कोरोना काल में ऑक्सीजन प्लांट को लेकर सुर्खियों में रहीं स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर तैनात मेडिकल ऑफिसर डॉ. आस्था अग्रवाल के शव का शुक्रवार को किशनपुर श्मशान में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके बड़े भाई के अमेरिका से यहां पहुंचने के बाद ही शव का अंतिम संस्कार किया जा सका। इधर, उनके दोनों बच्चों को सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर बड़ी मौसी के सुपुर्द कर दिया गया है।
फिलहाल, बच्चों सहित मौसी आस्था के रमेश विहार स्थित घर पर ही मौजूद हैं। इधर, बृहस्पतिवार शाम गिरफ्तार किए गए साजिश के आरोपी जेठ तरुण अग्रवाल को शुक्रवार को जेल भेज दिया गया। क्वार्सी के रमेश विहार की रहने वाली इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम में संविदा पर मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात डॉ. आस्था के पति अरुण अग्रवाल का कासिमपुर में राधिका ऑक्सीजन प्लांट है। मुकदमे के अनुसार अरुण के किसी अन्य महिला से प्रेम संबंधों को लेकर घर में विवाद रहता था।
इसी विवाद के चलते मंगलवार देर शाम अरुण ने आस्था की हत्या कर दी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मारपीट करने व गला घोंटकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई है। इधर, हत्या के बाद अरुण घर का ताला लगाकर अपने बेटे अर्नव व बेटी आन्या को अपने बड़े भाई तरुण के पास छोड़ गया था।
बुधवार को घर में आस्था का शव मिलने के बाद से पुलिस अरुण को तलाश रही है। मगर उसका कहीं कोई सुराग नहीं मिल रहा है। मोबाइल सर्विलांस की मदद से पुलिस की टीमें अरुण को तलाश रही हैं। उसके मोबाइल की आखिरी कॉल डिटेल की मदद से जिन लोगों से बातचीत हुई है। उनके आधार पर पुलिस की टीमें गैर जिलों में डेरा डाले हुए हैं।
संकेत हैं कि जल्द कोई सफलता हाथ लग सकती है। इधर, बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किए गए तरुण अग्रवाल ने पुलिस पूछताछ में इतना सहयोग किया कि वह उनके पास बच्चों को छोड़कर कहीं जाने की कहकर चला गया। इससे ज्यादा तरुण ने कोई जानकारी नहीं दी।
इसके बाद तरुण को मुकदमे में साजिश का आरोपी बनाकर जेल भेजा गया है। सीओ तृतीय श्वेताभ पांडेय के अनुसार मामले में तथ्यों की जांच व आरोपी की तलाश का काम जारी है। जल्द सफलता हाथ लगेगी।
बच्चों ने बताया पापा ने किया रस्सी का इंतजाम
पुलिस पूछताछ में बच्चों ने स्वीकारा कि पापा-मम्मी में जब झगड़ा हो रहा था। तब वे बीच में बोले, उस दौरान पापा ने उन्हें दूसरे कमरे में बंद कर दिया और फिर रस्सी का इंतजाम करने चले गए। इसके बाद क्या हुआ, उन्हें कुछ नहीं मालूम। इधर, बच्चों को ताऊ के घर से लाकर सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर आस्था की बड़ी बहन यानी बच्चों की मौसी के सुपुर्द कर दिया गया है। चूंकि खुद आस्था भी यही चाहती थी कि अगर उसे कुछ हो जाए तो बच्चे उसकी बहनों के पास ही रहें।
अंतिम संस्कार में मौजूद रही भीड़
आस्था अग्रवाल के अंतिम संस्कार के समय काफी संख्या में लोग मौजूद रही है। आस पड़ोस के लोग भी यहां जमा थे। सभी की आंखें नम थीं।