बिलासपुर। मैनपाट के बरडांड में लगातार हाथी प्रवेश कर रहे हैं। शनिवार को शाम ढलने से पहले ही हाथी आबादी क्षेत्र में प्रवेश कर गए। भीड़ दूर से देखती रही और हाथी घर तोड़ अनाज खाते रहे। जनहानि रोकने बच्चों और महिलाओं को वनकर्मियों ने बीच बस्ती में स्थित आंगनबाड़ी भवन में शिफ्ट कर दिया था। इधर गांव के पुरुष,वन कर्मचारियों के साथ हाथियों की निगरानी में लगे हुए थे। सारे संसाधनों का उपयोग करने के बावजूद मकानों को टूटने से नहीं बचाया जा सका। मध्यरात्रि के बाद तक हाथी आबादी क्षेत्र में ही रहे। उसके बाद नजदीक के जंगल में चले गए।
मैनपाट में वर्तमान में नौ हाथी हैं। इसमें से एक हाथी दल से बिछड़ चुका है। वह बरीमा से लगे जंगल में विचरण कर रहा है। शनिवार शाम लगभग पांच बजे शेष आठ हाथी दो दल में विभाजित होकर बस्ती में घुसे। एक हाथी दो बच्चों के साथ थी जबकि शेष पांच हाथी एक साथ थे। एक घर को हाथी ने तोड़ा और उसके साथ गए दो बच्चे घर के भीतर से अनाज के बोरों को बाहर खींचकर लाया और खाना शुरु कर दिया।
शेष पांच हाथी दो अन्य मकानों को तोड़ कर घर में रखे अनाज खाने में लगे रहे। हाथियों द्वारा मकानों को क्षतिग्रस्त करने पर घर के सामान भी नष्ट हुए। रेंजर फेकू प्रसाद चौबे के नेतृत्व में वन विभाग की टीम गजराज वाहन सहित दूसरे संसाधनों से हाथियों को सुरक्षित तरीके से खदेड़ने के प्रयास में लगी रहे लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली।
कड़ाके की ठंड और अंधेरी रात में हाथियों पर निगरानी कठिन चुनौती बनी हुई है। हाथियों द्वारा लगातार तीसरी बार बरडाँड़ में हमला बोला गया था। रात लगभग तीन बजे तक हाथी इसी बस्ती में विचरण करते रहे। बाद में हाथियों का दल नजदीक के जंगल में चला गया। दिन के समय हाथी मैनपाट की तराई में बसे कापू रेंज के जंगल में चले जाते हैं। शाम होने के बाद ऊपर चढ़ाई कर मैनपाट के गांव में घुस रहे हैं यही वजह है कि अब इन जंगली रास्तों को सुरक्षित तरीके से बंद करने की मांग उठने लगी है। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से मैनपाट क्षेत्र के लोग हाथियों से बचाव के लिए अपना सुझाव देने में लगे हुए हैं। मैनपाट के लोगों का कहना है कि कापू रेंज हाथियों का सुरक्षित रहवास बन चुका है। घने जंगल और पानी की व्यवस्था होने से हाथी दिन में वही रहते हैं।शाम को जिन जंगली रास्तों से होकर मैनपाट के पहाड़ी की ओर चढ़ते हैं उन रास्तों को यदि बंद कर दिया जाए तो हाथियों से हर साल होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। सरगुजा के तत्कालीन सीसीएफ केके बिसेन ने इस दिशा में काम करना शुरू किया था। उन्होंने जिन रास्तों से हाथियों की आवाजाही होती है वहां कई किलोमीटर तक एलीफेंट प्रूफ ट्रेंच की व्यवस्था कराई थी ताकि गड्ढों को पार कर हाथी आबादी क्षेत्र में प्रवेश न कर सके। उनके स्थानांतरण के बाद यह काम बंद हो गया। खोदे गए गड्ढे पट गए और हाथियों की सुरक्षित तरीके से आवाजाही शुरू हो चुकी है। मैनपाट रेंजर्स फेकू प्रसाद चौबे ने बताया कि हाथियों द्वारा शनिवार की रात कुल तीन घरों को तोड़ा गया है। क्षति का आकलन कर लिया गया है। प्रभावितों को शीघ्र ही मुआवजा वितरित कर दिया जाएगा।