि 114 साल पुराने इस इंजन का निर्माण वर्ष 1907 में नार्थ ब्रिटिश कंपनी ग्लासगो, इंग्लैण्ड के द्वारा किया गया था । इस इंजन की लंबाई 9060 मि.मी. तथा चौड़ाई 2290 मि.मी. है । पुराने बंगाल नागपुर रेलवे में चलने वाली इस लोकोमोटिव का उपयोग मालगाड़ी में चावल की ढुलाई के लिए किया जाता था । इस लोकोमोटिव की अंतिम सेवा वर्ष 1956 में ली गई । इस लोकोमोटिव का मेंटेनेंस स्टीम लोकोशेड आद्रा में किया जाता था एवं वहीं से इसे वर्ष 2009 में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के भिलाई शेड लाया गया, जहां से इसे नवीनीकरण एवं रंगरोगन पश्चात लाकर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय, बिलासपुर परिसर में प्रतिस्थापित किया गया है ।
वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की अधिकांश छोटी लाइन को बड़ी लाइन में परिवर्तित किया जा चुका है, एवं बचे हुए छोटी लाइनों का बड़ी लाइन में परिवर्तन जारी है । लोगों को छोटी लाइन की विरासत एवं सुनहरी इतिहास से परिचय कराने तथा पुराने समय में चलन में रही स्टीम इंजनों की याद को सँजोने के साथ ही रेल कार्यालय परिसर के सौंदर्यीकरण का यह अनूठा प्रयास है । प्रतिस्थापित इस लोकोमोटिव के पूरे क्षेत्र को चबूतरे का आकार देकर आकर्षक ढंग से बेहतर प्रकाश व्यवस्था के साथ सजाया गया है तथा पौधे लगाकर आसपास के क्षेत्र को ग्रीन क्षेत्र बनाया गया है । जिससे यह अत्यंत आकर्षक लग रहा है । इसके पूर्व भी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय, बिलासपुर परिसर में भाप से चलने वाली पुरानी क्रेन को साजसज्जा के साथ प्रतिस्थापित किया गया था, जो कि इस परिसर की सुंदरता एवं आकर्षण के केन्द्र के रूप में मौजूद है ।
इस स्टीम लोकोमोटिव के स्थापित होने से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, मुख्यालय आने जाने वाले आगंतुकों को रेलवे की इस विरासत को आकर्षक रूप में देखने के साथ ही उन्हें रेलवे की इस सुनहरी इतिहास के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होगा ।