रायगढ़। रायगढ़ शहर में इन दिनों रेत तस्कर मालामाल हैं चूंकि दिन व रात निर्माण कार्यो में बिना रायल्टी रेत सप्लाई कमाई का एक ऐसा जरिया बन चुकी है जिसका बड़ा हिस्सा पुलिस से लेकर चुनिंदा खनिज विभाग तक पहुंचता है उसके बाद तो रेत ट्रांसपोर्टिंग का सिलसिला ऐसा चलता है जिसे कोई रोक नही पा रहा है। स्थिति यह है कि शहर के हर कोनों में इनका अवैध डंपिंग पाइंट बन चुका है और मरीन ड्राईव तो इन तस्करों के लिये डंपिंग का स्वर्ग बन चुका है। चूंकि यहां सड़क निर्माण होना नही है तो कोई आसपास झांकने तक नही जाता जिसका फायदा रेत तस्करों को मिल रहा है। बढ़ते रेत के दाम पर कोई लगाम नही है और बिना रायल्टी के रेत शहर के हर मकानों में धड़ल्ले से उपयोग हो रही है।
मरीन ड्राइव सड़क की छमता से अधिक बालू से भरी ओवरलोड वाहनों के परिवहन से सड़क जगह-जगह टूट चुकी है। केलो नदी मरीन ड्राइव के सड़क किनारे लंबे समय से बिना रॉयल्टी की ओवरलोड हाईवा गाड़ियों से बालू डम्प कर ट्रैक्टरो के माध्यम से शहरों में खपाने का काम किया जा रहा है! तस्करों द्वारा मेरिन ड्राइव सड़क में जगह-जगह बालू डम्प किया गया है! जब हमने ट्रैक्टर में बालू लोड करने वालों से इस विषय में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि हर दूसरे-तीसरे दिन बड़ी हाईवा गाड़ियों के माध्यम थे मरीन ड्राइव सड़क किनारे बालू पहले डम्प किया जाता है फिर ट्रैक्टर के माध्यम से जहां-जहां आर्डर रहता है वहां प्रति ट्रैक्टर बालू की कीमत 2000 की दर से पहुंचाया जाता है!
शहर के मध्य अवैधानिक रूप से चल रहे रेत तस्करी को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, महीनों से शहर के बीच रेत तस्करी का काम चल रहा है और खनिज विभाग को इसकी भनक तक नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है? पीडब्ल्यूडी विभाग के लिए नासूर बने ओवरलोड गाड़ियों के सड़कों की क्षमता से अधिक परिवहन होने से सड़कों का सीना जख्मी करते हैं और सड़क समय के पहले टूटने लगती है लेकिन विडंबना यह है कि पीडब्ल्यूडी विभाग ओवरलोड गाड़ियों पर कार्यवाही नहीं करती, वही परिवहन विभाग और यातायात विभाग को पीडब्ल्यूडी की सड़क पर रहम तक नहीं आ रहा है? जिला प्रशासन के विभागीय आपसी तालमेल की कमी की वजह से अव्यवस्थाओं का अंबार है? विभागीय अधिकारी सदैव दूसरे विभाग की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ते हुए मुख दर्शक बने बैठे हैं?