कोरोना महामारी एक बार फिर से डराने लगी है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है। हालांकि इस बीच वैज्ञानिकों ने एक अच्छी खबर दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने कोविड-19 के सभी प्रमुख वेरिएंट में एक सामान्य कमजोरी ढूंढ़ निकाली है।
गुरुवार को प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने कोरोना के सबसे अधिक ट्रांसमिसिबल ओमिक्रॉन के सबवेरिएंट में भी यही सामान्य कमजोरी देखी है। उनका कहना है कि इससे एक लक्षित एंटीबॉडी उपचार (टारगेटेड एंटीबॉडी ट्रीटमेंट) की संभावना बढ़ गई है।
आसान शब्दों में कहें तो वैज्ञानिकों ने एक ऐसे एंटीबॉडी की पहचान की है जो ओमिक्रॉन और कोरोनावायरस के अन्य वेरिएंट को भी बेअसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कोरोना वेरिएंट्स की कमजोर नब्ज खोजने वाले शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व एक भारतीय-कैनेडियन वैज्ञानिक सुब्रमण्यम ने किया।
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय ने एक बयान में बताया, “इस नए पेपर में पहचान की गई ‘मास्टर चाबी’ कोई और नहीं बल्कि एंटीबॉडी का ही एक टुकड़ा है जिसे वीएच एबी 6 कहते हैं। इसे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, कप्पा, एप्सिलॉन और ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाया गया है। यह एंटीबॉडी टुकड़ा स्पाइक प्रोटीन पर एपिटोप से जुड़कर और वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोककर SARS-CoV-2 (कोरोना वायरस) को बेअसर कर देता है।
स्टडी के वरिष्ठ लेखक सुब्रमण्यम ने कहा, “इस स्टडी से कोरोना की एक कमजोर नब्ज का पता चलता है। इसके विभिन्न रूपों को एक एंटीबॉडी टुकड़े द्वारा बेअसर किया जा सकता है। इससे पैन-वेरिएंट (सभी वेरिएंट) के इलाज का रास्ता भी तैयार होता है, जो संभावित रूप से बहुत कमजोर लोगों की मदद कर सकता है।” उन्होंने कहा कि इस प्रमुख कमजोर नब्ज का अब दवा निर्माताओं द्वारा फायदा उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस वीएच एबी 6 एंटीबॉडी का इस्तेमाल व्यापक इलाज में किया जा सकता है।