मध्य प्रदेश सरकार के तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ छिंदवाड़ा जिले में कम से कम 23 ग्रामीणों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र का उपयोग कर निर्माण श्रमिकों के लिए एक राज्य योजना के तहत पैसे की कथित निकासी के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एक अधिकारी के हवाले से न्यूज झेंसी पीटीआई ने यह जानकारी दी है।
जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) ने रविवार को एक आदेश जारी कर पंचायत विभाग के बोहनाखेड़ी के पंचायत सचिव राकेश चंदेल, ग्राम रोजगार सहायक संजय चौरे और पंचायत समन्वय अधिकारी सुनील अंधवान सहित पंचायत विभाग के तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। चौराई पुलिस ने कहा, “जनपद पंचायत सीईओ द्वारा दर्ज शिकायत के बाद, चंदेल, चौरे और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।” थाना प्रभारी शशि विश्वकर्मा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार को जिले के बोहनाखेड़ी गांव के कम से कम 23 ग्रामीणों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र का उपयोग कर निर्माण श्रमिकों के लिए एक राज्य योजना के तहत पैसे वापस लेने के बाद जांच के आदेश दिए। कृषि मंत्री कमल पटेल, जो छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री हैं, ने कहा कि 23 व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाण पत्र, जो अभी भी जीवित हैं, बोहनाखेड़ी गांव में जारी किए गए थे। उनके नाम पर एक योजना के तहत पैसा निकाला गया था।
अधिकारियों ने रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) नियम के तहत, जीवित 23 लोगों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र का उपयोग करके 2-2 लाख रुपये की राशि वापस ले ली गई थी। इन नियमों के तहत सामान्य मृत्यु की स्थिति में मृतक निर्माण श्रमिक के आश्रितों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाता है।
अधिकारियों के अनुसार, 2800 की आबादी वाले बोहनाखेड़ी गांव में पिछले दो वर्षों के दौरान कुल 106 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए।