सारंगढ़। पूरे छत्तीसगढ़ में रायगढ़ जिला उद्योग और खनिज संपदा के लिए जानी जाती है। खनिज संपदा गौण खनिज के लिए प्रशिद्ध गुडेली-टीमरलगा और कटंगपाली क्षेत्र में बेतरतीब से हो रहा खनन और अवैध परिवहन किसी से छिपी नही है। ओड़िसा बॉर्डर और अन्य जिला की तटस्थ सीमा में लगे कटंगपाली, सारंगढ़ क्षेत्र में आम जनता का जीना दूभर हो गया है। इस पर आज कुछ ग्रामीणों ने मीडिया के माध्यम से पुलिस को मौखिक शिकायत भी कराई है।
ओवरलोड गाड़ी से सड़कों का हालत पस्त, तेज रफ्तार ले रही जान-
ओवरलोड गाड़ियों और उसमें तेज रफ्तार मानो नीम के ऊपर करेले का लेप के समान है। ओवरलोड गाड़ियों से जिस प्रकार से सड़क की दुर्दशा हो रही है उसके कहने ही क्या। ऊपर से डंपर चालकों के तेज रफ्तार से आये दिन कोई न कोई नागरिक अकारण काल के गाल में समा जा रहा है। जिससे जनप्रतिनिधियों में रोष उतपन्न होना लाजमी है, लेकिन पैसों के दम में सभी अधिकारियों के आंखों में पट्टी सी बांध दी गयी है। आम जनता की सुनता भी कौन है, पर्यावरण विभाग और खनिज विभाग को मलाई खाने से फुर्सत मिले तभी शासकीय सड़क और आम जनता की सुध लेने में रूचि लेंगे..?
सूत्रों की मानें तो रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा मलाई खनिज विभाग के हाथ मे ही होता है। इस विभाग में अधिकारी लाखो खर्च करके अपना तबादला रायगढ़ कराने की जुगाड़ में रहते हैं। एक दो कार्यवाही करके खुद को हीरो साबित करने में कोई कसर नही छोड़ने वाले खनिज विभाग के बारे एक कहावत पूरे क्षेत्र में प्रशिद्ध है की जिस क्रशर से किसी लाभ की आशा न हो उस क्रशर को किसी भी प्रकार से कमी निकाल कर कार्यवाही ना किया जाए। जब भेंट मन माफिक मिल जाये तो महज हफ्ता-पंद्रह दिन में तत्काल पुनः खोलने की स्वीकृति भी मिल जाती है। और जो क्रशर वाले खनिज विभाग के अधिकारियों की बात न मानें उन बेचारों का क्रशर तत्काल सील कर देने की चर्चा जोरों पर थी , भले ही मापदंड में उनका क्रशर भेट चढ़ाने वाले खुले क्रशर से बेहतर क्यों न हो। इस बात में अगर थोड़ी भी सच्चाई है तो एक बार संवेदनशील कलेक्टर भीम सिंह को भी संज्ञान में लेकर जांच करनी चाहिए। अगर इस बात में सच्चाई सामने आती है तो ऐसे सरकारी नुमाइंदों पर तत्काल कड़ी से कड़ी कार्यवाही भी करनी चाहिये।
बड़े और राजनीतिक पकड़ वाले मालिकों की गाड़ी पर कार्रवाई में फूलते हैं हाथ-पांव..!
एक तरफ छोटे उद्योगों पर काल बनकर टूटने वाला खनिज विभाग जो गरीब किसान के रेत से भरे ट्रैक्टर को पकड़ कर वाहवाही लूटने खुद को सुपर-हीरो साबित करने में कोई कसर नही छोड़ता , वहीं जब बात पहुँचवालों की गाड़ियों पर कार्रवाई की होती है तो खनिज विभाग के अधिकारियों को मानो सांप-सूंघ जाता है। इसके दो कारण जान पड़ते हैं-पहला या तो उन मालिको से उन्हें चढ़ोत्तरी पहुंचती होगी या दूसरा राजनीतिक पहुंच पर कार्यवाही का भय होगा ? और भय हो भी क्यों न कौन खनिज अधिकारी भला रायगढ़ छोड़ना चाहेगा ?
क्रशर में भंडारण के नाम पर की जा रही कमीशनखोरी
सड़क दुर्दशा, ओवरलोड और तेज रफ्तार की शिकायत पर आधा दर्जन बार फोन करने पर खनिज अधिकारी राकेश वर्मा फोन उठाना भी मुनासिब नही समझते। उल्टा ट्रू-कालर में मीडिया लिखा देख नम्बर को ब्लॉक करना बेहतरी समझते हैं। ऐसे अधिकारियों की वजह से ही आम-जनता का सरकारी कर्मचारियों से भरोसा उठने लगता है। सूत्र बताते हैं कि विभाग के अधिकारी भंडारण के नाम पर कमीशनखोरी में व्यस्त रहते हैं और ऐसे में जिन लोगों से कमीशन लिया जाता है। उन पर कार्रवाई करने के नाम पर विभागीय अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगते हैं।
विवेक पाटले व अमित शुक्ला उम्मीद की अंतिम किरण-
खनिज विभाग द्वारा हो रही पक्षपातपूर्ण कार्यवाही अब किसी से छिपी नही है। एक तरफ कुछ क्रशरों पर कार्यवाही तो दूजा कुछ को अभयदान मिल रहा है। सड़को की दुर्दशा और रफ्तार के सौदागरों पर अब कानूनी शिकंजा की शख्त जरूरत आन पड़ी है। अब टीआई विवेक पाटले और अमित शुक्ला को ओवरलोड,तेज रफ्तार गाड़ियों और राजनीतिक पहुंच वाले अमानक क्रशरों पर कार्यवाही की जरूरत आन पड़ी है। सरिया थाना प्रभारी विवेक पाटले पाटले को अपने वर्तमान थानाक्षेत्र में वही पुलिसिया अंदाज में वापिस आना पड़ेगा जैसे उनको छाल और रायगढ़ में जाना जाता था। और सारंगढ के नवपदस्थ अमित शुक्ला को भी शराब,जुआ के साथ अब सड़क और पर्यावरण के दुश्मनों को कानूनी भाषा सिखाना होगा।