रायगढ़। रायगढ़ विधानसभा चुनाव लगातार रोचक होते जा रहा है। साथ ही साथ भाजपा और कांगे्रस के भीतर उनके ही विभीषणों के चलते शह और मात का खेल भी जारी है। मतदान के समय यह दिखेगा भी लेकिन इतना तय है कि इस बार रायगढ़ विधानसभा सीट को लेकर वो चेहरे जरूरत बेनकाब होंगे जो दिन में भी सपना देखते थे कि वे ही पार्टी के सर्वेसरवा है। एक ओर तो कांगे्रस में प्रकाश नायक लगातार मेहनत करते हुए एकजुटता के साथ चुनाव प्रचार में लगे है लेकिन उनकी ही पार्टी के विभीषण पार्टी कार्यालय से निकलते ही यह जुगत करते हैं कि आखिरकार प्रकाश नायक को हराने के लिये क्या नया किया जाये। ठीक यही हाल भाजपा कार्यालय का है जहां अक्सर सन्नाटा पसरा रहता है। कभी कभी प्रेस वार्ता के जरिये यह शांति भंग होती है पर वास्टसअप व विज्ञप्ति बाज भाजपा नेता अपनी अलग रणनीति बनाते हुए कुछ नया करने की फिराक में है।
भाजपा के ओपी चैधरी लगातार अपनी जीत के लिये शहर से लेकर गांव तक जन संपर्क करते हुए भाजपा के पक्ष में माहौल बनाते जा रहे हैं और उनके साथ उनके साथी विजय अग्रवाल भी साथ-साथ हैं लेकिन वो नेता नदारद हैं जो पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में अपने आपको सर्वेसरवा कहते थे। कुछ नेता तो अपना जिला छोड़कर दूसरे जिले में चले गए हैं वह भी इसलिये कि उनके उपर कोई आरोप न लगे और जो बचे हैं वो भी सम्हल-सम्हल कर शतरंज की चाल चलते हुए शह व मात देने में लगे हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी के कुछ ऐसे खिलाडी भी हैं जो ओपी के चुनाव प्रचार को कम करने के लिये हर वो प्रयास कर रहे है जिसके कारण उनकी कई बातें जनता तक नही पहुंच पा रही है। जानकार सूत्र यह भी बता रहे हैं जिला भाजपा कार्यालय के भीतर संसदीय चुनाव के नाम पर कुछ भाजपाई अपने आपको सक्रिय बता रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव मंे ओपी को जीताने में वे कहां है इसका पता तो पार्टी के ही लोग जानते हैं कि आखिरकार माजरा क्या है। एक अन्य जानकारी के अनुसार बीते कई दिनों से ओपी चैधरी के बढ़ते प्रभाव से हैरान व परेशान भाजपा के कर्णधारो को सांप सूंघ गया है और ऐसे में वे यह चाहते हैं कि उनके विभीषणों के जरिये कोई बडा नुकसान हो जाये। लेकिन ओपी चैधरी जैसे बड़े चेहरे के साथ यह खेल अगर ओपन हो जाता है तो बड़ा नुकसान भी हो सकता है इसलिये सम्हल सम्हल कर वो लोग चल रहे हैं जिन्हें ओपी की जीत से सबसे बड़ा खतरा है।
ठीक यही हाल कांगे्रस के भीतर भी चल रहा है। अपनी दूसरी पारी खेल रहे प्रकाश नायक पूरी एकजुटता के साथ चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं और सुबह उठते ही ढाल नगाडो के साथ वे जन संपर्क करते हुए जनता के बीच जाते हुए एक बार फिर से जीताने के लिये आर्शीवाद मांग रहे हैं उनके अलावा उनकी पत्नी सुषमा नायक भी अलग तरीके से घर-घर जाकर माहौल बनाने में लगी है जिन्हें बड़ी सफलता भी मिल रही है, चूंकि सुषमा नायक की पकड़ हर वर्ग