कोरबा। ये घटना बगधरी डांड़ के जंगल में हुआ। जहां एक हथनी ने बच्चे को जन्म दिया। बेबी एलिफेंट चलने फिरने की स्थिति में नहीं थी। उसकी ईलाज के वन अमला प्रयास करता रहा, लेकिन मां झुंड के साथ मौके पर ही डटी रही। दो दिन बाद झुंड के जंगल में जाते ही बेबी एलिफेंट को कार्यालय लाया गया, जहां ईलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
कोरबा वन मंडल के वन परिक्षेत्र पसरखेत की है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार शनिवार की दरम्यानी रात 20 हाथियों का झुंड मदनपुर के समीप स्थित ग्राम बगधरी डांड़ के कक्ष क्रमांक ओए 1329 पहुंचा हुआ था। इस झुंड में एक मादा हाथी भी थी, जो गर्भ में थी। उसने बगधरी डांड़ के जंगल के बेबी एलिफेंट को जन्म दिया। जंगल में हाथियों की पहुंचने की खबर मिलने के बाद वन अमला गश्त में था। इस दौरान वन अमले को खुरीभौना जाने वाले मार्ग में हाथियों की चिंघाड़ सुनाई दे रही थी। शनिवार को पौ फटते ही वनकर्मी करीब जाकर देखो तो मादा ने बेबी एलिफेंट को जन्म दिया
था। जिसकी खबर प्रभारी डीएफओ कुमार निशांत को दी गई। उनके निर्देश और एसडीओ दक्षिण सूर्यकांत सोनी के मार्गदर्शन में रेंजर देवव्रत खांडे अपनी टीम के साथ जंगल पहुंचे। जहां नर शावक एक स्थान पर पड़ा था। उसके करीब ही हथनी भी खड़ी थी। थोड़ी ही दूर में 19 हाथी का झुंडा था। जिससे बेबी एलिफेंट के बीमार होने की आशंका हुई। मामले से कानन पेंडारी के पशु चिकित्सक डाक्टर पीके चंदन सहित स्थानीय डाक्टरों को अवगत कराया गया। वे एसडीओ दक्षिण श्री सोनी के साथ मौके पर पहुंचे।
पुश चिकित्सकों को निरिक्षण उपरांत बेबी एलिफेंट के ठीक नहीं होने का अहसास हुआ। लिहाजा बेबी एलिफेंट का ईलाज करने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिला।
दरअसल बेबी एलिफेंट को छोड़कर मां और झुंड में शामिल हाथी दूर जाने तैयार ही नहीं थे, उन्होंने बेबी एलिफेंट को चारों ओर से घेर लिया था। इस बीच वनकर्मी कवायद में लगे रहे। इस बीच सोमवार की सुबह हथिनी झुंड के साथ जंगल के भीतर चली गई। पशु चिकित्सकों की देख रेख में बेबी ऐलिफेंट को वन परिक्षेत्र कार्यालय पसरखेत लाया गया। जहां पशु चिकित्सकों की टीम बेबी एलिफेंट की उपचार में जुट गई। वे बेबी ऐलिफेंट को बचाने हर संभव प्रयास करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिला। उसने ईलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
डीएफओ व एसडीओ दक्षिण सहित वनकर्मियों की मौजूदगी में पशु चिकित्सकों ने पीएम की कार्रवाई पूरी की। तत्पश्चात मृत बेबी एलिफेंट का विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया।
