समर कैंप के बास्केटबॉल में बच्चे ले रहे ज्यादा रूचि, गर्मी ने कम नहीं किया बच्चों का जोश, 140 बच्चे ले रहे ट्रेनिंग, 4 साल के बच्चे भी खेल रहे खेल, सबसे तेज खेल होने के कारण बच्चे ले रहे ज्यादा रूचि: कोच अंजू जोशी

by Kakajee News

रायगढ़. रायगढ़ जिला गर्मी के मामले में नित नए कीर्तिमान बना रहा है। ऐसे में जहां लोग सुबह से ही बाहर निकलने में कतरा रहे हैं वहीं सैकड़ों बच्चे रायगढ़ स्टेडियम में आयोजित समर कैंप में अपना पसीना बहा रहे हैं। खेल-खेल में जीवन की सीख हो या फिर फिटनेस का मंत्र, बच्चे बारिकी से सब सीख रहे हैं। करीब तीन साल बाद रायगढ़ स्टेडियम बच्चों से फिर गुलजार है। सभी खेलों में सबसे ज्यादा रूचि बच्चे बास्केटबॉल में ले रहे हैं।

 

सुबह 6 बजे से 8.30 बजे तक 140 बच्चे बास्केटबॉल को सीख रहे हैं। मुख्य कोच अंजू जोशी और सीनियर खिलाड़ियों के मार्गदर्शन में बच्चों ने 15 दिन में काफी कुछ सीख लिया है। उन्हें शूटिंग करने और लैप शॉर्ट लगाने में ज्यादा आनंद आता है। वह इसे स्टेमिना बढ़ने वाला खेल तो मानते ही हैं साथ ही साथ फुर्ती वाला खेल भी मानते हैं।

 

10 वीं छात्रा और कैंप में शामिल होने आई भाग्यश्री साहू कहती हैं कि वह पहली बार खेल रही हैं। गर्मी छुट्टी में समरकैंप में शामिल होना सब बच्चे चाहते हैं। बास्केटबॉल सबसे तेज खेलों में एक है इसमें स्टेमिना बनता है क्योंकि खिलाड़ियों को लगातार भागते रहना होता है। इसलिए मैंने फिटनेस और ऊंचाई बेहतर करने के लिए इस खेल को चुना है।

 

इसी तरह 8 वीं कक्षा की साईं पवनी का कहना है कि 1 साल मैं बास्केटबॉल खेल रही हूं। सीखती भी हूं और सिखाती भी हूं। खेल में मजा आता है कोचिंग स्टाफ बेहतर होने के कारण हमारे खेल में सुधार आता है।

 

8 वीं कक्षा की हीं आयमन हसन खान कहती हैं कि वह पहली बार बास्केटबॉल खेल रही हैं। अब मुझे यह खेलना अच्छा लगता है। कोच अच्छा सीखा रहे हैं। पढ़ाई से छुट्टी है तो समर कैंप में और ज्यादा हम ध्यान दे पा रहे हैं। खेल से फूर्ति आती है और स्टेमिना बन रहा है।

 

बहरहाल 15 दिन की बेसिक ट्रेनिंग के बाद संभवत: बच्चों को आने वाले दिनों में बास्केटबॉल का मुख्य खेल टीम में बांटकर खिलाया जाएगा जो बच्चों के लिए सबसे अधिक रोमांचकारी होगा। समर कैंप का इतिहास रहा है कि हर खेल में हर बार बड़े खिलाड़ी निकलकर आते ही हैं।

 

पालकों का भी हो रहा वर्क आउट
बच्चों को खेल मैदान में उनके पालक ही ज्यादातर ला रहे हैं और वे भी स्टेडियम में मैदान के चारों ओर कुछ न गतिविधियों में लगे रहते हैं। ऐसे में जो पालक स्टेडियम आने से कतराते हैं या फिर सुबह व्यायाम व वॉक से जी चुराते थे वे भी अपने बच्चों की वजह से सुबह अपनी फिटनेस में ध्यान देने लगे हैं। अब इसे मजबूरी कहें या फिर जिम्मेदारी समर कैंप बच्चों के साथ बड़ों का भी बन गया है। 15 साल के श्रेयस और 11 साल की सृष्टि की माता पिंकी सिहं कहती हैं कि मेरे दोनों बच्चे समर कैंप का हिस्सा हैं ऐसे में मैंने यहां की योग कक्षा ज्वाइन कर ली है इससे पहले स्टेडिम में थोड़ी देर घूमती हूं। बच्चों के कारण मेरा भी वर्क आउट हो जा रहा है।

 

भीषण गर्मी में बच्चों का उत्साह देखते बनता है: कोच अंजू
बास्केटबॉल की मुख्य कोच अंजू जोशी जो जिला जेल की कर्मचारी भी हैं वह अपने काम से अतिरिक्त समय निकालकर बच्चों को कोचिंग देती हैं जिला प्रशासन द्वारा उन्हें कोचिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनका कहना है कि कोविड के कारण खेल बंद थे लेकिन इस बार समर कैंप जिला प्रशासन द्वारा लगाया गया है। कैंप में इस बार बच्चों ने भीषण गर्मी होने के बावजूद ज्यादा उत्साह दिखाया है इसलिए जो पहले 15 दिन का कैंप था उसे जिला प्रशासन ने अब 30 दिन का कर दिया। यानी 5 मई से 4 जून तक समर कैंप चलेगा। 12 खेलों के समर कैंप में सबसे ज्यादा 140 बच्चे बास्केटबॉल में ही हैं तो तल्लीनता से खेल रहे हैं और खेल की बारिकियों को सीख रहे हैं। बास्केटबॉल में आपको लगातार दौड़ते रहना है इसमें स्टेमिना की जरूरत होती है जो बच्चों को आकर्षित करती है। इस बार की खास बात यह है कि 4 साल के बच्चे भी कैंप का हिस्सा हैं वे अपने पालकों के साथ आते हैं और अंत तक मजे से खेलते हैं।

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