की महिलाओं के साथ है और वे इस बार महिलाओं के वोट बैंक में बडी सेंध लगाते हुए प्रकाश नायक की जीत के लिये पूरी ताकत झोंक चुकी है लेकिन इसके ठीक उलट जिला कांगे्रस कमेटी से लेकर मैदानी इलाकों में काम करने वाले वे चेहरे निष्क्रिय है जो पार्टी के लिये बड़ी ताकत बनते थे। कांगे्रस के ही कुछ असतुष्ट नेता बताते हैं कि पार्टी कार्यालय से चुनाव सामग्री लेने वाले अधिककतर नेता नगदी ढूंढ रहे हैं चूंकि उन्हें डर है कि पिछले चुनाव की तरह उन्हें फिर से नही ठगा जाये और साथ ही साथ नगदी के फेर में वे चुनाव सामग्री लेकर तो जाते हैं पर जहां वो सामग्री जाती है वह पूरी तरह उस जगह लग नही पाती। पार्टी के भीतर असंतुष्ट कांगे्रस फूल छाप लोगों के साथ मिलकर उन असंतुष्टों को हर जानकारी दे रहे हैं जहां से प्रकाश नायक को वोटों के नुकसान के साथ-साथ छवि का नुकसान हो। इतना ही नही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्थिति को भांपाते हुए कुछ नेताओं को रायपुर बुलाकर समझाईश भी दी थी उनमंे से कुछ नेता सक्रिय तो हुए है लेकिन अभी भी कुछ कांगे्रसी बेमन से खुद को बिजी दिखाते हुए कोई घातक वार करने की जुगत में है।
भाजपा और कांगे्रस के बागी उम्मीदवार भी इन्हीं विभीषणों के भरोसे है चूंकि फायनेंस से लेकर महत्वपूर्ण जानकारी लेने की जुगत में है और अपने बगावती तेवरो के साथ यह दिखाने के प्रयास में है कि उनके चुनाव मैदान में खडा होनें से वे कितने प्रभावशाली तरीके से जनता के बीच कांगे्रस व भाजपा के प्रत्याशियों का जीत का समीकरण बिगाड़ने का माददा रखते हैं। कांगे्रस के बागी उम्मीदवार शंकरलाल अग्रवाल आटो चुनाव चिन्ह के साथ गांव से लेकर उन इलाकों तक पहुंच रहे हैं जहां उन्होंने अपने कांगे्रसी कार्यकाल में कार्य किये थे और जन समर्थन जुटाने के लिये वे कामयाब भी हो गए हैं इतना ही नही शंकरलाल अग्रवाल यह भी कह रहे हैं कि चुनाव परिणाम बतायेंगे कि कौन हार रहा है और वे जीत रहे हैं। ठीक इसी तरह भाजपा की बागी गोपिका गुप्ता कोलता समाज के एकता वोटों की फसल काटने के लिये हर प्रयास कर रही है लेकिन उनकी सफलता पर कोलता समाज के ही उन नेताओं की पकड़ ढीली नही हो रही है जो गोपिका गुप्ता के मैदान मंे कूदन से उनको ही परेशान कर रहे हैं। सूत्र यह बता रहे हैं कि कुछ भाजपाई नेता रायपुर से लेकर रायगढ़ से फायनेंस का जुगाड करते हुए गोपिका तक पहुंचा रहे हैं और गोपिका की पकड़ मजबूत हो इसके लिये भी हर स्तर पर जुगाड लगाया जा रहा है। इसका कारण यह है कि अगर गोपिका मजबूती के साथ भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी ओपी चैधरी को नुकसान पहुंचाती है तो फायदा उन विभीषणों को हो जाएगा जिन्होंने इस शतरंज की बाजी बिछाई है।
बहरहाल देखना यह है कि रायगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांगे्रस प्रत्याशियों के बीच की टक्कर में बागियों के साथ-साथ विभीषणों के चेहरे क्या चुनाव से पहले बनेकाब होंगे या परिणाम के बाद।