भारत में 70 फीसदी मौतों के लिए ये हैं चार प्रमुख कारण, आप में भी तो नहीं है इनका खतरा?

by Kakajee News

हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसी कई बीमारियों के मामले भारत में काफी तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। इसमें से हृदय रोग और कैंसर को मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता रहा है। हालिया रिपोर्ट्स में विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा कि जिस गति से देश में पिछले एक दशक में कैंसर के मामलों में वृद्धि देखी गई है, इसने भारत को दुनियाभर में ‘कैंसर कैपिटल’ बना दिया है।

इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में हार्ट अटैक और इसके कारण होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है, जिसके कम उम्र वाले भी शिकार हो रहे हैं। मसलन भारत में उन बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है जो समय से पहले मृत्यु के खतरे का कारण बन सकती हैं।

हालिया रिपोर्ट्स में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने देश में बढ़ती नॉन कम्युनिकेबल डिजीज को लेकर अलर्ट किया है। नॉन कम्युनिकेबल डिजीज उन बीमारियों को कहा जाता है जिसका संचार एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, क्रोनिक प्लमोनरी डिजीज इसी तरह की बीमारियां हैं। इसके अलावा इम्युनिटी सिस्टम की समस्याओं के कारण संक्रामक रोगों को भी बढ़ते देखा जा रहा है, जिसने स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है।

आइए उन बीमारियों पर एक नजर डालते हैं जिसके कारण सबसे ज्यादा मौतें रिपोर्ट की जा रही हैं।

कार्डियोवैस्कुलर डिजीज बड़ा जोखिम कारक
भारत में हृदय रोग-हार्ट अटैक के मामले साल दर साल बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं, विशेषतौर पर कोरोना महामारी के बाद से कम उम्र के लोगों में भी इसका जोखिम अधिक हो गया है। पिछले चार साल के आंकड़े बताते हैं कि देश में समय से पहले मृत्यु के लिए हृदय संबंधी बीमारियां प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। अकेले 2022 में भारत में दिल के दौरे के मामलों में 12.5% की वृद्धि दर्ज की गई है। शोधकर्ताओं ने बताया कि जीवनशैली और आहार में गड़बड़ी के अलावा कोरोना के दुष्प्रभावों के कारण भी हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर देखा गया है।

2020 में कैंसर से नौ लाख से अधिक मौतें
हृदय रोगों के अलावा कैंसर भी देश के लिए सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। भारत में कैंसर की घटनाएं वैश्विक दरों की तुलना में तेजी से बढ़ रही हैं। इसी को लेकर हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा, देश में जिस गति से कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं अब ये दुनिया की नई ‘कैंसर राजधानी’ बन गया है। साल 2020 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई, उस वर्ष एशिया में कैंसर की बीमारी के बोझ वाला ये दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। आनुवांशिकता के अलावा वायु प्रदूषण, रेडिएशन, धूम्रपान-शराब कुछ एचपीवी जैसे संक्रमण के कैंसर के मामलों के लिए जिम्मेदार पाया गया है।

लिवर और किडनी की बीमारियां
लिवर और किडनी की बीमारियां, इन अंगों के फेलियर के मामले भी हाल के वर्षों में बढ़े हैं, इन वजहों से भी मृत्युदर में वृद्धि आई है। भारत में लिवर सिरोसिस एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। साल 2017 में प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लिवर रोग से 2.59 लाख लोगों की मौत हुई जो कुल मौतों का 2.95% है। इतना ही नहीं ये वैश्विक स्तर पर सिरोसिस से होने वाली मौतों का पांचवां (18.3%) हिस्सा है। लिवर के साथ-साथ किडनी फेलियर के मामलों को लेकर भी स्वास्थ्य विशेष अलर्ट करते हैं।

नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के जोखिमों को लेकर अलर्ट
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) जैसे हृदय रोग, कैंसर, पुरानी श्वसन रोग और मधुमेह, भारत ही नहीं दुनियाभर में मौत का प्रमुख कारण हैं। भारत में इसका खतरा बढ़ा है। इनमें से ज्यादातर बीमारियां लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण होती हैं, यानी कि इसमें सुधार करते मृत्युदर को कम किया जा सकता है। इसलिए सभी लोगों के लिए जरूरी है कि आप पौष्टिक आहार का सेवन करने के साथ दिनचर्या को ठीक रखें।

विशेषतौर पर शराब-धूम्रपान की आदत से दूरी बनाना बेहतर सेहत और समय से पहले मृत्यु के जोखिमों से बचने के लिए सबसे जरूरी है।

Related Posts