छत्तीसगढ़ के 174 में से 35 तहसीलों में सूखे की आशंका है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर 10 दिन में अच्छी वर्षा हो गई, तो डैमेज कंट्रोल हो सकता है फिर भी 10 प्रतिशत तक फसल के नुकसान की आशंका है। इसकी वजह यह कि कम बारिश के कारण रोपाई में देरी हुई है। बियासी भी ठीक से नहीं हो सकी है। इसलिए धान को हानि हो सकती है। अगर आने वाले 10 दिन में भी अच्छी बारिश नहीं हुई और खेत नहीं भरे तो धान की 20 फीसदी तक फसल बर्बाद होने की आशंका है।
इस वजह से सरकार भी सतर्क हुई है और सभी कलेक्टरों से 7 सितंबर तक खेती की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट मांग ली गई है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक शुरू में ही मानसून ब्रेक जैसे हालात के करण इस बार रोपाई विलंब से हुई है। बियासी ठीक से नहीं हो पाई है। इससे मिट्टी और बीज हार्ड हो गए थे। लेकिन लगातार सूखे जैसा माहौल खंडवर्षा और असमान वर्षा के कारण बन रहा है।
कहीं सामान्य बारिश हो गई, वहां फसल ठीक है और जहां बारिश बहुत कम हुई, वहां हालात बिगड़ने की आशंका है। खासकर सरगुजा और कांकेर के कुछ हिस्से में फसल बरबाद होने लगी है। हालांकि अभी ऐसे हालात नहीं बने हैं कि खेतों में जानवरों को (चरने) उतार दिया जाए। वैज्ञानिकों को मुताबिक 10 सितंबर तक पानी का इंतजार करना चाहिए।
प्रदेश के किसानों की यह मान्यता है कि खेतों में पानी भरा रहना चाहिए। अब पानी बरस गया तो डैमेज कंट्रोल हो जाएगा। इधर, अगर प्रदेश में सूखे की स्थिति बनी तो सरकार ने इससे निपटने की तैयारी भी कर रखी है। उसके पास राज्य आपदा मोचन निधि में करीब 400 करोड़ रुपए हैं।
इसमें केंद्र का 60 और राज्य का 40 फीसदी हिस्सा है। यह हर साल वित्त आयोग की सिफारिश पर राज्यों को मांग के अनुसार मिलता है। गत वर्ष इसी निधि से किसानों को करीब 180 रुपए बांटे गए थे। पिछले दफे ओलावृष्टि से नुकसान पर भी मुआवजा बंटा था।
9 करोड़ रुपए मुआवजा देगी सरकार
राज्य सरकार ने गर्मी में बेमौसम वर्षा, ओलावृष्टि और आधी-तूफान से फसलों को नुकसान होने पर 8 करोड़ 94 लाख 74 हजार रुपए किसानों को आर्थिक अनुदान दिया है। ये धमतरी, गरियाबंद, बलौदाबाजार, दुर्ग, राजनांदगांव, बेमेतरा, बालोद, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरिया, जशपुर, सूरजपुर, बस्तर, कोंडागांव व कांकेर तथा नारायणपुर जिलों में प्रभावित किसानों को बांटा गया।
आपदा में 8 हजार 585 किसानों की फसलों को क्षति हुई है। इसमें 9973 हेक्टेयर रकबा प्रभावित हुआ है। इसमें 33 प्रतिशत से अधिक क्षति वाला रकबा 7128 हेक्टेयर है। सबसे अधिक दो करोड़ 81 लाख 81 हजार रुपए जांजगीर-चांपा जिले को मिले।