रायगढ़। रक्षा के पावन पर्व पर जिला जेल रायगढ़ के द्वारा हर साल बहनों के लिए जेल में निरूद्ध भाईयों को राखी बांधने का अवसर प्रदान किया जाता है। इस साल भी जेल में बंद अपने भाईयों को राखी बांधने बड़ी संख्या में बहने पहुंची थी। मगर कोरोना के जकडन और शासन के आदेश के चलते अनुमति नही मिलने के कारण कई बहनों को दूर-दूर से रायगढ़ आने के बावजूद निराशा ही हाथ लगी। इस दौरान कुछ बहनों को जेल प्रहरी से अपने भाई को एक बार दिखा देने की गुहार लगाते भी देखा गया।
गौरतलब रहे कि रक्षा बंधन के पर्व के लिए जिला जेल में निरूद्ध बंदियों के बहनों के लिए खासकर जेल के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और हर साल जिले तथा जिले के बाहर से सैकड़ो की संख्या में बहने अपने भाईयों को राखी बांधने पहुंचती है। मगर यह विडंबना है कि इस साल अपने भाई को राखी बांधने के लिए पहुंची बहनों को जेल से अनुमति नही मिलने के कारण निराश ही लौटना पड़ा।

मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन के निर्देश पर जिला जेल के द्वारा 10 दिन पहले ही इस साल राखी के लिए अनुमति नही देने की सरकारी विज्ञप्ति जारी की गई थी। किंतु भाई बहन का प्यार ऐसे नियमों को कहां मानता है। यही कारण है कि शासन के दिशा निर्देश और कोरोना के खौफ के बावजूद रिश्तों से बेबश दर्जनों की संख्या में बहनें अपने भाई को राखी बांधने के इरादे से जिला जेल पहंुची और जेल प्रशासन से अनुमति नही मिलने के कारण यहां से उन्हें निराश ही लौटना पड़ा। इस दौरान कुछ बहनांे को जेल प्रहरी से अपने भाई को कम से कम एक बार दिखा देने की गुहार लगाते भी देखा गया। मगर उनकी यह गुहार भी अनसुनी कर दी गई।
दरअसल खौफनाक कोरोना ने पिछले दो सालों से त्यौहारों का किरकिरा कर रखा है यही कारण है कि पिछले साल भी राखी बांधने के लिए रायगढ़ पहुंचने वाली बहनों को निराशा ही हाथ लगी थी और यह बड़ी बीमारी राखी के आडे आ गई। यही हाल इस साल भी रहा। एक तरफ जहां पूरा शहर और प्रदेश खुले में सांस ले रहा है और बाजार में त्यौहार के चलते भीड पर भीड़ उमड़ रही है तो दूसरी ओर जेल के दीवार के नियमों ने भाई बहन के रिश्ते को नियमों से बांध कर रख दिया है और भाई बहन एक दूसरे से मिलने से वंचित रहे।
