नॉनवेज खाते हैं तो जरूर पढ़िए ये खबर, कहीं आप भी न हो जाएं कैंसर का शिकार?

by Kakajee News

हमारा खान-पान कैसा होना चाहिए, नॉनवेज या वेज? इसपर लंबे समय से चर्चा होती रही है। अलग-अलग अध्ययनों के अलग-अलग निष्कर्ष हैं। कुछ शोध प्लांट बेस्ड आहार को सेहत के लिए विशेष लाभप्रद मानते हैं, जबकि कुछ अध्ययन आयरन और प्रोटीन की आवश्यकताओं को पूर्ति के लिए पशु आधारित भोजन के सेवन की सलाह देते हैं।

अगर आपके भी मन में ये सवाल बना रहता है कि सेहत को ठीक रखने के लिए क्या खाना चाहिए- नॉनवेज या वेज तो हालिया अध्ययन में इसका जवाब मिल गया है।

शोधकर्ताओं की एक टीम ने अध्ययन में बताया कि अच्छी सेहत के लिए शाकाहारी भोजन, प्लांट बेस्ड आहार खाना अधिक लाभकारी हो सकता है। चिकन-मटन या अन्य पशुओं से पर आधारित डाइट कई प्रकार से सेहत को क्षति पहुंचाने वाली हो सकती है। इतना ही नहीं ज्यादा चिकन खाने से कैंसर का खतरा बढ़ने को लेकर भी सावधान किया गया है।

ज्यादा चिकन खाने से हो सकता है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर
इटली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने नियमित रूप से चिकन खाने और पाचन तंत्र के कैंसर के बीच संबंधों का खुलासा किया है।

न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि मटन की तुलना में भले ही चिकन (मुर्गा) खाने को लाभकारी माना जाता रहा है, पर अगर आप अक्सर चिकन भी खाते हैं तो ये सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे पेट के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों की टीम ने 20 साल की अवधि में इटली में रहने वाले 4,869 वयस्कों के स्वास्थ्य संबंधी डेटा का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रति सप्ताह 300 ग्राम से अधिक पोल्ट्री (चिकन) खाने वाले लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर और इसके कारण समय से पहले मृत्यु की आशंका अधिक थी।

मटन ही नहीं चिकन भी नुकसानदायक
पिछले अध्ययनों में कहा जाता रहा है कि रेड मीट (मटन) खाने की तुलना में पोल्ट्री (मुख्य रूप से चिकन) खाना अधिक स्वास्थ्यवर्धक है क्योंकि इससे हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर होने का जोखिम कम होता है। लेकिन अब इस नवीनतम शोध से पता चलता है कि नियमित रूप से अगर आप चिकन खाते हैं तो इससे जानलेवा कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

इस शोध के दौरान प्रतिभागियों ने अपने खाने की आदतों के बारे में प्रश्नावली भरी थी। उनकी स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन मेडिकल हिस्ट्री और क्षेत्रीय डेटाबेस का उपयोग करके किया गया। शोधकर्ताओं ने जिन कारकों पर ध्यान दिया उनमें से एक यह था कि प्रतिभागियों ने कितनी बार रेट मीट या चिकन खाई।
इस आधार पर दो ग्रुप में बांटे गए लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने चिकन का सेवन अधिक किया उनमें भविष्य में कैंसर का खतरा भी अधिक देखा गया।

क्या कहते हैं शोधकर्ता?
शोधकर्ता कहते हैं, अध्ययन के निष्कर्ष अलर्ट करने वाले हैं लेकिन इसको और विस्तार से समझने के लिए आगे अधिक शोध की आवश्यकता है।
उदाहरण के लिए, अभी तक यह निर्धारित नहीं हो पाया है कि क्या मृत्यु की बढ़ी हुई दर सीधे पोल्ट्री खाने के कारण थी या इस बात से संबंधित थी कि इसे कैसे पकाया गय, इसे कैसे तला गया आदि। अध्ययन में कुछ स्वास्थ्य और जीवनशैली कारकों जैसे प्रतिभागियों की शारीरिक गतिविधि-वजन कैसे कारकों को भी अभी और विस्तार से समझने की जरूरत है।

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