घरघोड़ा शहीद वीरनारायण सिंह शहादत दिवस में आदिवासी महेन्द्र सिदार खाना परोसते नजर आएं

by Kakajee News

धर्मजयगढ़/घरघोड़ा :-दिनाँक 18/12/2023 को छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी शहीद बीरनारायण की शहादत दिवस बड़ी धूमधाम से रैली निकाल कर मनाया गया और शाहिद को श्रद्धाजलि अर्पित किए वही धर्मजयगढ़ से सैकड़ों लोगों ने तीर कमान लेकर सामिल हुए धर्मजयगढ़ सर्व आदिवासी समाज के महेंद्र सिदार (ब्लॉक अध्यक्ष) मोहन पण्डो (ब्लॉक उपाध्यक्ष) श्याम राठिया (ब्लॉक सचिव) बैगा बीरसिंह राठिया ठाकुर और तीर कमान वाले पण्डो कोरवा समाज के सैकड़ों साथी लोग शहादत दिवस में सामिल हुए,और घरघोड़ा के युवा साथी अजय कुमार राठिया, सुखसाय राठिया,संजय राठिया, मुकेश राठिया जय शंकर,पुरषोत्तम राठिया सोनू राठिया,अन्य साथी उपस्थित थे, वही भोजन को समय को देखते हुए अपने साथियों के साथ महेंद्र सिदार खुद ही खाना परोशने में भीड़ गए जिससे आएं लोगो ने बहुत ही सहराना किया। वही महेन्द्र सिदार ने कहा की हम तो समाज के लिए कार्यकरने के लिए ही जन्म लिए है, हमे सामाजिक कार्य करने से सुकून मिलता है। आदिवासी समाज से जुड़े शहीद बीरनारायण सिंह की जन्म 1795 में हुआ सोनाखान में हुआ था उनका पिता रामराय बिजवार था जो की सोनाखान की जमीदार थे,शाहिद उनके पिता ने 1818 से 1819 अंग्रेजो के घोषले राजाओं के विरुद्ध तलवार उठाई लेकिन कप्टन मैक्सन विद्रोह कर दबा दिया था। पिता के मृत्यु के बाद 1830 में सोनाखान के जमीदार बने उस समय उसकी आयु 35 वर्ष की थी,उनकी पिता की अधूरी लड़ाई वे लगातार जारी रखे और सोनाखान में भीषणकाल अकाल पड़ने पर मालिक माखन बनिया नाम के व्यापारी के गोदाम में धावा बोल कर अनाज को लूट कर पूरे गरीब परिवार को बांट दिया, जिसकी शिकायत कोदाम मालिक से ड्यूटी कमिश्नर इलियट से की और उसकी फौज ने 24 अक्टूबर 1856 को संबलपुर गिरफ्तार कर रायपुर जेल में बंद कर दिया,लोगो ने जेल में ही वीरनारायण सिंह को अपना नेता चुन लिया,अगस्त 1857 में कुछ समर्थको और सैनिकों मदद से तीन मित्रो के साथ जेल से भाग निकले,सोनाखान में उन्होंने हजारों की संख्या में धनुधारी सेना फौज की गठन की,और अंग्रेज़ो से मुदभेड़ की, जिसके खौब से अग्रेजो ने जनता के अपना अत्याचार बड़ा दिया,और शाहिद बीरनारायण दबाव बनाया गया,और अपने जनता सैनिक को बचाने के लिए खुद को अंग्रेजो हवाले कर दिया,10 दिसंबर 1857 को ब्रिटिश सरकार ने रायपुर के जयस्तंभ चौक पर सरेआम फांसी पर लटका दिया गया और मृत शरीर को टोप से उड़ा दिया गया।

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