Desk News: राजधानी दिल्ली-एनसीआर में पिछले एक हफ्ते से वायु प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। मंगलवार को भी राष्ट्रीय राजधानी के ज्यादातर हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 के पार बना रहा। इस तरह की प्रदूषित हवा में सांस लेने को सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक माना जाता रहा है। प्रदूषित हवा का संपर्क सांस की समस्याओं से लेकर, डायबिटीज और कई अन्य गंभीर क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढाने वाली हो सकती है।
वायु प्रदूषण के कारण होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानने के लिए किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ये हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थितियों का भी कारक हो सकती है। डॉक्टर्स कहते है, जिन लोगों को पहले से ही हृदय से संबंधित समस्याएं रही हैं, उनमें ये ‘जहरीली हवा’ हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के कारण हृदय रोग के नए मरीजों के मामले भी बढ़ते देखे गए हैं।
हृदय रोगों के विशेषज्ञ कहते हैं, प्रदूषण का हृदय स्वास्थ्य पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के दुष्प्रभाव हो सकते है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण पीएम 2.5, फेफड़ों और रक्तप्रवाह में चले जाते हैं। इससे न सिर्फ इंफ्लामेशन का खतरा होता है साथ ही गंभीर स्थितियों में इसके कारण हृदय रोग, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, फेफड़ों की समस्याएं विकसित हो सकती हैं। किसी भी प्रकार के सूक्ष्म कणों जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क के कारण समय के साथ क्रोनिक बीमारियों के बढ़ने का खतरा रहता है।
हार्ट.ओआरजी की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषकों के हल्के स्तर के संपर्क में रहने से भी दिल का दौरा पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। इतना ही नहीं एक घंटे भी प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से भी ये जोखिम काफी बढ़ जाता है।
अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषकों के किसी भी स्तर के संपर्क में आने से क्रोनिक कोरोनरी सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। ये उन स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाली हो सकती है जो हृदय की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति को बाधित कर देती हैं।
शंघाई में फुडन यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर हैडोंग कान कहते हैं,, वायु प्रदूषण के प्रतिकूल हृदय संबंधी प्रभावों को लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए। अध्ययन में दर्ज वायु प्रदूषकों (जैसे सूक्ष्म कण पदार्थ, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड) की किसी भी सांद्रता के संपर्क में आने से दिल का दौरा पड़ने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
सूक्ष्म कणों के संपर्क में आना हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ दुनिया भर में 4.2 मिलियन समय से पहले होने वाली मौतों से जुड़ा हुआ है। इनसे बचाव के लिए निरंतर प्रयास किया जाना आवश्यक है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आपको हृदय रोगों की समस्या रही है या नहीं, फिर भी वायु प्रदूषक हार्ट अटैक के जोखिमों का कारण बन सकते हैं। एन95 या किसी भी प्रकार के मास्क का उपयोग इन पार्टिकुलेट एक्सपोज़र को कम करने में मदद कर सकते हैं। हृदय की गंभीर समस्याओं के साथ प्रदूषण के कारण होने वाली अन्य दिक्कतों से बचाव के लिए जरूरी है कि आप बाहर जाते समय मास्क का प्रयोग करें। प्रदूषण के जोखिमों से बचाव करना बहुत आवश्यक है।